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[[यूनानी]] लेखक स्त्रावो के अनुसार, [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में '''अग्रोनोमोई''' नामक अधिकारी नदियों की देखभाल, भूमि की नापजोख, जलाशयों का निरीक्षण और नहरों की देखभाल करते थे, ताकि सभी लोगों को पानी ठीक से मिल सके।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=06|url=}}</ref> | |||
*यह अधिकारी शिकारियों पर भी नियंत्रण रखता था और उसको लोगों को पुरस्कृत और दंड देने का अधिकार था। | *यह अधिकारी शिकारियों पर भी नियंत्रण रखता था और उसको लोगों को पुरस्कृत और दंड देने का अधिकार था। | ||
*वह कर वसूलता था और भूमि के स्वामित्व सम्बन्धी मामलों का भी निरीक्षण करता था। | *वह कर वसूलता था और भूमि के स्वामित्व सम्बन्धी मामलों का भी निरीक्षण करता था। | ||
*सार्वजनिक सड़कों का निर्माण और दस-दस [[स्टेडिया]] की दूरी पर स्तम्भ लगाने के काम का निरीक्षण भी यही अधिकारी करता था। | *सार्वजनिक सड़कों का निर्माण और दस-दस [[स्टेडिया]] की दूरी पर स्तम्भ लगाने के काम का निरीक्षण भी यही अधिकारी करता था। | ||
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05:34, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
यूनानी लेखक स्त्रावो के अनुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में अग्रोनोमोई नामक अधिकारी नदियों की देखभाल, भूमि की नापजोख, जलाशयों का निरीक्षण और नहरों की देखभाल करते थे, ताकि सभी लोगों को पानी ठीक से मिल सके।[1]
- यह अधिकारी शिकारियों पर भी नियंत्रण रखता था और उसको लोगों को पुरस्कृत और दंड देने का अधिकार था।
- वह कर वसूलता था और भूमि के स्वामित्व सम्बन्धी मामलों का भी निरीक्षण करता था।
- सार्वजनिक सड़कों का निर्माण और दस-दस स्टेडिया की दूरी पर स्तम्भ लगाने के काम का निरीक्षण भी यही अधिकारी करता था।
- इसकी पहचान कौटिल्य अर्थशास्त्र में वर्णित 'अध्यक्ष' और अशोक के शिलालेख में वर्णित 'राजुक' से की जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 06 |