"गंडमक की संधि": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*गंडमक की संधि द्वितीय अफ़ग़ान युद्ध (1878-80 ई.) के दौरा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''गंडमक की संधि''' द्वितीय [[अफ़ग़ान]] युद्ध ([[1878]]-[[1880]] ई.) के दौरान [[मई]] [[1879]] ई. में भारतीय ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन [[वाइसराय]] [[लॉर्ड लिटन]] और [[अफ़ग़ानिस्तान]] के अपदस्थ अमीर [[शेरअली]] के पुत्र याक़ूब ख़ाँ के बीच हुई थी। | |||
*इस संधि के अंतर्गत याक़ूब ख़ाँ, जिसे अमीर के रूप में मान्यता दी गई थी, अपने विदेशी सम्बन्ध ब्रिटिश निर्देशन से संचालित करने, राजधानी [[काबुल]] में ब्रिटिश रेजीडेंट रखने और कुर्रम दर्रे व पिशीन और सीबी ज़िलों को ब्रिटिश नियंत्रण में कर देने के लिए राज़ी हो गया। पिशीन और सीबी ज़िले बोलन | |||
*गंडमक की संधि | *इस संधि के अंतर्गत याक़ूब ख़ाँ, जिसे अमीर के रूप में मान्यता दी गई थी, अपने विदेशी सम्बन्ध ब्रिटिश निर्देशन से संचालित करने, राजधानी [[काबुल]] में ब्रिटिश रेजीडेंट रखने और कुर्रम दर्रे व पिशीन और सीबी ज़िलों को ब्रिटिश नियंत्रण में कर देने के लिए राज़ी हो गया। पिशीन और सीबी ज़िले [[बोलन दर्रा|बोलन दर्रे]] के निकट स्थित हैं। | ||
*गंडमक संधि के केवल चार महीने बाद [[2 सितम्बर]], 1879 ई. को अफ़ग़ानों ने फिर सिर उठाया और उन्होंने ब्रिटिश रेजीडेण्ट की हत्या कर गंडमक संधि को रद्द कर दिया। | *गंडमक की संधि लॉर्ड लिटन की अफ़ग़ान नीति की सबसे बड़ी उपलब्धि थी और उसने ब्रिटिश [[भारत]] को [[इंग्लैंण्ड]] के तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] लॉर्ड बेकन्सफ़ील्ड के शब्दों में 'वैज्ञानिक सीमा' प्रदान कर दी, किन्तु [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की यह विजय अल्पकालीन थी। | ||
*अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध फिर से भड़क उठा और वह फिर तभी समाप्त हुआ जब अंग्रेज़ों ने अपने आश्रित याक़ूब ख़ाँ को अफ़ग़ानों के हाथ समर्पित कर दिया और | *गंडमक संधि के केवल चार महीने बाद ही [[2 सितम्बर]], [[1879]] ई. को [[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानों]] ने फिर सिर उठाया और उन्होंने ब्रिटिश रेजीडेण्ट की हत्या कर गंडमक संधि को रद्द कर दिया। | ||
*अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध फिर से भड़क उठा और वह फिर तभी समाप्त हुआ, जब अंग्रेज़ों ने अपने आश्रित याक़ूब ख़ाँ को अफ़ग़ानों के हाथ समर्पित कर दिया और [[क़ाबुल]] में अपना रेजीडेण्ट रखने का विचार तथा संधि के अंतर्गत मिला समग्र अफ़ग़ान क्षेत्र त्याग दिया। | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 116 | chapter =}} | |||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{युद्ध सन्धियाँ}} | |||
{{औपनिवेशिक काल}} | {{औपनिवेशिक काल}} | ||
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | [[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | ||
[[Category:औपनिवेशिक काल]] | [[Category:औपनिवेशिक काल]] | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:23, 23 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
गंडमक की संधि द्वितीय अफ़ग़ान युद्ध (1878-1880 ई.) के दौरान मई 1879 ई. में भारतीय ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड लिटन और अफ़ग़ानिस्तान के अपदस्थ अमीर शेरअली के पुत्र याक़ूब ख़ाँ के बीच हुई थी।
- इस संधि के अंतर्गत याक़ूब ख़ाँ, जिसे अमीर के रूप में मान्यता दी गई थी, अपने विदेशी सम्बन्ध ब्रिटिश निर्देशन से संचालित करने, राजधानी काबुल में ब्रिटिश रेजीडेंट रखने और कुर्रम दर्रे व पिशीन और सीबी ज़िलों को ब्रिटिश नियंत्रण में कर देने के लिए राज़ी हो गया। पिशीन और सीबी ज़िले बोलन दर्रे के निकट स्थित हैं।
- गंडमक की संधि लॉर्ड लिटन की अफ़ग़ान नीति की सबसे बड़ी उपलब्धि थी और उसने ब्रिटिश भारत को इंग्लैंण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री लॉर्ड बेकन्सफ़ील्ड के शब्दों में 'वैज्ञानिक सीमा' प्रदान कर दी, किन्तु अंग्रेज़ों की यह विजय अल्पकालीन थी।
- गंडमक संधि के केवल चार महीने बाद ही 2 सितम्बर, 1879 ई. को अफ़ग़ानों ने फिर सिर उठाया और उन्होंने ब्रिटिश रेजीडेण्ट की हत्या कर गंडमक संधि को रद्द कर दिया।
- अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध फिर से भड़क उठा और वह फिर तभी समाप्त हुआ, जब अंग्रेज़ों ने अपने आश्रित याक़ूब ख़ाँ को अफ़ग़ानों के हाथ समर्पित कर दिया और क़ाबुल में अपना रेजीडेण्ट रखने का विचार तथा संधि के अंतर्गत मिला समग्र अफ़ग़ान क्षेत्र त्याग दिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 116।