"भूकंप": अवतरणों में अंतर
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{{ | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
== | |चित्र=Earthquake.jpg | ||
|चित्र का नाम=भूकंप से टूटे रास्ते | |||
|विवरण= [[पृथ्वी]] की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न [[ऊर्जा]] के परिणाम स्वरूप को भूकंप कहते हैं। | |||
* 13 अप्रैल 2010, चीन में 6.9 की तीव्रता का भूकंप, 2500 की मौत। | |शीर्षक 1=मापन यंत्र | ||
* 12 जनवरी 2010, हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप, 2 लाख लोगों की मौत। | |पाठ 1=सीस्मोमीटर या सीस्मोग्राफ | ||
* 30 सितंबर 2009, इंडोनेशिया, सुमात्रा में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, 1100 की मौत। | |शीर्षक 2=ईकाई | ||
* 29 सितंबर 2009, सैमोन द्वीप में 8.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत। | |पाठ 2=रियेक्टर | ||
* 10 अगस्त 2009, अंडमान निकोबार में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, कोई हताहत नहीं। | |शीर्षक 3=भूकंप का कारण | ||
* 6 अप्रैल 2009, इटली के लैकिला शहर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत। | |पाठ 3=भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, [[ज्वालामुखी]], [[भूस्खलन]] और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। | ||
* 3 फ़रवरी 2008, कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया, इसमें 45 लोग मारे गए। | |शीर्षक 4=भूकंप के प्रभाव | ||
* 6 मार्च 2007, इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत। | |पाठ 4=भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को नुकसान पहुँचता है। | ||
* 27 मई 2006, इंडोनेशिया के जकार्ता में भूकंप, छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए। | |शीर्षक 5= | ||
* 8 अक्टूबर 2005, पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप, क़रीब 75 हज़ार लोग मारे गए। | |पाठ 5= | ||
* 28 मार्च 2005, इंडोनेशिया में 8.7 तीव्रता वाला भूकंप, लगभग 1300 लोग मारे गए। | |शीर्षक 6= | ||
* 22 फ़रवरी 2005, ईरान के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे। | |पाठ 6= | ||
* 26 दिसंबर 2004, 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण उत्पन्न | |शीर्षक 7= | ||
* 24 फ़रवरी 2004, मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी। | |पाठ 7= | ||
* 26 दिसंबर 2003, दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। | |शीर्षक 8= | ||
* 21 मई 2003, अल्जीरिया में भूकंप आया, दो हज़ार लोगों की मौत और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे। | |पाठ 8= | ||
* 1 मई 2003, तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे। | |शीर्षक 9= | ||
* 24 फरवरी 2003, पश्चिमी चीन में भूकंप, 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर। | |पाठ 9= | ||
* 21 नवंबर 2002, पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत। | |शीर्षक 10= | ||
* 31 अक्टूबर 2002, इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए। | |पाठ 10= | ||
* 12 अप्रैल 2002, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था, इसमें अनेक लोग मारे गए। | |संबंधित लेख= | ||
* 25 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में 6 की तीव्रता का भूकंप, 800 से ज़्यादा लोग मरे। | |अन्य जानकारी=वैज्ञानिकों का कहना है कि [[भारत]] और [[तिब्बत]] एक-दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं। इस प्रक्रिया से [[हिमालय]] क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह बड़े भूकंप आ चुके हैं। | ||
* 3 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया, 150 लोग मारे गए। | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
* 3 फ़रवरी 2002, पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे, हज़ारों लोग बेघर। | |अद्यतन= | ||
* 24 जून 2001, दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे, भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे। | }} | ||
* 13 फ़रवरी 2001, अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए, इस भूकंप को | '''भूकंप''' ([[अंग्रेज़ी]]:Earthquake) [[पृथ्वी]] की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न [[ऊर्जा]] के परिणाम स्वरूप को कहते हैं। यह उर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करता है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट होता है। भूगर्भ में भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु को केन्द्र या हाईपो सेंटर कहा जाता है। हाईपो सेंटर के ठीक ऊपर ज़मीन के सतह पर जो बिंदु है उसे अधिकेन्द्र कहा जाता है। | ||
* 26 जनवरी 2001, भारत के गुजरात में 7.9 तीव्रता का भूकंप, तीस हज़ार लोग मारे गए और | भूकंपी तरंगें मूलतः तीन प्रकार के होते हैं। | ||
* 13 जनवरी 2001, अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 700 से भी अधिक लोग मारे गए। | # प्राइमरी तरंग (P wave) | ||
* 6 अक्टूबर 2000, जापान में 7.1 तीव्रता का एक भूकंप, 30 लोग घायल हुए और कई लापता और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा। | # सेकंडरी तरंग (S wave) | ||
* 21 सितंबर 1999, ताईवान में 7.6 तीव्रता का भूकंप, ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा। | # सतही तरंगें (surface waves)। | ||
* 17 अगस्त 1999, तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में 7.4 तीव्रता का भूकंप, 17000 से | इनमें से सबसे खतरनाक और क्षतिकारक सतही तरंगें ही होते हैं। | ||
* 29 मार्च 1999, उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरकाशी और चमोली में दो | ==भूकंप की उत्पत्ति== | ||
* 25 जनवरी 1999, कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप. क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए। | भूकंप की उत्पत्ति के बारे में समझने के लिए ज़रूरी है पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के बारे में समझना। धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों। उपरी सतह से लेकर अन्तर्भाग तक, पृथ्वी, कई परतों में बनी हुई है। पृथ्वी की बाहरी सतह कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेट में विभाजित है जो क्रमशः कई लाख सालों की अवधी में पूरे सतह से विस्थापित होती है। पृथ्वी का आतंरिक सतह एक अपेक्षाकृत ठोस भूपटल की मोटी परत से बनी हुई है और सबसे अन्दर होता है एक कोर, जो एक तरल बाहरी कोर और एक ठोस [[लोहा]] का आतंरिक कोर से बनी हुई है। बाहरी सतह के जो विवर्तनिक प्लेट हैं वो बहुत धीरे धीरे गतिमान हैं। यह प्लेट आपस में टकराते भी हैं और एक दुसरे से अलग भी होते हैं। ऐसी स्थिति में घर्षण के कारण भूखंड या पत्थरों में अचानक दरारें फुट सकती हैं। इस अचानक तेज हलचल के कारण जो शक्ति उत्सर्जित होती है, वही भूकंप के रूप में तबाही मचाती है। | ||
* 17 जुलाई 1998, न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आया भूकंप, एक हज़ार से अधिक मरे। | ==भूकंप के कारण== | ||
* 26 जून 1998, तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 144 लोग मारे गए, एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए। | भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, [[ज्वालामुखी]], [[भूस्खलन]] और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। | ||
* 30 मई 1998, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप, चार हज़ार लोग मारे गए। | ====प्लेट सीमाएं==== | ||
* फ़रवरी 1997, उत्तर-पश्चिमी ईरान में 5.5 तीव्रता का एक भूकंप, एक हज़ार लोग मारे गए, तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए। | प्लेट सीमाएं तीन प्रकार के होते हैं। | ||
* 27 मई 1995, रूस के पूर्वी द्वीप | # रूपांतरित (transform) | ||
* 17 जनवरी 1995, जापान के कोबे शहर में भूकंप, छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए। | # अपसारी (divergent) | ||
* 6 जून 1994, कोलंबिया में आया भूकंप, क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए। | # अभिकेंद्रित (convergent)। | ||
* 30 सितंबर 1993, भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंप से क़रीब दस हज़ार लोगों की मौत। | ज़्यादातर भूकंप रूपांतरित या फिर अभिकेंद्रित सीमाओं पर होती है। रूपांतरित सीमाओं पर दो प्लेट एक दुसरे से घिसकर जाते हैं। इस घर्षण के कारण दो प्लेट के सीमा पर तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव बढते बढते ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब भूगर्भीय पत्थर इस तनाव को झेल न पाने के कारण अकस्मात टूटते हैं। तनाव उर्जा का यह अचानक बाहर आना ही भूकंप को जन्म देता है। अभिकेंद्रित प्लेट सीमाओं में एक प्लेट दुसरे प्लेट से टकराता है। ऐसे में या तो एक प्लेट दुसरे प्लेट के नीचे सरक जाता है (जो महाद्वीपीय और समुद्रीय किनारे के टकराव में होता है) या फिर पर्वत-श्रंखला का जन्म होता है (जो दो महाद्वीपीय किनारों के टकराव में होता है)। दोनों ही स्थिति में प्लेट सीमाओं पर भयानक तनाव उत्पन्न होता है जिसके अचानक निष्कासन से भूकंप होता है। ज़्यादातर गहरे केन्द्र वाले भूकंप अभिकेंद्रित सीमा पर होता है। 70 किलोमीटर से कम की गहराई पर उत्पन्न होने वाले भूकंप 'छिछले-केन्द्र' के भूकंप कहलाते हैं, जबकि 70-300 किलोमीटर के बीच की गहराई से उत्पन्न होने वाले भूकंप 'मध्य-केन्द्रीय' भूकंप कहलाते हैं। सबडक्शन क्षेत्र (subduction zones) में जहाँ पुरानी और ठंडी समुद्री परत अन्य टेक्टोनिक प्लेट के नीचे खिसक जाती है, गहरे केंद्रित भूकंप (deep-focus earthquake) अधिक गहराई पर (300 से लेकर 700 किलोमीटर तक) आ सकते हैं। अपसारी प्लेट सीमाओं पर भी ज्वालामुखिओं के कारण भूकंप होते रहते हैं। जहाँ प्लेट सीमायें महाद्वीपीय [[स्थलमंडल]] में उत्पन्न होती हैं, विरूपण प्लेट की सीमा से बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है। महाद्वीपीय विरूपण सान अन्द्रिअस दोष (San Andreas fault) के मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं। | ||
* 21 जून 1990, ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में भूकंप, चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत। | |||
* 17 अक्टूबर 1989, कैलिफ़ोर्निया में भूकंप, 68 लोग मारे गए। | सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं। ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप (intraplate earthquake) को जन्म देते हैं। भूकंप अक्सर अन्तःप्लेट क्षेत्रों में भी [[ज्वालामुखी]] के कारण उत्पन्न होते हैं। यहाँ इनके दो कारण होते हैं, टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा (magma) की गतिविधि। ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी भी हो सकते हैं। एक क्रम में होने वाले अधिकांश भूकंप, स्थान और समय के संदर्भ में एक दूसरे से सम्बंधित हो सकते हैं। मुख्य झटके से पूर्व या बाद भी झटके आ सकते हैं। | ||
* 7 दिसंबर 1988, उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, पच्चीस हज़ार लोगों की मौत। | ==भूकंप का मापन== | ||
* 19 सितंबर 1985, मैक्सिको में भूकंप, इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए। | भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का परिमाण पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रियेक्टर परिमाण लिया जाता है। 3 या उससे कम परिमाण की रियेक्टर तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है और 7 रियेक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। | ||
* 23 नवंबर 1980, इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए। | ==भूकंप धरती की सतह से गहराई में== | ||
* 28 जुलाई 1976, चीन का तांगशान शहर में भूकंप, पांच लाख से अधिक लोग मारे गए। | वैसे अगर हम भूकंप के कारणों की बात करें तो वैज्ञानिक बताते हैं कि [[धरती]] या [[समुद्र]] के अंदर होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते हैं। अधिकांश भूकंपों की उत्पत्ति धरती की सतह से 30 से 100 किलोमीटर अंदर होती है। सतह के नीचे धरती की परत ठंडी होने और कम दबाव के कारण भंगुर होती है। ऐसी स्थिति में जब अचानक चट्टानें गिरती हैं तो भूकंप आता है। एक अन्य प्रकार के भूकंप सतह से 100 से 650 किलोमीटर नीचे होते हैं। इतनी गहराई में धरती इतनी गर्म होती है कि सिद्धांतत: चट्टानें द्रव रूप में होनी चाहिए, यानि किसी झटके या टक्कर की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए। लेकिन ये चट्टानें भारी दबाव के माहौल में होती हैं। इसलिए यदि इतनी गहराई में भूकंप आए तो निश्चय ही भारी [[ऊर्जा]] बाहर निकलेगी। | ||
* 27 मार्च 1964, | |||
* 22 मार्च 1960, दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया, इसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई, कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61000 लोग मारे गए। | धरती की सतह से काफ़ी गहराई में उत्पन्न अब तक का सबसे बड़ा भूकंप [[1994]] में बोलीविया में रिकॉर्ड किया गया। सतह से 600 किलोमीटर दर्ज इस भूकंप की तीव्रता रियेक्टर पैमाने पर 8.3 मापी गई थी। हालाँकि वैज्ञानिक समुदाय का अब भी मानना है कि इतनी गहराई में भूकंप नहीं आने चाहिए क्योंकि चट्टान द्रव रूप में होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न रासायनिकों क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते होंगे। अत्यंत गहराई में आने वाले भूकंपों के बारे में ताज़ा अध्ययन यूनवर्सिटी कॉलेज, [[लंदन]] के मिनरल आइस एंड रॉक फिज़िक्स लैबोरेटरी में किया गया है। वैज्ञानिकों ने धरती की सतह के काफ़ी भीतर आने वाले भूंकपों की ही तरह नकली भूकंप प्रयोगशाला में पैदा करने में सफलता पाई है। ऐसे भूकंप आमतौर पर धरती की सतह से सैंकड़ों किलोमीटर अंदर होते हैं, और वैज्ञानिकों की तो यह राय है कि ऐसे भूकंप वास्तव में होते नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने इन कथित भूकंपों को प्रयोगशाला में इसलिए पैदा किया कि इसके ज़रिए धरती की अबूझ पहेलियों को समझा जा सके। ताज़ा प्रयोगों से धरती पर आए भीषणतम भूकंपों में से कुछ के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी। | ||
* 1950, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप | {| width="60%" align="right" class="bharattable-pink" | ||
* 28 जून 1948, पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मरे। | |+भूकंप की तीव्रता तथा प्रभाव<ref>{{cite web |url= http://www.bhaskar.com/news/NAT-earthquake-in-most-parts-of-delhi-up-bihar-madhya-pradesh-4974668-NOR.html|title= 6.4 तीव्रता के भूकंप से हिले भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल|accessmonthday= 25 अप्रैल|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= दैनिक भास्कर|language= हिन्दी}}</ref> | ||
* 31 मई, 1935, क्वेटा और उसके आसपास के इलाक़ों में भूकंप, लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं। | |- | ||
* 1935, ताईवान में | ! रिक्टर पैमाने पर तीव्रता | ||
* 1931, ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप, | ! प्रभाव | ||
* 1 सितंबर 1923, जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप, 142,800 लोगों की मौत। | |- | ||
* 18 अप्रैल 1906, सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे, इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए। | |0 से 1.9 | ||
* 1 नवंबर 1755 | |सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है। | ||
* 17 अगस्त 1668 टर्की में 8.0 की तीव्रता का | |- | ||
* 23 जनवरी 1556 में चीन में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 830, 000 की मौत। | |2 से 2.9 | ||
|हल्का कंपन। | |||
|- | |||
|3 से 3.9 | |||
|कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर। | |||
|- | |||
|4 से 4.9 | |||
|खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं। | |||
|- | |||
|5 से 5.9 | |||
|फर्नीचर हिल सकता है। | |||
|- | |||
|6 से 6.9 | |||
|इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। | |||
|- | |||
|7 से 7.9 | |||
|इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं। | |||
|- | |||
|8 से 8.9 | |||
|इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। | |||
|- | |||
|9 और उससे ज्यादा | |||
|पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखाई देगी। यदि समुद्र नजदीक हो तो सुनामी आने की पूर्ण सम्भावना। | |||
|} | |||
* भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है। | |||
==भूकंप के प्रभाव== | |||
भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को कमोबेश नुकसान पहुँचता है लेकिन ये प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं। भूकंप, [[भूस्खलन]] और हिम स्खलन पैदा कर सकता है, जो पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है। भूकंप के कारण, किसी विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है। भूकंप के कारण मिट्टी द्रवीकरण (Soil liquefaction) हो सकता है जिससे इमारतों और पुलों को नुक्सान पहुँच सकता है। [[समुद्र]] के भीतर भूकंप से [[सुनामी]] आ सकता है। भूकंप से क्षतिग्रस्त बाँध के कारण [[बाढ़]] आ सकती है। भूकंप से जीवन की हानि, सम्पत्ति की क्षति, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग इत्यादि होता है। | |||
