"युद्ध सन्धियाँ": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 14 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
भारतीय | [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में समय-समय पर कई '''युद्ध सन्धियाँ''' हुई हैं। इन सन्धियों के द्वारा [[भारत]] की राजनीति ने न जाने कितनी ही बार एक अलग ही दिशा प्राप्त की। भारतीय रियासतों में आपस में ही कई इतिहास प्रसिद्ध युद्ध लड़े गए। इन देशी रियासतों की आपसी फूट भी इस हद तक बढ़ चुकी थी, कि [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने उसका पूरा लाभ उठाया। [[राजपूत|राजपूतों]], [[मराठा|मराठों]] और [[मुसलमान|मुसलमानों]] में भी कई सन्धियाँ हुईं। भारत के इतिहास में अधिकांश सन्धियों का लक्ष्य सिर्फ़ एक ही था, [[दिल्ली सल्तनत]] पर हुकूमत। अंग्रेज़ों ने ही अपनी सूझबूझ और चालाकी व कूटनीति से [[दिल्ली]] की हुकूमत प्राप्त की थी, हालाँकि उन्हें भारत में अपने पाँव जमाने के लिए काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, फिर भी उन्होंने भारतीयों की आपसी फूट का लाभ उठाते हुए इसे एक लम्बे समय तक ग़ुलाम बनाये रखा। [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में हुई कुछ प्रमुख सन्धियों का विवरण इस प्रकार से है- | ||
==प्रमुख ऐतिहासिक सन्धियाँ== | ==प्रमुख ऐतिहासिक सन्धियाँ== | ||
[[अलीनगर की संधि| | *[[अलीनगर की संधि|अलीनगर की सन्धि]] - [[9 फ़रवरी]], 1757 ई. | ||
[[ | *[[इलाहाबाद की सन्धि]] - 1765 ई. | ||
*[[ | *[[मसुलीपट्टम की सन्धि]] - [[23 फ़रवरी]], 1768 | ||
*[[ | *[[बनारस की सन्धि प्रथम]] - 1773 ई. | ||
*[[ | *[[बनारस की सन्धि द्वितीय]] - 1775 ई. | ||
*[[देवगाँव की संधि|देवगाँव की | *[[सूरत की सन्धि]] - 1775 ई. | ||
*[[ | *[[पुरन्दर की सन्धि]] - 1776 ई. | ||
*[[ | *[[बड़गाँव की सन्धि]] - 1779 ई. | ||
*[[ | *[[सालबाई की सन्धि]] - 1782 ई. | ||
*[[ | *[[बसई की सन्धि]] - [[31 दिसम्बर]], 1802 ई. | ||
*[[देवगाँव की संधि|देवगाँव की सन्धि]] - 17 दिसम्बर, 1803 ई. | |||
*[[सुर्जी अर्जुनगाँव की सन्धि]] - 1803 ई. | |||
*[[ | *[[अमृतसर की सन्धि]] - [[25 अप्रैल]], 1809 ई. | ||
*[[ | *[[पूना की सन्धि]] - 1817 ई. | ||
*[[ | *[[उदयपुर की सन्धि]] - 1818 ई. | ||
*[[गंडमक की सन्धि]] - 1879 ई. | |||
*[[सुगौली सन्धि]] - 4 मार्च, 1816 ई. | |||
*[[लाहौर की सन्धि]] - [[9 मार्च]], 1846 ई. | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{युद्ध सन्धियाँ}} | |||
{{आधुनिक काल}} | {{आधुनिक काल}} | ||
{{औपनिवेशिक काल}} | {{औपनिवेशिक काल}} |
14:06, 16 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
भारतीय इतिहास में समय-समय पर कई युद्ध सन्धियाँ हुई हैं। इन सन्धियों के द्वारा भारत की राजनीति ने न जाने कितनी ही बार एक अलग ही दिशा प्राप्त की। भारतीय रियासतों में आपस में ही कई इतिहास प्रसिद्ध युद्ध लड़े गए। इन देशी रियासतों की आपसी फूट भी इस हद तक बढ़ चुकी थी, कि अंग्रेज़ों ने उसका पूरा लाभ उठाया। राजपूतों, मराठों और मुसलमानों में भी कई सन्धियाँ हुईं। भारत के इतिहास में अधिकांश सन्धियों का लक्ष्य सिर्फ़ एक ही था, दिल्ली सल्तनत पर हुकूमत। अंग्रेज़ों ने ही अपनी सूझबूझ और चालाकी व कूटनीति से दिल्ली की हुकूमत प्राप्त की थी, हालाँकि उन्हें भारत में अपने पाँव जमाने के लिए काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, फिर भी उन्होंने भारतीयों की आपसी फूट का लाभ उठाते हुए इसे एक लम्बे समय तक ग़ुलाम बनाये रखा। भारतीय इतिहास में हुई कुछ प्रमुख सन्धियों का विवरण इस प्रकार से है-
प्रमुख ऐतिहासिक सन्धियाँ
- अलीनगर की सन्धि - 9 फ़रवरी, 1757 ई.
- इलाहाबाद की सन्धि - 1765 ई.
- मसुलीपट्टम की सन्धि - 23 फ़रवरी, 1768
- बनारस की सन्धि प्रथम - 1773 ई.
- बनारस की सन्धि द्वितीय - 1775 ई.
- सूरत की सन्धि - 1775 ई.
- पुरन्दर की सन्धि - 1776 ई.
- बड़गाँव की सन्धि - 1779 ई.
- सालबाई की सन्धि - 1782 ई.
- बसई की सन्धि - 31 दिसम्बर, 1802 ई.
- देवगाँव की सन्धि - 17 दिसम्बर, 1803 ई.
- सुर्जी अर्जुनगाँव की सन्धि - 1803 ई.
- अमृतसर की सन्धि - 25 अप्रैल, 1809 ई.
- पूना की सन्धि - 1817 ई.
- उदयपुर की सन्धि - 1818 ई.
- गंडमक की सन्धि - 1879 ई.
- सुगौली सन्धि - 4 मार्च, 1816 ई.
- लाहौर की सन्धि - 9 मार्च, 1846 ई.
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख