"पद्मनाभस्वामी मंदिर": अवतरणों में अंतर
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{{ | {{सूचना बक्सा मन्दिर | ||
| | |चित्र=Sri-Padmanabhaswamy-Temple.jpg | ||
| | |चित्र का नाम=पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम | ||
| | |वर्णन=[[तिरुअनंतपुरम]] का पद्मनाभ स्वामी मंदिर [[केरल]] के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। | ||
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|संबंधित लेख=[[त्रावनकोर महल तिरुअनंतपुरम|त्रावनकोर महल]], [[वेली टूरिस्ट विलेज तिरुअनंतपुरम|वेली टूरिस्ट विलेज]], [[वेली झील तिरुअनंतपुरम|वेली झील]], [[शंकुमुगम तट]], [[कोवलम तट तिरुअनंतपुरम|कोवलम तट]], [[श्रीचित्रा कला दीर्घा तिरुअनंतपुरम|श्रीचित्रा कला दीर्घा]] | |||
|शीर्षक 1=प्रसिद्धि | |||
|पाठ 1=पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप | |||
|शीर्षक 2=मानचित्र लिंक | |||
|पाठ 2=[http://maps.google.com/maps?q=sree+Padmanabhaswamy+Temple,Thiruvananthapuram&hl=en&ll=8.483939,76.943586&spn=0.004881,0.010568&sll=8.482135,76.948435&sspn=0.009763,0.021136&vpsrc=6&hq=sree+Padmanabhaswamy+Temple&hnear=Thiruvananthapuram,+Kerala,+India&t=m&z=17 गूगल मानचित्र] | |||
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[[तिरुअनंतपुरम]] का पद्मनाभ स्वामी मंदिर [[केरल]] के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल जहाँ यह भव्य मंदिर स्थापित है यह स्थल दक्षिण [[भारत]] का एक सुंदर राज्य है जिसके प्रकृतिक मन भावन दृश्य सभी को रोमाँचित कर देते हैं यह स्थान संस्कृति एवं साहित्य का अनुठा संगम है। इसके एक तरफ तो ख़ूबसूरत समुद्र तट हैं और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य इन सभी अमूल्य निधियों के मध्य में स्थित है इन्हीं सभी के मध्य में में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। | |||
मंदिर की ख़ूबसूरती को देखकर सभी के मन में भक्ति भाव का संचार स्वत: ही जागृत हो जाता है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। विष्णु भगवान के इस रूप के दर्शनों को करने के लिए विश्व भर से लोग यहाँ पहुँचते हैं। केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित यह मंदिर बहुत ही कुशल वास्तु शिल्प कारीगरी के द्वारा बनाया गया है। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है। | |||
यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के कई पर्यटन स्थल में से भी एक में गिना जाता है पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्ण के भक्तों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल भी है। मंदिर की दशा में कई सुधार कार्य किए गए थे तथा 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया जो त्रावनकोर के महाराजा [[मार्तड वर्मा]] ने द्वारा संपन्न हो सका। | |||
==मान्यता== | ==मान्यता== | ||
यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान [[विष्णु]] की प्रतिमा प्राप्त हुई थी | पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक इतिहास जुड़ा हुआ है यहाँ का महत्व बहुत ही ज़्यादा रहा है यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान [[विष्णु]] की प्रतिमा प्राप्त हुई थी पद्मनाभस्वामी मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है। | ||
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===स्थापत्य=== | |||
==== | पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तड द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। [[चित्र:Sree-Padmanabhaswamy-Temple.jpg|thumb|250px|पद्मनाभस्वामी मंदिर, [[तिरुअनंतपुरम]]|left]] इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पूर्वी किले के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसका अहसास इसका सात मंजिला [[गोपुरम]] देखकर हो जाता है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' कहते हैं। इसके आसपास ख़परैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं। | ||
गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा | |||
====गणवेष==== | |||
मंदिर के दर्शन के लिए विशेष परिधान [[गणवेष]] को धारण करना होता है जिसमें मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही प्रवेश करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं। | |||
====गर्भगृह==== | |||
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं इस प्रतिमा में भगवान विष्णु अनंतशैया अर्थात् [[सहस्त्रमुखी शेषनाग]] पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को पद्मानाभ एवं अनंतशयनम भी कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। यहाँ भगवान विष्णु का दर्शन तीन हिस्सों में होते हैं। | |||
#पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं। | #पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं। | ||
#दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं। | #दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं। | ||
#तीसरे भाग में भगवान के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। | #तीसरे भाग में भगवान के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। | ||
शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन [[गरुड़]] की आकृति बनी है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। [[पुराण|पौराणिक]] घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते हैं, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते हैं। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक़्क़ाशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं। | [[चित्र:Sri-Padmanabhaswamy-Temple-3.jpg|thumb|250px|पद्मनाभस्वामी मंदिर, [[तिरुअनंतपुरम]]]] | ||
=== | शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन [[गरुड़]] की आकृति बनी है। मंदिर का मह्त्व यहाँ की पवित्रता से बढ जाता है मंदिर में धूप दिप एवं शंख नाद होता रहता है मंदिर का समस्त वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। [[पुराण|पौराणिक]] घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते हैं, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते हैं। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। जो मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगा देते हैं। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक़्क़ाशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं। | ||
पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल | |||
===विशेषता=== | |||
पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्त्वपूर्ण वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं - एक पंकुनी के महीने ([[15 मार्च]]- [[14 अप्रैल]]) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने ([[अक्टूबर]] - [[नवंबर]]) में। मंदिर के इन वार्षिकोत्सवों मे लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु से सुख शांति की कामना करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=383 |title=देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर |accessmonthday=[[21 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | |||