==जानवरों पर भूकंप का प्रभाव== | |||
जब भूकंप आने को होता है तो पशु-पक्षी कुछ अजीब हरकतें करने लगते हैं। चूहे अपनी बिलों से बाहर आ जाते हैं। अगर यह सही है तो वैज्ञानिक पशु-पक्षियों की इस अद्भुत क्षमता को भूकंप की पूर्व सूचना प्रणाली में क्यों नहीं बदल सकते। अगर ऐसा संभव हो जाए तो प्रकृति की इस तबाही पर विजय पा सकेगा मानव। हालांकि प्रयोगशालाओं में इस पर शोध कर रहे हैं वैज्ञानिक। चूहे भूकंप आने का संकेत दे सकते हैं। [[जापान]] के शोधकर्ताओं का कुछ यही मानना है। उन्होंने पाया है कि भूकंप आने से पहले जिस तरह के विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र बनते है अगर चूहों को उन क्षेत्रों में रखा जाए तो वे अजीबोगरीब हरकतें करते हैं। ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ताकेशी यागी का कहना है कि चूहों का अजीब व्यवहार उन्होंने आठ साल पहले कोबे में आए भूकंप से एक दिन पहले अपनी प्रयोगशाला में देखा था। इस तरह के व्यवहार से भूकंप के आने का कुछ अंदेशा लगाया जा सकता है। हालाँकि जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की हरकतें एक समान नहीं रहती इसलिए पक्की भविष्यवाणी करना कठिन हो जाता है। | |||
==भारत में भूकंप== | |||
[[भारत]] भूकंप के लिहाज़ से लगातार ज़्यादा संवेदनशील इसलिए भी होता जा रहा है, क्योंकि इसकी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट एशिया के अंदर घुसती चली जा रही है। इससे जब भी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट का दबाव ऐशियन प्लेट पर ब़ढेगा तो नतीजा एक बड़े सैलाब के तौर पर दिखाई देगा। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहां-जहां मिलती हैं वहां के आसपास के [[समुद्र]] में [[सुनामी]] का ख़तरा ज़्यादा होता है। | |||
भूकंप की आशंका के आधार पर देश को पांच जोन में बांटा गया है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, [[जम्मू-कश्मीर]], [[उत्तराखंड]] तथा [[हिमाचल प्रदेश]] के कुछ हिस्से जोन-5 में आते हैं। यह हिस्सा सबसे ज़्यादा संवेदनशील कहा जा सकता है। [[उत्तराखंड]] के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर [[उत्तर प्रदेश]] के ज़्यादातर हिस्से और [[दिल्ली]] जोन-4 में आते हैं। इन्हें भी कम संवेदनशील नहीं कहा जा सकता है। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि [[दक्षिण भारत]] के ज़्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं, लेकिन यह एक मोटा वर्गीकरण है। [[दिल्ली]] में कुछ इला़के हैं, जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो ज़ोन-4 या ज़ोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे ज़ोन-5 में भी कुछ इला़के हो सकते हैं, जहां भूकंप का ख़तरा बहुत कम हो और वे ज़ोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों। इस मामले में [[बिहार]] ही एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग सभी भूकंपीय ज़ोन आते हैं। इसकी जांच के लिए भूकंपीय माइक्रोजोनेशन की ज़रूरत होती है। माइक्रोजोनेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें भवनों के पास की [[मिट्टी]] को लेकर परीक्षण किया जाता है और इसका पता लगाया जाता है कि वहां भूकंप का ख़तरा कितना है। | |||
वैज्ञानिकों का कहना है कि [[भारत]] और [[तिब्बत]] एक-दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं। इस प्रक्रिया से [[हिमालय]] क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह बड़े भूकंप आ चुके हैं। इनके मुताबिक़़ इस दबाव को कम करने का प्रकृति के पास सिर्फ़ एक ही तरीक़ा है और वह है भूकंप। इसलिए भूकंपों को रोकना तो किसी के बस की बात नहीं है, हां इतना ज़रूर है कि इनसे सावधान होकर जानमाल के नुक़सान को कम ज़रूर किया जा सकता है। | |||
====सबसे विनाशकारी भूकंप==== | |||
हाल के वर्षों में भारत में सबसे विनाशकारी भूकंप [[गुजरात]] में आया था। [[26 जनवरी]] [[2001]] को जब [[राष्ट्रपति]] राजधानी [[नई दिल्ली]] में 52 [[गणतंत्र दिवस]] पर सलामी ले रहे थे, तभी वहां से दूर गुजरात में 23.40 अक्षांस और 70.32 देशांतर तथा भूतल में 23.6 किमी. की गहराई पर भूकंप का एक तेज झटका आया। उसने राष्ट्र की उल्लासमय मनःस्थिति को राष्ट्रीय अवसाद में बदल दिया। [[15 अगस्त]] [[1950]] को [[असम]] में आए भूकंप के बाद भारत मे आया यह सबसे तेज भूकंप था। उत्तरी असम में आए 8.5 परिमाण वाले उस भूकंप ने 11,538 लोगों की जान ले ली थी। सन् 1897 में [[शिलांग]] के [[पठार]] में आए एक अन्य भूकंप का परिमाण 8.7 था। ये दोनों भूकंप इतने तेज थे कि नदियों ने अपने रास्ते बदल दिए। इतना ही नहीं भूमि के उभार में स्थाई तौर पर परिवर्तन आ गया और पत्थर ऊपर की ओर उठ गए।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/node/35833 |title=भूकंप |accessmonthday=5 जुलाई |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=इंडिया वाटर पोर्टल हिंदी |language= हिंदी}}</ref> | |||
==सावधानियाँ एवं उपाय== | |||
====भूकम्प आने के पहले==== | |||
भूकम्प आने से पहले तैयारी कर लेने से आपके घर और कारोबार को होने वाली क्षति कम करने और आपको जीवित बचने में मदद मिलती है। | |||
* एक घरेलू आपातकालीन योजना तैयार करें। अपने घर में अपने आपातकालीन बचाव वस्तुएं व्यवस्थित करें और इनका सही रखरखाव बनाए रखें, साथ ही एक साथ ले जाने योग्य गेटअवे किट (बचाव किट) भी तैयार करें। | |||
* गिरने, ढंकने और थामने का अभ्यास करें। | |||
* अपने घर में, स्कूल या कार्यस्थल में सुरक्षित स्थलों को पहचानें। | |||
* सुरक्षा और धनराशि के संदर्भ में अपनी घरेलू बीमा पॉलिसी की जांच करें। | |||
* यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका घर अपनी नीवों पर सुरक्षित है, किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लें। | |||
* भारी फर्नीचर वस्तुओं को फर्श या दीवार से मज़बूती से जोड कर रखें। | |||
====भूकम्प आने के दौरान==== | |||
* यदि आप किसी भवन के अंदर हैं, तो कुछ कदम से अधिक न चलें, खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थम जाने तक अंदर ही रहें और बाहर तभी निकलें जब आप यह निश्चित कर लें कि अब ऐसा करना सुरक्षित है। | |||
* यदि आप किसी एलिवेटर पर हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थमने पर नजदीकी फर्श पर जाने की कोशिश करें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें। | |||
* यदि आप बाहर हैं, तो इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीटलाइटों और बिजली की लाईनों से कुछ कदम से अधिक दूर न जाएं, फिर खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। | |||
* यदि आप किसी बीच पर तट के निकट हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें और फिर तत्काल ऊंची जमीन की ओर जाएं यदि भूकम्प के बाद [[सुनामी]] आ रही हो। | |||
* यदि आप वाहन चला रहे हैं, तो किसी खुली जगह तक जाएं, रूकें और वहीं ठहरें और अपनी सीटबेल्ट को तब तक कसे रखें जब तक कि कम्पन न थम जाएं। एक बार कम्पन थम जाने पर, सावधानीपूर्वक आगे बढ़ें और उन पुलों या ढलानों पर न जाएं जो क्षतिग्रस्त हो चुके हो सकते हैं। | |||
* यदि आप किसी पर्वतीय क्षेत्र में या अस्थिर ढलानों या खड़ी चट्टानों पर हैं, तो मलबा गिरने या [[भूस्खलन]] होने के प्रति सचेत रहें। | |||
====भूकम्प आने के बाद==== | |||
* अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों का प्रसारण सुनें जहां आपातस्थिति प्रबंधन कर्मचारी, आपके समुदाय और परिस्थिति के लिए सबसे उपयुक्त सलाह देंगे। | |||
* भूकम्प के बाद के झटके महसूस करने के लिए तैयार रहें। | |||
* यदि चोट लगी हो तो अपनी जांच करें और आवश्यक होने पर प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त करें। दूसरों की मदद करें यदि आप ऐसा कर सकें। | |||
* सतर्क रहें कि बिजली आपूर्ति भंग हो सकती है और फायर अलार्म तथा स्प्रिंकलर सिस्टम भूकम्प के दौरान भवन में काम करना बंद कर सकते हैं चाहे आग न लगी हो। इसकी जांच करें और छोटी-मोटी आग हो तो बुझा दें। | |||
* यदि आप किसी क्षतिग्रस्त भवन में हैं, तो बाहर आने की कोशिश करें और एक सुरक्षित, खुला स्थान खोजें। एलिवेटरों के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। | |||
* बिजली की गिरी हुई लाईनों या टूटी गैस लाईनों का ध्यान रखें और क्षतिग्रस्त इलाके से बाहर निकल जाएं। | |||
* आपातकालीन कॉलों के लिए लाईनें खुली रखने के लिए फोन का उपयोग केवल छोटी, ज़रूरी कॉलों के लिए ही करें। | |||
* यदि आपको गैस की गंध आती है या आप कोई धमाके या सरसराहट की आवाज़ सुनते हैं, तो एक खिड़की खोलें, हर एक को जल्दी से बाहर निकालें और गैस बंद कर दें यदि आप ऐसा कर सकें। यदि आप चिंगारियां निकलती देखें, टूटे हुए तार या बिजली के सिस्टम क्षतिग्रस्त हो चुके देखें, तो मुख्य फ्यूज बॉक्स से बिजली आपूर्ति बंद कर दें यदि ऐसा करना सुरक्षित हो। | |||
* अपने जानवरों को अपने सीधे नियंत्रण में रखें वरना वे बेचैन होकर इधर-उधर भाग सकते हैं। अपने जानवरों को खतरों से बचाने और अन्य लोगों को आपके जानवरों से बचाने के उपाय करें। | |||
* यदि आपकी संपत्ति नष्ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें। यदि आपकी सम्पत्ति किराए की है, तो अपने मकान-मालिक से सम्पर्क करें और अपनी संबंधित बीमा कंपनी से सम्पर्क करें जितनी जल्दी संभव हो सके।<ref>{{cite web |url=http://www.getthru.govt.nz/web/GetThru.nsf/web/APRE-7HX2QN?OpenDocument |title=भूकम्प |accessmonthday=5 जुलाई |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=get ready get thru|language=हिंदी }}</ref> | |||
==कुछ भूकंपों के बारे में== | |||
प्रागैतिहासिक समय से ही हमारी धरती में भूकंप होते रहे हैं। हर साल हज़ारों भूकंप होते हैं, जिनमें से ज़्यादातर हम महसूस नहीं कर पाते हैं। क्यूंकि या तो वो रियेक्टर स्केल में बहुत नीचे होते हैं या फिर ऐसी जगह होते हैं जहाँ जान माल का कोई नुकसान नहीं होता है। हमें भूकंपों के बारे में तब पता चलता है जब वो जनबहूल स्थानों में होता है और जान-माल का भारी नुक्सान पैदा करता है। मानव इतिहास में कई ऐसे भूकंपों के बारे में जानकारी है जो केवल बहुत शक्तिशाली ही नहीं थे बल्कि भयानक रूप से विनाशकारी भी थे। | |||
* [[1 नवम्बर]] 1755 (लिस्बोन, पोर्तुगल) – यह पहला भूकंप है जिसका वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था। इस भूकंप में 70000 लोग मारे गए थे। इस भूकंप की वजह से जो [[सुनामी]] आई थी और आग लगी थी उससे लिस्बोन शहर लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 9 आंकी गई है। | |||
* 1811 - 1812 (न्यू माद्रिद, USA) – भूकंपों का एक ऐसा क्रम जो [[16 दिसंबर]] 1811 से शुरू हुआ था। उस दिन दो बड़े झटके आये थे रियेक्टर पैमाने पर जिनकी तीव्रता 7.1 से 8.2 आंकी गई है। इस भूकंप क्रम का कारण न्यू माद्रिद उत्तर दोष बताया जाता है। शहर के बहुत सारे मकान ध्वस्त हो गए थे पर ज़्यादा लोगों के मरने का खबर नहीं है। इस झटकों को लगभग दो तिहाई अमेरिका में महसूस किया गया था। | |||
* [[31 अगस्त]], [[1886]] (चार्ल्सटन, दक्षिण करोलिना) – यह भूकंप एक शक्तिशाली अन्तःप्लेट भूकंप था। केवल एक मिनट में ही यह भूकंप 2000 मकानों को ध्वस्त कर दिया था (शहर की एक चौथाई भाग) और क़रीब 100 लोग मारे गए थे। रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.6 से 7.3 आंकी गई है। | |||
* [[31 जनवरी]] [[1906]] (इकुआदोर-कोलोम्बिया) – रियेक्टर पैमाने पर 8.8 आंकी गई इस भूकंप को दुनिया का पांचवा सबसे शक्तिशाली भूकंप मन जाता है। तटीय क्षेत्र के शहर एस्मेराल्दास के पास आया इस भूकंप से जो सुनामी आई थी उससे तटीय क्षेत्र में रहने वाले 500 से 1500 लोगों की मौत हो गई थी। यह भूकंप नाज्का प्लेट और दक्षिण अमरीकिय प्लेट के बीच अभिकेंद्रित सीमा पर आया था। इस सीमा पर नाज्का प्लेट दक्षिण अमरीकिय प्लेट के नीचे जा रहा है। | |||
* [[18 अप्रैल]] [[1906]] (सैन फ्रांसिस्को, कलिफोर्निया) – रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7,7 से 8.2 आंकी गई है। इसके झटके ओरेगोन से लेकर लोस एंजेल्स तक महसूस किये गए थे। यह भूकंप और इसकी वजह से लगी आग, अमरीका के इतिहास का सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा के रूप में याद किया जाता है। क़रीब 300 लोग अपने जान से हाथ धो बैठे थे। | |||
* [[1 सितम्बर]] [[1923]] (टोक्यो, [[जापान]]) – दोपहर से पहले आई इस भयंकर भूकंप को रियेक्टर पैमाने पर 8.3 आंकी गई है। जापान में आई भूकंपों में सबसे भयानक भूकंप था। इस भूकंप से टोक्यो और योकोहामा शहरों में भयंकर तबाही मची थी। भूकंप से चारों ओर आग लग गई थी। पानी के नल फट जाने के कारण [[आग]] बुझाने में बहुत दिक्कतें आई थी। क़रीब 100000 लोग मारे गए थे। 40000 लोगों का आजतक कोई अता-पता नहीं मिला है। आग इतना भयंकर रूप धारण कर चुकी थी कि होंजो और फुकुगावा नामक जगहों पर एक साथ क़रीब 30000 लोग जल मरे थे। इस भूकंप को ग्रेट कांतो अर्थक्वेक (Great Kanto Earthquake) के नाम से जाना जाता है। | |||
* [[4 नवंबर]] [[1952]] (कमचटका, रशिया) – इस भूकंप को दुनिया का चौथा शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। रियेक्टर पैमाने पर 9.0 नापी गई इस भूकंप से आई सुनामी से कमचटका, कुरील द्वीपसमूह में काफ़ी जान-माल का नुकसान हुआ था। इस भूकंप का केन्द्र ज़मीन से 30 किमी नीचे था। | |||
* [[22 मई]] [[1960]] (वल्दिविया, चिली) - रियेक्टर पैमाने पर 9.5 आंकी गई इस भूकंप से 20000 लोग मारे गए थे। इसे आजतक के सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इसके चलते जो सुनामी आई थी उससे चिली, हवाई, जापान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड तथा [[ऑस्ट्रेलिया]] तक प्रभावित हुए थे। 10.7 मीटर ऊँची लहरों कि वजह से चिली के तटीय इलाके में बहुत तबाही मची थी। क़रीब 5000 से 6000 लोग मारे गए थे। | |||
* [[27 मार्च]] [[1964]] (प्रिंस विलिआम, अलास्का) – रियेक्टर पैमाने पर 9.2 नापी गई इस भूकंप को दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। चार मिनिट तक चले इस भूकंप में ज़मीन फट गई थी, मकानें ध्वस्त हो गई थी, पानी के पाइप फट गए थे, बिजली के खम्बे उखड गए थे और क़रीब 150 से 200 लोगों की मौत हुई थी। इससे जो सुनामी हुई थी उससे एक गांव के 23 लोग मारे गए थे (उस गांव के केवल 68 लोग ही रहते थे)। तटीय भूस्खलन से एक जहाज़ के 30 लोग एक साथ मारे गए थे। | |||
* [[28 जुलाई]] [[1976]] (तांगशान, [[चीन]]) – बीसवी [[सदी]] में आने वाले भूकंपों में सबसे ज़्यादा लोग इसी भूकंप में मारे गए थे। इसका अधिकेंद्र चीन के हेबेई प्रान्त के तांगशान शहर के पास था। इस औद्योगिक शहर में उस समय क़रीब 10 लाख लोग रह रहे थे, जिसमें से क़रीब ढाई लाख लोगों के मारे जाने कि पुष्टि हुई थी और क़रीब डेढ़ लाख लोग ज़ख़्मी हो गए थे। इस भूकंप को रियेक्टर पैमाने पर 7.8 से 8.2 आँका गया है। | |||
* [[26 दिसम्बर]] [[2004]] (सुमात्रा- इंडोनेशिया) – इस भूकंप को दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। रियेक्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9.3 आँका गया है। इसका अधिकेंद्र सुमात्र-इंडोनेशिया के पास समुद्र तल में था। इस भूकंप और इससे आये भयंकर सुनामी से 300000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। इस सुनामी में [[भारत]] के पूर्व तटीय इलाके में भी भारी जान-माल का नुकसान हुआ था। | |||
* [[11 मार्च]] [[2011]] ([[जापान]]) - रियेक्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9 आँका गया है। जापान की राजधानी टोक्यो के उत्तरपूर्व में समुद्र तल के 24 किमी नीचे उत्पन्न इस भूकंप से उठी सुनामी लहरों से जापान के पूर्व तट में स्थित होन्शु और सेंदाई शहर तथा तटवर्ती कई जनबस्ती में भारी नुकसान हुआ है। कई जगह आग लग जाने से जान-माल का नुकसान हुआ है। भूकंप से अब तक 14650 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने का अंदेशा लगाया जा रहा है। फुकुशिमा स्थित नाभिकीय उर्जा संयंत्र में भूकंप और सुनामी की वजह से नुकसान हुआ है। उस संयंत्र के 20 किमी दायरे में रह रहे लगभग 200000 लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया है तथा 30 किमी दायरे में सभी लोगों को घर के अंदर रहने की हिदायत दी गई है ताकि वो परमाणु विकिरण से बचे रहे। दरअसल जापान ऐसी जगह स्थित है जहाँ तीन प्लेट मिलकर एक अभिकेंद्रित सीमा बना रहे हैं। यहाँ पसिफिक प्लेट, फिलीपिंस प्लेट और उत्तर अमरीकी प्लेट के नीचे जा रहा है। | |||
==विश्व के कुछ बड़े विनाशकारी भूकंपों का लेखा-जोखा== | |||
* [[11 मार्च]] [[2011]], जापान के उत्तरी पूर्वी तट पर 9.0 की तीव्रता के भूकंप से सुनामी, 10,000 से अधिक लोगों की मौत। | |||
* [[9 मई]] [[2010]], इंडोनेशिया में 7.2 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत। | |||
* [[13 अप्रैल]] [[2010]], [[चीन]] में 6.9 की तीव्रता का भूकंप, 2500 की मौत। | |||
* [[12 जनवरी]] [[2010]], हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप, 2 लाख लोगों की मौत। | |||
* [[30 सितंबर]] [[2009]], इंडोनेशिया, सुमात्रा में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, 1100 की मौत। | |||
* [[29 सितंबर]] [[2009]], सैमोन द्वीप में 8.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत। | |||
* [[10 अगस्त]] [[2009]], [[अंडमान-निकोबार द्वीप समूह|अंडमान निकोबार]] में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, कोई हताहत नहीं। | |||
* [[6 अप्रैल]] [[2009]], [[इटली]] के लैकिला शहर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत। | |||
* [[3 फ़रवरी]] [[2008]], कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया, इसमें 45 लोग मारे गए। | |||
* [[6 मार्च]] [[2007]], इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत। | |||
* [[27 मई]] [[2006]], इंडोनेशिया के जकार्ता में भूकंप, छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए। | |||
* [[8 अक्टूबर]] [[2005]], [[पाकिस्तान]] में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप, क़रीब 75 हज़ार लोग मारे गए। | |||
* [[28 मार्च]] [[2005]], इंडोनेशिया में 8.7 तीव्रता वाला भूकंप, लगभग 1300 लोग मारे गए। | |||
* [[22 फ़रवरी]] [[2005]], [[ईरान]] के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे। | |||
* [[26 दिसंबर]] [[2004]], 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण उत्पन्न [[सुनामी]] ने [[एशिया]] में हज़ारों लोगों की जान गई। | |||
* [[24 फ़रवरी]] [[2004]], मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी। | |||
* [[26 दिसंबर]] [[2003]], दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। | |||
* [[21 मई]] [[2003]], अल्जीरिया में भूकंप आया, दो हज़ार लोगों की मौत और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे। | |||
* [[1 मई]] [[2003]], तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे। | |||
* [[24 फरवरी]] [[2003]], पश्चिमी चीन में भूकंप, 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर। | |||
* [[21 नवंबर]] [[2002]], पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत। | |||
* [[31 अक्टूबर]] [[2002]], इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए। | |||
* [[12 अप्रैल]] [[2002]], उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था, इसमें अनेक लोग मारे गए। | |||
* [[25 मार्च]] [[2002]], [[अफ़ग़ानिस्तान]] के उत्तरी इलाक़े में 6 की तीव्रता का भूकंप, 800 से ज़्यादा लोग मरे। | |||
* [[3 मार्च]] [[2002]], अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया, 150 लोग मारे गए। | |||
* [[3 फ़रवरी]] [[2002]], पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे, हज़ारों लोग बेघर। | |||
* [[24 जून]] [[2001]], दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे, भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे। | |||
* [[13 फ़रवरी]] [[2001]], अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए, इस भूकंप को रियेक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया। | |||
* [[26 जनवरी]] [[2001]], [[भारत]] के [[गुजरात]] में 7.9 तीव्रता का भूकंप, तीस हज़ार लोग मारे गए और क़रीब 10 लाख लोग बेघर हो गए, [[भुज]] और [[अहमदाबाद]] पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा। | |||
* [[13 जनवरी]] [[2001]], अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 700 से भी अधिक लोग मारे गए। | |||
* [[6 अक्टूबर]] [[2000]], जापान में 7.1 तीव्रता का एक भूकंप, 30 लोग घायल हुए और कई लापता और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा। | |||
* [[21 सितंबर]] [[1999]], ताईवान में 7.6 तीव्रता का भूकंप, ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा। | |||
* [[17 अगस्त]] [[1999]], तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में 7.4 तीव्रता का भूकंप, 17000 से ज़्यादा लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल हुए। | |||
* [[29 मार्च]] [[1999]], [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[उत्तरकाशी]] और [[चमोली]] में दो भूकंप। 100 से अधिक लोग मारे गए। | |||
* [[25 जनवरी]] [[1999]], कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप. क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए। | |||
* [[17 जुलाई]] [[1998]], न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आया भूकंप, एक हज़ार से अधिक मरे। | |||
* [[26 जून]] [[1998]], तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 144 लोग मारे गए, एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए। | |||
* [[30 मई]] [[1998]], उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप, चार हज़ार लोग मारे गए। | |||
* [[फ़रवरी]] [[1997]], उत्तर-पश्चिमी ईरान में 5.5 तीव्रता का एक भूकंप, एक हज़ार लोग मारे गए, तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए। | |||
* [[27 मई]] [[1995]], रूस के पूर्वी द्वीप सख़ालीन में 7.5 तीव्रता का भूकंप, दो हज़ार लोग मरे। | |||
* [[17 जनवरी]] [[1995]], जापान के कोबे शहर में भूकंप, छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए। | |||
* [[6 जून]] [[1994]], कोलंबिया में आया भूकंप, क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए। | |||
* [[30 सितंबर]] [[1993]], [[भारत]] के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंप से क़रीब दस हज़ार लोगों की मौत। | |||
* [[21 जून]] [[1990]], ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में भूकंप, चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत। | |||
* [[17 अक्टूबर]] [[1989]], कैलिफ़ोर्निया में भूकंप, 68 लोग मारे गए। | |||
* [[7 दिसंबर]] [[1988]], उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, पच्चीस हज़ार लोगों की मौत। | |||
* [[19 सितंबर]] [[1985]], मैक्सिको में भूकंप, इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए। | |||
* [[23 नवंबर]] [[1980]], इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए। | |||
* [[28 जुलाई]] [[1976]], [[चीन]] का तांगशान शहर में भूकंप, पांच लाख से अधिक लोग मारे गए। | |||
* [[27 मार्च]] [[1964]], रियेक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए। | |||
* [[22 मार्च]] [[1960]], दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया, इसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई, कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61000 लोग मारे गए। | |||
* [[1950]], [[भारत]] के उत्तर-पूर्वी राज्य [[असम]] में भयानक भूकंप आया। ये इतना तेज़ था कि सेस्मोग्राफ़ की सुईयां टूट गईं। लेकिन सरकारी तौर पर रियेक्टर स्केल पर इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया। | |||
* [[28 जून]] [[1948]], पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मरे। | |||
* [[31 मई]], [[1935]], [[क्वेटा]] और उसके आसपास के इलाक़ों में भूकंप, लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं। | |||
* [[1935]], ताईवान में रियेक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से तीन हज़ार दो सौ लोग मारे गए। | |||
* [[1931]], ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप, रियेक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी और इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ। | |||
* [[1 सितंबर]] [[1923]], जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप, 142,800 लोगों की मौत। | |||
* [[18 अप्रैल]] [[1906]], सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे, इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए। | |||
* [[1 नवंबर]] 1755 [[पुर्तग़ाल]] में 8.7 की तीव्रता का भूकंप, 70,000 की मौत। | |||
* [[17 अगस्त]] 1668 टर्की में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 8000 की मौत। | |||
* [[23 जनवरी]] 1556 में [[चीन]] में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 830, 000 की मौत। | |||
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10:07, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
भूकंप
| |
विवरण | पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप को भूकंप कहते हैं। |
मापन यंत्र | सीस्मोमीटर या सीस्मोग्राफ |
ईकाई | रियेक्टर |
भूकंप का कारण | भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। |
भूकंप के प्रभाव | भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को नुकसान पहुँचता है। |
अन्य जानकारी | वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत और तिब्बत एक-दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं। इस प्रक्रिया से हिमालय क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह बड़े भूकंप आ चुके हैं। |
भूकंप (अंग्रेज़ी:Earthquake) पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप को कहते हैं। यह उर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करता है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट होता है। भूगर्भ में भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु को केन्द्र या हाईपो सेंटर कहा जाता है। हाईपो सेंटर के ठीक ऊपर ज़मीन के सतह पर जो बिंदु है उसे अधिकेन्द्र कहा जाता है। भूकंपी तरंगें मूलतः तीन प्रकार के होते हैं।
- प्राइमरी तरंग (P wave)
- सेकंडरी तरंग (S wave)
- सतही तरंगें (surface waves)।
इनमें से सबसे खतरनाक और क्षतिकारक सतही तरंगें ही होते हैं।
भूकंप की उत्पत्ति
भूकंप की उत्पत्ति के बारे में समझने के लिए ज़रूरी है पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के बारे में समझना। धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों। उपरी सतह से लेकर अन्तर्भाग तक, पृथ्वी, कई परतों में बनी हुई है। पृथ्वी की बाहरी सतह कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेट में विभाजित है जो क्रमशः कई लाख सालों की अवधी में पूरे सतह से विस्थापित होती है। पृथ्वी का आतंरिक सतह एक अपेक्षाकृत ठोस भूपटल की मोटी परत से बनी हुई है और सबसे अन्दर होता है एक कोर, जो एक तरल बाहरी कोर और एक ठोस लोहा का आतंरिक कोर से बनी हुई है। बाहरी सतह के जो विवर्तनिक प्लेट हैं वो बहुत धीरे धीरे गतिमान हैं। यह प्लेट आपस में टकराते भी हैं और एक दुसरे से अलग भी होते हैं। ऐसी स्थिति में घर्षण के कारण भूखंड या पत्थरों में अचानक दरारें फुट सकती हैं। इस अचानक तेज हलचल के कारण जो शक्ति उत्सर्जित होती है, वही भूकंप के रूप में तबाही मचाती है।
भूकंप के कारण
भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं।
प्लेट सीमाएं
प्लेट सीमाएं तीन प्रकार के होते हैं।
- रूपांतरित (transform)
- अपसारी (divergent)
- अभिकेंद्रित (convergent)।
ज़्यादातर भूकंप रूपांतरित या फिर अभिकेंद्रित सीमाओं पर होती है। रूपांतरित सीमाओं पर दो प्लेट एक दुसरे से घिसकर जाते हैं। इस घर्षण के कारण दो प्लेट के सीमा पर तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव बढते बढते ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब भूगर्भीय पत्थर इस तनाव को झेल न पाने के कारण अकस्मात टूटते हैं। तनाव उर्जा का यह अचानक बाहर आना ही भूकंप को जन्म देता है। अभिकेंद्रित प्लेट सीमाओं में एक प्लेट दुसरे प्लेट से टकराता है। ऐसे में या तो एक प्लेट दुसरे प्लेट के नीचे सरक जाता है (जो महाद्वीपीय और समुद्रीय किनारे के टकराव में होता है) या फिर पर्वत-श्रंखला का जन्म होता है (जो दो महाद्वीपीय किनारों के टकराव में होता है)। दोनों ही स्थिति में प्लेट सीमाओं पर भयानक तनाव उत्पन्न होता है जिसके अचानक निष्कासन से भूकंप होता है। ज़्यादातर गहरे केन्द्र वाले भूकंप अभिकेंद्रित सीमा पर होता है। 70 किलोमीटर से कम की गहराई पर उत्पन्न होने वाले भूकंप 'छिछले-केन्द्र' के भूकंप कहलाते हैं, जबकि 70-300 किलोमीटर के बीच की गहराई से उत्पन्न होने वाले भूकंप 'मध्य-केन्द्रीय' भूकंप कहलाते हैं। सबडक्शन क्षेत्र (subduction zones) में जहाँ पुरानी और ठंडी समुद्री परत अन्य टेक्टोनिक प्लेट के नीचे खिसक जाती है, गहरे केंद्रित भूकंप (deep-focus earthquake) अधिक गहराई पर (300 से लेकर 700 किलोमीटर तक) आ सकते हैं। अपसारी प्लेट सीमाओं पर भी ज्वालामुखिओं के कारण भूकंप होते रहते हैं। जहाँ प्लेट सीमायें महाद्वीपीय स्थलमंडल में उत्पन्न होती हैं, विरूपण प्लेट की सीमा से बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है। महाद्वीपीय विरूपण सान अन्द्रिअस दोष (San Andreas fault) के मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं।
सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं। ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप (intraplate earthquake) को जन्म देते हैं। भूकंप अक्सर अन्तःप्लेट क्षेत्रों में भी ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न होते हैं। यहाँ इनके दो कारण होते हैं, टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा (magma) की गतिविधि। ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी भी हो सकते हैं। एक क्रम में होने वाले अधिकांश भूकंप, स्थान और समय के संदर्भ में एक दूसरे से सम्बंधित हो सकते हैं। मुख्य झटके से पूर्व या बाद भी झटके आ सकते हैं।
भूकंप का मापन
भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का परिमाण पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रियेक्टर परिमाण लिया जाता है। 3 या उससे कम परिमाण की रियेक्टर तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है और 7 रियेक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है।
भूकंप धरती की सतह से गहराई में
वैसे अगर हम भूकंप के कारणों की बात करें तो वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती या समुद्र के अंदर होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते हैं। अधिकांश भूकंपों की उत्पत्ति धरती की सतह से 30 से 100 किलोमीटर अंदर होती है। सतह के नीचे धरती की परत ठंडी होने और कम दबाव के कारण भंगुर होती है। ऐसी स्थिति में जब अचानक चट्टानें गिरती हैं तो भूकंप आता है। एक अन्य प्रकार के भूकंप सतह से 100 से 650 किलोमीटर नीचे होते हैं। इतनी गहराई में धरती इतनी गर्म होती है कि सिद्धांतत: चट्टानें द्रव रूप में होनी चाहिए, यानि किसी झटके या टक्कर की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए। लेकिन ये चट्टानें भारी दबाव के माहौल में होती हैं। इसलिए यदि इतनी गहराई में भूकंप आए तो निश्चय ही भारी ऊर्जा बाहर निकलेगी।
धरती की सतह से काफ़ी गहराई में उत्पन्न अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 1994 में बोलीविया में रिकॉर्ड किया गया। सतह से 600 किलोमीटर दर्ज इस भूकंप की तीव्रता रियेक्टर पैमाने पर 8.3 मापी गई थी। हालाँकि वैज्ञानिक समुदाय का अब भी मानना है कि इतनी गहराई में भूकंप नहीं आने चाहिए क्योंकि चट्टान द्रव रूप में होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न रासायनिकों क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते होंगे। अत्यंत गहराई में आने वाले भूकंपों के बारे में ताज़ा अध्ययन यूनवर्सिटी कॉलेज, लंदन के मिनरल आइस एंड रॉक फिज़िक्स लैबोरेटरी में किया गया है। वैज्ञानिकों ने धरती की सतह के काफ़ी भीतर आने वाले भूंकपों की ही तरह नकली भूकंप प्रयोगशाला में पैदा करने में सफलता पाई है। ऐसे भूकंप आमतौर पर धरती की सतह से सैंकड़ों किलोमीटर अंदर होते हैं, और वैज्ञानिकों की तो यह राय है कि ऐसे भूकंप वास्तव में होते नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने इन कथित भूकंपों को प्रयोगशाला में इसलिए पैदा किया कि इसके ज़रिए धरती की अबूझ पहेलियों को समझा जा सके। ताज़ा प्रयोगों से धरती पर आए भीषणतम भूकंपों में से कुछ के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी।
रिक्टर पैमाने पर तीव्रता | प्रभाव |
---|---|
0 से 1.9 | सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है। |
2 से 2.9 | हल्का कंपन। |
3 से 3.9 | कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर। |
4 से 4.9 | खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं। |
5 से 5.9 | फर्नीचर हिल सकता है। |
6 से 6.9 | इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। |
7 से 7.9 | इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं। |
8 से 8.9 | इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। |
9 और उससे ज्यादा | पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखाई देगी। यदि समुद्र नजदीक हो तो सुनामी आने की पूर्ण सम्भावना। |
- भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
भूकंप के प्रभाव
भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को कमोबेश नुकसान पहुँचता है लेकिन ये प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं। भूकंप, भूस्खलन और हिम स्खलन पैदा कर सकता है, जो पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है। भूकंप के कारण, किसी विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है। भूकंप के कारण मिट्टी द्रवीकरण (Soil liquefaction) हो सकता है जिससे इमारतों और पुलों को नुक्सान पहुँच सकता है। समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है। भूकंप से क्षतिग्रस्त बाँध के कारण बाढ़ आ सकती है। भूकंप से जीवन की हानि, सम्पत्ति की क्षति, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग इत्यादि होता है।
जानवरों पर भूकंप का प्रभाव
जब भूकंप आने को होता है तो पशु-पक्षी कुछ अजीब हरकतें करने लगते हैं। चूहे अपनी बिलों से बाहर आ जाते हैं। अगर यह सही है तो वैज्ञानिक पशु-पक्षियों की इस अद्भुत क्षमता को भूकंप की पूर्व सूचना प्रणाली में क्यों नहीं बदल सकते। अगर ऐसा संभव हो जाए तो प्रकृति की इस तबाही पर विजय पा सकेगा मानव। हालांकि प्रयोगशालाओं में इस पर शोध कर रहे हैं वैज्ञानिक। चूहे भूकंप आने का संकेत दे सकते हैं। जापान के शोधकर्ताओं का कुछ यही मानना है। उन्होंने पाया है कि भूकंप आने से पहले जिस तरह के विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र बनते है अगर चूहों को उन क्षेत्रों में रखा जाए तो वे अजीबोगरीब हरकतें करते हैं। ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ताकेशी यागी का कहना है कि चूहों का अजीब व्यवहार उन्होंने आठ साल पहले कोबे में आए भूकंप से एक दिन पहले अपनी प्रयोगशाला में देखा था। इस तरह के व्यवहार से भूकंप के आने का कुछ अंदेशा लगाया जा सकता है। हालाँकि जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की हरकतें एक समान नहीं रहती इसलिए पक्की भविष्यवाणी करना कठिन हो जाता है।
भारत में भूकंप
भारत भूकंप के लिहाज़ से लगातार ज़्यादा संवेदनशील इसलिए भी होता जा रहा है, क्योंकि इसकी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट एशिया के अंदर घुसती चली जा रही है। इससे जब भी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट का दबाव ऐशियन प्लेट पर ब़ढेगा तो नतीजा एक बड़े सैलाब के तौर पर दिखाई देगा। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहां-जहां मिलती हैं वहां के आसपास के समुद्र में सुनामी का ख़तरा ज़्यादा होता है।
भूकंप की आशंका के आधार पर देश को पांच जोन में बांटा गया है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में आते हैं। यह हिस्सा सबसे ज़्यादा संवेदनशील कहा जा सकता है। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर हिस्से और दिल्ली जोन-4 में आते हैं। इन्हें भी कम संवेदनशील नहीं कहा जा सकता है। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण भारत के ज़्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं, लेकिन यह एक मोटा वर्गीकरण है। दिल्ली में कुछ इला़के हैं, जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो ज़ोन-4 या ज़ोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे ज़ोन-5 में भी कुछ इला़के हो सकते हैं, जहां भूकंप का ख़तरा बहुत कम हो और वे ज़ोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों। इस मामले में बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग सभी भूकंपीय ज़ोन आते हैं। इसकी जांच के लिए भूकंपीय माइक्रोजोनेशन की ज़रूरत होती है। माइक्रोजोनेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें भवनों के पास की मिट्टी को लेकर परीक्षण किया जाता है और इसका पता लगाया जाता है कि वहां भूकंप का ख़तरा कितना है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत और तिब्बत एक-दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं। इस प्रक्रिया से हिमालय क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह बड़े भूकंप आ चुके हैं। इनके मुताबिक़़ इस दबाव को कम करने का प्रकृति के पास सिर्फ़ एक ही तरीक़ा है और वह है भूकंप। इसलिए भूकंपों को रोकना तो किसी के बस की बात नहीं है, हां इतना ज़रूर है कि इनसे सावधान होकर जानमाल के नुक़सान को कम ज़रूर किया जा सकता है।
सबसे विनाशकारी भूकंप
हाल के वर्षों में भारत में सबसे विनाशकारी भूकंप गुजरात में आया था। 26 जनवरी 2001 को जब राष्ट्रपति राजधानी नई दिल्ली में 52 गणतंत्र दिवस पर सलामी ले रहे थे, तभी वहां से दूर गुजरात में 23.40 अक्षांस और 70.32 देशांतर तथा भूतल में 23.6 किमी. की गहराई पर भूकंप का एक तेज झटका आया। उसने राष्ट्र की उल्लासमय मनःस्थिति को राष्ट्रीय अवसाद में बदल दिया। 15 अगस्त 1950 को असम में आए भूकंप के बाद भारत मे आया यह सबसे तेज भूकंप था। उत्तरी असम में आए 8.5 परिमाण वाले उस भूकंप ने 11,538 लोगों की जान ले ली थी। सन् 1897 में शिलांग के पठार में आए एक अन्य भूकंप का परिमाण 8.7 था। ये दोनों भूकंप इतने तेज थे कि नदियों ने अपने रास्ते बदल दिए। इतना ही नहीं भूमि के उभार में स्थाई तौर पर परिवर्तन आ गया और पत्थर ऊपर की ओर उठ गए।[2]
सावधानियाँ एवं उपाय
भूकम्प आने के पहले
भूकम्प आने से पहले तैयारी कर लेने से आपके घर और कारोबार को होने वाली क्षति कम करने और आपको जीवित बचने में मदद मिलती है।
- एक घरेलू आपातकालीन योजना तैयार करें। अपने घर में अपने आपातकालीन बचाव वस्तुएं व्यवस्थित करें और इनका सही रखरखाव बनाए रखें, साथ ही एक साथ ले जाने योग्य गेटअवे किट (बचाव किट) भी तैयार करें।
- गिरने, ढंकने और थामने का अभ्यास करें।
- अपने घर में, स्कूल या कार्यस्थल में सुरक्षित स्थलों को पहचानें।
- सुरक्षा और धनराशि के संदर्भ में अपनी घरेलू बीमा पॉलिसी की जांच करें।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका घर अपनी नीवों पर सुरक्षित है, किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लें।
- भारी फर्नीचर वस्तुओं को फर्श या दीवार से मज़बूती से जोड कर रखें।
भूकम्प आने के दौरान
- यदि आप किसी भवन के अंदर हैं, तो कुछ कदम से अधिक न चलें, खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थम जाने तक अंदर ही रहें और बाहर तभी निकलें जब आप यह निश्चित कर लें कि अब ऐसा करना सुरक्षित है।
- यदि आप किसी एलिवेटर पर हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्पन थमने पर नजदीकी फर्श पर जाने की कोशिश करें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें।
- यदि आप बाहर हैं, तो इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीटलाइटों और बिजली की लाईनों से कुछ कदम से अधिक दूर न जाएं, फिर खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें।
- यदि आप किसी बीच पर तट के निकट हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें और फिर तत्काल ऊंची जमीन की ओर जाएं यदि भूकम्प के बाद सुनामी आ रही हो।
- यदि आप वाहन चला रहे हैं, तो किसी खुली जगह तक जाएं, रूकें और वहीं ठहरें और अपनी सीटबेल्ट को तब तक कसे रखें जब तक कि कम्पन न थम जाएं। एक बार कम्पन थम जाने पर, सावधानीपूर्वक आगे बढ़ें और उन पुलों या ढलानों पर न जाएं जो क्षतिग्रस्त हो चुके हो सकते हैं।
- यदि आप किसी पर्वतीय क्षेत्र में या अस्थिर ढलानों या खड़ी चट्टानों पर हैं, तो मलबा गिरने या भूस्खलन होने के प्रति सचेत रहें।
भूकम्प आने के बाद
- अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों का प्रसारण सुनें जहां आपातस्थिति प्रबंधन कर्मचारी, आपके समुदाय और परिस्थिति के लिए सबसे उपयुक्त सलाह देंगे।
- भूकम्प के बाद के झटके महसूस करने के लिए तैयार रहें।
- यदि चोट लगी हो तो अपनी जांच करें और आवश्यक होने पर प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त करें। दूसरों की मदद करें यदि आप ऐसा कर सकें।
- सतर्क रहें कि बिजली आपूर्ति भंग हो सकती है और फायर अलार्म तथा स्प्रिंकलर सिस्टम भूकम्प के दौरान भवन में काम करना बंद कर सकते हैं चाहे आग न लगी हो। इसकी जांच करें और छोटी-मोटी आग हो तो बुझा दें।
- यदि आप किसी क्षतिग्रस्त भवन में हैं, तो बाहर आने की कोशिश करें और एक सुरक्षित, खुला स्थान खोजें। एलिवेटरों के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- बिजली की गिरी हुई लाईनों या टूटी गैस लाईनों का ध्यान रखें और क्षतिग्रस्त इलाके से बाहर निकल जाएं।
- आपातकालीन कॉलों के लिए लाईनें खुली रखने के लिए फोन का उपयोग केवल छोटी, ज़रूरी कॉलों के लिए ही करें।
- यदि आपको गैस की गंध आती है या आप कोई धमाके या सरसराहट की आवाज़ सुनते हैं, तो एक खिड़की खोलें, हर एक को जल्दी से बाहर निकालें और गैस बंद कर दें यदि आप ऐसा कर सकें। यदि आप चिंगारियां निकलती देखें, टूटे हुए तार या बिजली के सिस्टम क्षतिग्रस्त हो चुके देखें, तो मुख्य फ्यूज बॉक्स से बिजली आपूर्ति बंद कर दें यदि ऐसा करना सुरक्षित हो।
- अपने जानवरों को अपने सीधे नियंत्रण में रखें वरना वे बेचैन होकर इधर-उधर भाग सकते हैं। अपने जानवरों को खतरों से बचाने और अन्य लोगों को आपके जानवरों से बचाने के उपाय करें।
