"ईस्ट इण्डिया कॉलेज हैलीबरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*'''ईस्ट इण्डिया कॉलेज''', हैलीबरी 1805 ई. में [[ईस्ट इण्डिया...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*शिक्षा की समाप्ति के बाद उसे भारतीय सिविल सर्विस में नौकरी पर भेज दिया जाता था। | *शिक्षा की समाप्ति के बाद उसे भारतीय सिविल सर्विस में नौकरी पर भेज दिया जाता था। | ||
*इस कॉलेज में केवल मनोनीत युवक ही भर्ती किये जाते थे, अतएव उसमें उत्तीर्ण अथवा अनुत्तीर्ण होने का प्रश्न ही नहीं था। | *इस कॉलेज में केवल मनोनीत युवक ही भर्ती किये जाते थे, अतएव उसमें उत्तीर्ण अथवा अनुत्तीर्ण होने का प्रश्न ही नहीं था। | ||
* | *ईस्ट इण्डिया कॉलेज का उद्देश्य ही यही था कि, प्रशिक्षार्थियों का उतना ज्ञान-वर्धन किया जाये, जितनी की उनमें क्षमता हो। | ||
* | *कॉलेज में बौद्धिक विकास की ओर कम तथा सहयोग की भावना विकसित करने की ओर अधिक ध्यान दिया जाता था। | ||
*यह कॉलेज 50 वर्ष तक | *यह कॉलेज 50 वर्ष तक चला, इसके पश्चात् 1855 ई. में भारतीय सिविल सर्विस में प्रतियोगिता परीक्षा आरम्भ हो जाने पर उक्त कॉलेज समाप्त कर दिया गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
14:21, 11 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
- ईस्ट इण्डिया कॉलेज, हैलीबरी 1805 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के द्वारा स्थापित किया गया था।
- कम्पनी की 'भारतीय सिविल सर्विस' (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में नौकरी के लिए मनोनीत युवकों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था इस कॉलेज में की गई थी।
- प्रत्येक प्रशिक्षार्थी को इसमें दो वर्ष व्यतीत करने पड़ते थे, जहाँ उसे सामान्य शिक्षा, भारतीय भाषा, क़ानून तथा इतिहास का ज्ञान कराया जाता था।
- शिक्षा की समाप्ति के बाद उसे भारतीय सिविल सर्विस में नौकरी पर भेज दिया जाता था।
- इस कॉलेज में केवल मनोनीत युवक ही भर्ती किये जाते थे, अतएव उसमें उत्तीर्ण अथवा अनुत्तीर्ण होने का प्रश्न ही नहीं था।
- ईस्ट इण्डिया कॉलेज का उद्देश्य ही यही था कि, प्रशिक्षार्थियों का उतना ज्ञान-वर्धन किया जाये, जितनी की उनमें क्षमता हो।
- कॉलेज में बौद्धिक विकास की ओर कम तथा सहयोग की भावना विकसित करने की ओर अधिक ध्यान दिया जाता था।
- यह कॉलेज 50 वर्ष तक चला, इसके पश्चात् 1855 ई. में भारतीय सिविल सर्विस में प्रतियोगिता परीक्षा आरम्भ हो जाने पर उक्त कॉलेज समाप्त कर दिया गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 59।