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*1305 ई. में इसकी रचना मेरूतुंगाचार्य ने की ।
'''प्रबन्ध चिन्तामणि''' के रचनाकार [[मेरुतुंगाचार्य]] को कहा जाता है। इस पुस्तक से 14वीं [[शताब्दी]] के राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है।
*यह ग्रंथ [[जैन]] साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।  
*यह पांच खण्डों में विभाजित है।
*इन खण्डों से क्रमशः विक्रमांक, सातवाहन मूलराज, मुंज, नृपति भोज, सिद्वराज जयसिंह, कुमार पाल, लक्ष्मण सेन, जयचन्द्र आदि के विषय में जानकारी मिलती है।


*इस पुस्तक की रचना 1305 ई. में मेरुतुंगाचार्य ने की थी।
*'प्रबन्ध चिन्तामणि' [[जैन साहित्य]] का एक महत्त्वपूर्ण [[ग्रंथ]] है।
*यह ऐतिहासिक ग्रंथ पांच खण्डों में विभाजित है। इन खण्डों से क्रमशः विक्रमांक, सातवाहन मूलराज, मुंज, नृपति भोज, सिद्वराज जयसिंह, कुमार पाल, [[लक्ष्मण सेन]], [[जयचन्द्र]] आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
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प्रबन्ध चिन्तामणि के रचनाकार मेरुतुंगाचार्य को कहा जाता है। इस पुस्तक से 14वीं शताब्दी के राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है।

  • इस पुस्तक की रचना 1305 ई. में मेरुतुंगाचार्य ने की थी।
  • 'प्रबन्ध चिन्तामणि' जैन साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।
  • यह ऐतिहासिक ग्रंथ पांच खण्डों में विभाजित है। इन खण्डों से क्रमशः विक्रमांक, सातवाहन मूलराज, मुंज, नृपति भोज, सिद्वराज जयसिंह, कुमार पाल, लक्ष्मण सेन, जयचन्द्र आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
  • 'प्रबन्ध चिन्तामणि] का इतिहास में बड़ा महत्व है। इसमें कुछ-कुछ काल्पना का भी समावेश है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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