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चित्र:Sri-Padmanabhaswamy-Temple-1.jpg|पद्मनाभस्वामी मंदिर, [[तिरुअनंतपुरम]] | |||
चित्र:Sri-Padmanabhaswamy-Temple-2.jpg|पद्मनाभस्वामी मंदिर, [[तिरुअनंतपुरम]] | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://www.sreepadmanabhaswamytemple.com/ आधिकारिक वेबसाइट] | |||
*[http://in.jagran.yahoo.com/dharm/?page=article&category=6&articleid=6192 पद्मनाभस्वामी मंदिर में मिला अमूल्य ख़ज़ाना] | |||
*[http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9121878.cms पद्मनाभस्वामी मंदिर के ख़ज़ाने का मालिक कौन?] | |||
*[http://aajtak.intoday.in/photoplay.php/photo/view/1838/2#photo1 पद्मनाभस्वामी मंदिर के पास एक लाख करोड़ रुपये? । देखें] | |||
*[http://drashu.jagranjunction.com/2011/07/09/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AD-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF/ श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर और सम्पदा] | |||
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07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
पद्मनाभस्वामी मंदिर
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वर्णन | तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। |
स्थान | केरल |
निर्माता | महाराजा मार्तड वर्मा |
देवी-देवता | भगवान विष्णु |
वास्तुकला | द्रविड़ वास्तुकला (कोविल) |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 8° 28' 58.00", पूर्व- 76° 56' 37.00" |
संबंधित लेख | त्रावनकोर महल, वेली टूरिस्ट विलेज, वेली झील, शंकुमुगम तट, कोवलम तट, श्रीचित्रा कला दीर्घा |
प्रसिद्धि | पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप |
मानचित्र लिंक | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। |
बाहरी कड़ियाँ | पद्मनाभस्वामी मंदिर |
अद्यतन | 10:22, 25 जनवरी 2012 (IST)
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तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल जहाँ यह भव्य मंदिर स्थापित है यह स्थल दक्षिण भारत का एक सुंदर राज्य है जिसके प्रकृतिक मन भावन दृश्य सभी को रोमाँचित कर देते हैं यह स्थान संस्कृति एवं साहित्य का अनुठा संगम है। इसके एक तरफ तो ख़ूबसूरत समुद्र तट हैं और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य इन सभी अमूल्य निधियों के मध्य में स्थित है इन्हीं सभी के मध्य में में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर।
मंदिर की ख़ूबसूरती को देखकर सभी के मन में भक्ति भाव का संचार स्वत: ही जागृत हो जाता है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। विष्णु भगवान के इस रूप के दर्शनों को करने के लिए विश्व भर से लोग यहाँ पहुँचते हैं। केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित यह मंदिर बहुत ही कुशल वास्तु शिल्प कारीगरी के द्वारा बनाया गया है। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।
यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के कई पर्यटन स्थल में से भी एक में गिना जाता है पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्ण के भक्तों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल भी है। मंदिर की दशा में कई सुधार कार्य किए गए थे तथा 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया जो त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने द्वारा संपन्न हो सका।
मान्यता
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक इतिहास जुड़ा हुआ है यहाँ का महत्व बहुत ही ज़्यादा रहा है यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी पद्मनाभस्वामी मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है।
स्थापत्य
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तड द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पूर्वी किले के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसका अहसास इसका सात मंजिला गोपुरम देखकर हो जाता है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' कहते हैं। इसके आसपास ख़परैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं।
गणवेष
मंदिर के दर्शन के लिए विशेष परिधान गणवेष को धारण करना होता है जिसमें मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही प्रवेश करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं।
गर्भगृह
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं इस प्रतिमा में भगवान विष्णु अनंतशैया अर्थात् सहस्त्रमुखी शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को पद्मानाभ एवं अनंतशयनम भी कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। यहाँ भगवान विष्णु का दर्शन तीन हिस्सों में होते हैं।
- पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं।
- दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं।
- तीसरे भाग में भगवान के श्री चरणों के दर्शन होते हैं।
शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन गरुड़ की आकृति बनी है। मंदिर का मह्त्व यहाँ की पवित्रता से बढ जाता है मंदिर में धूप दिप एवं शंख नाद होता रहता है मंदिर का समस्त वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। पौराणिक घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते हैं, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते हैं। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। जो मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगा देते हैं। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक़्क़ाशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं।
विशेषता
पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्त्वपूर्ण वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं - एक पंकुनी के महीने (15 मार्च- 14 अप्रैल) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने (अक्टूबर - नवंबर) में। मंदिर के इन वार्षिकोत्सवों मे लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु से सुख शांति की कामना करते हैं।[1]
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वीथिका
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पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
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पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
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पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2010।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख