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चींटी को देखा?
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
वह सरल, विरल, काली रेखा,
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति,
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।


गाय चराती, धूप खिलाती,
गाय चराती, धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती
बच्चों की निगरानी करती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना संवारती,
दल के दल सेना संवारती,
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भूरे बालों की सी कतरन,
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर,
विचरण करती, श्रम में तन्मय
विचरण करती, श्रम में तन्मय,
वह जीवन की तिनगी अक्षय।
वह जीवन की तिनगी अक्षय।



10:47, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

चींटी -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा,
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति,
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।

गाय चराती, धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना संवारती,
घर-आँगन, जनपथ बुहारती।

चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।
देखा चींटी को?
उसके जी को?
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर,
विचरण करती, श्रम में तन्मय,
वह जीवन की तिनगी अक्षय।

वह भी क्या देही है, तिल-सी?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी।
दिनभर में वह मीलों चलती,
अथक कार्य से कभी न टलती।

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