"तार सप्तक": अवतरणों में अंतर

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तार सप्तक सप्तक का एक प्रकार है। मध्य सप्तक के बाद का तार सप्तक कहलाता है। यह सप्तक मध्य सप्तक का दुगुना ऊँचा होता है। दूसरे शब्दों में तार सप्तक के प्रत्येक स्वर में मध्य सप्तक के उसी स्वर से दुगुनी आन्दोलन रहती है, उदाहरणार्थ अगर मध्य सप्तक के रे की आन्दोलन संख्या 270 है तो तार रे की आन्दोलन संख्या 270 की दुगुनी 540 होगी। इसमें भी 7 शुद्ध स्वर और 5 विकृत स्वर कुल 12 स्वर होते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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