- यदि आपकी संपत्ति नष्ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें। यदि आपकी सम्पत्ति किराए की है, तो अपने मकान-मालिक से सम्पर्क करें और अपनी संबंधित बीमा कंपनी से सम्पर्क करें जितनी जल्दी संभव हो सके।[3]
कुछ भूकंपों के बारे में
प्रागैतिहासिक समय से ही हमारी धरती में भूकंप होते रहे हैं। हर साल हज़ारों भूकंप होते हैं, जिनमें से ज़्यादातर हम महसूस नहीं कर पाते हैं। क्यूंकि या तो वो रियेक्टर स्केल में बहुत नीचे होते हैं या फिर ऐसी जगह होते हैं जहाँ जान माल का कोई नुकसान नहीं होता है। हमें भूकंपों के बारे में तब पता चलता है जब वो जनबहूल स्थानों में होता है और जान-माल का भारी नुक्सान पैदा करता है। मानव इतिहास में कई ऐसे भूकंपों के बारे में जानकारी है जो केवल बहुत शक्तिशाली ही नहीं थे बल्कि भयानक रूप से विनाशकारी भी थे।
- 1 नवम्बर 1755 (लिस्बोन, पोर्तुगल) – यह पहला भूकंप है जिसका वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था। इस भूकंप में 70000 लोग मारे गए थे। इस भूकंप की वजह से जो सुनामी आई थी और आग लगी थी उससे लिस्बोन शहर लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 9 आंकी गई है।
- 1811 - 1812 (न्यू माद्रिद, USA) – भूकंपों का एक ऐसा क्रम जो 16 दिसंबर 1811 से शुरू हुआ था। उस दिन दो बड़े झटके आये थे रियेक्टर पैमाने पर जिनकी तीव्रता 7.1 से 8.2 आंकी गई है। इस भूकंप क्रम का कारण न्यू माद्रिद उत्तर दोष बताया जाता है। शहर के बहुत सारे मकान ध्वस्त हो गए थे पर ज़्यादा लोगों के मरने का खबर नहीं है। इस झटकों को लगभग दो तिहाई अमेरिका में महसूस किया गया था।
- 31 अगस्त, 1886 (चार्ल्सटन, दक्षिण करोलिना) – यह भूकंप एक शक्तिशाली अन्तःप्लेट भूकंप था। केवल एक मिनट में ही यह भूकंप 2000 मकानों को ध्वस्त कर दिया था (शहर की एक चौथाई भाग) और क़रीब 100 लोग मारे गए थे। रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.6 से 7.3 आंकी गई है।
- 31 जनवरी 1906 (इकुआदोर-कोलोम्बिया) – रियेक्टर पैमाने पर 8.8 आंकी गई इस भूकंप को दुनिया का पांचवा सबसे शक्तिशाली भूकंप मन जाता है। तटीय क्षेत्र के शहर एस्मेराल्दास के पास आया इस भूकंप से जो सुनामी आई थी उससे तटीय क्षेत्र में रहने वाले 500 से 1500 लोगों की मौत हो गई थी। यह भूकंप नाज्का प्लेट और दक्षिण अमरीकिय प्लेट के बीच अभिकेंद्रित सीमा पर आया था। इस सीमा पर नाज्का प्लेट दक्षिण अमरीकिय प्लेट के नीचे जा रहा है।
- 18 अप्रैल 1906 (सैन फ्रांसिस्को, कलिफोर्निया) – रियेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7,7 से 8.2 आंकी गई है। इसके झटके ओरेगोन से लेकर लोस एंजेल्स तक महसूस किये गए थे। यह भूकंप और इसकी वजह से लगी आग, अमरीका के इतिहास का सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा के रूप में याद किया जाता है। क़रीब 300 लोग अपने जान से हाथ धो बैठे थे।
- 1 सितम्बर 1923 (टोक्यो, जापान) – दोपहर से पहले आई इस भयंकर भूकंप को रियेक्टर पैमाने पर 8.3 आंकी गई है। जापान में आई भूकंपों में सबसे भयानक भूकंप था। इस भूकंप से टोक्यो और योकोहामा शहरों में भयंकर तबाही मची थी। भूकंप से चारों ओर आग लग गई थी। पानी के नल फट जाने के कारण आग बुझाने में बहुत दिक्कतें आई थी। क़रीब 100000 लोग मारे गए थे। 40000 लोगों का आजतक कोई अता-पता नहीं मिला है। आग इतना भयंकर रूप धारण कर चुकी थी कि होंजो और फुकुगावा नामक जगहों पर एक साथ क़रीब 30000 लोग जल मरे थे। इस भूकंप को ग्रेट कांतो अर्थक्वेक (Great Kanto Earthquake) के नाम से जाना जाता है।
- 4 नवंबर 1952 (कमचटका, रशिया) – इस भूकंप को दुनिया का चौथा शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। रियेक्टर पैमाने पर 9.0 नापी गई इस भूकंप से आई सुनामी से कमचटका, कुरील द्वीपसमूह में काफ़ी जान-माल का नुकसान हुआ था। इस भूकंप का केन्द्र ज़मीन से 30 किमी नीचे था।
- 22 मई 1960 (वल्दिविया, चिली) - रियेक्टर पैमाने पर 9.5 आंकी गई इस भूकंप से 20000 लोग मारे गए थे। इसे आजतक के सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इसके चलते जो सुनामी आई थी उससे चिली, हवाई, जापान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया तक प्रभावित हुए थे। 10.7 मीटर ऊँची लहरों कि वजह से चिली के तटीय इलाके में बहुत तबाही मची थी। क़रीब 5000 से 6000 लोग मारे गए थे।
- 27 मार्च 1964 (प्रिंस विलिआम, अलास्का) – रियेक्टर पैमाने पर 9.2 नापी गई इस भूकंप को दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। चार मिनिट तक चले इस भूकंप में ज़मीन फट गई थी, मकानें ध्वस्त हो गई थी, पानी के पाइप फट गए थे, बिजली के खम्बे उखड गए थे और क़रीब 150 से 200 लोगों की मौत हुई थी। इससे जो सुनामी हुई थी उससे एक गांव के 23 लोग मारे गए थे (उस गांव के केवल 68 लोग ही रहते थे)। तटीय भूस्खलन से एक जहाज़ के 30 लोग एक साथ मारे गए थे।
- 28 जुलाई 1976 (तांगशान, चीन) – बीसवी सदी में आने वाले भूकंपों में सबसे ज़्यादा लोग इसी भूकंप में मारे गए थे। इसका अधिकेंद्र चीन के हेबेई प्रान्त के तांगशान शहर के पास था। इस औद्योगिक शहर में उस समय क़रीब 10 लाख लोग रह रहे थे, जिसमें से क़रीब ढाई लाख लोगों के मारे जाने कि पुष्टि हुई थी और क़रीब डेढ़ लाख लोग ज़ख़्मी हो गए थे। इस भूकंप को रियेक्टर पैमाने पर 7.8 से 8.2 आँका गया है।
- 26 दिसम्बर 2004 (सुमात्रा- इंडोनेशिया) – इस भूकंप को दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। रियेक्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9.3 आँका गया है। इसका अधिकेंद्र सुमात्र-इंडोनेशिया के पास समुद्र तल में था। इस भूकंप और इससे आये भयंकर सुनामी से 300000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। इस सुनामी में भारत के पूर्व तटीय इलाके में भी भारी जान-माल का नुकसान हुआ था।
- 11 मार्च 2011 (जापान) - रियेक्टर पैमाने पर इस भूकंप को 9 आँका गया है। जापान की राजधानी टोक्यो के उत्तरपूर्व में समुद्र तल के 24 किमी नीचे उत्पन्न इस भूकंप से उठी सुनामी लहरों से जापान के पूर्व तट में स्थित होन्शु और सेंदाई शहर तथा तटवर्ती कई जनबस्ती में भारी नुकसान हुआ है। कई जगह आग लग जाने से जान-माल का नुकसान हुआ है। भूकंप से अब तक 14650 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने का अंदेशा लगाया जा रहा है। फुकुशिमा स्थित नाभिकीय उर्जा संयंत्र में भूकंप और सुनामी की वजह से नुकसान हुआ है। उस संयंत्र के 20 किमी दायरे में रह रहे लगभग 200000 लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया है तथा 30 किमी दायरे में सभी लोगों को घर के अंदर रहने की हिदायत दी गई है ताकि वो परमाणु विकिरण से बचे रहे। दरअसल जापान ऐसी जगह स्थित है जहाँ तीन प्लेट मिलकर एक अभिकेंद्रित सीमा बना रहे हैं। यहाँ पसिफिक प्लेट, फिलीपिंस प्लेट और उत्तर अमरीकी प्लेट के नीचे जा रहा है।
विश्व के कुछ बड़े विनाशकारी भूकंपों का लेखा-जोखा
- 11 मार्च 2011, जापान के उत्तरी पूर्वी तट पर 9.0 की तीव्रता के भूकंप से सुनामी, 10,000 से अधिक लोगों की मौत।
- 9 मई 2010, इंडोनेशिया में 7.2 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
- 13 अप्रैल 2010, चीन में 6.9 की तीव्रता का भूकंप, 2500 की मौत।
- 12 जनवरी 2010, हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप, 2 लाख लोगों की मौत।
- 30 सितंबर 2009, इंडोनेशिया, सुमात्रा में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, 1100 की मौत।
- 29 सितंबर 2009, सैमोन द्वीप में 8.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
- 10 अगस्त 2009, अंडमान निकोबार में 7.6 की तीव्रता का भूकंप, कोई हताहत नहीं।
- 6 अप्रैल 2009, इटली के लैकिला शहर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप, सैकड़ों की मौत।
- 3 फ़रवरी 2008, कॉंगो और रवांडा में ज़बरदस्त भूकंप आया, इसमें 45 लोग मारे गए।
- 6 मार्च 2007, इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 70 लोगों की मौत।
- 27 मई 2006, इंडोनेशिया के जकार्ता में भूकंप, छह हज़ार लोग मारे गए और 15 लाख बेघर हो गए।
- 8 अक्टूबर 2005, पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप, क़रीब 75 हज़ार लोग मारे गए।
- 28 मार्च 2005, इंडोनेशिया में 8.7 तीव्रता वाला भूकंप, लगभग 1300 लोग मारे गए।
- 22 फ़रवरी 2005, ईरान के केरमान प्रांत में लगभग 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में लगभग 100 लोग मारे गए थे।
- 26 दिसंबर 2004, 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण उत्पन्न सुनामी ने एशिया में हज़ारों लोगों की जान गई।
- 24 फ़रवरी 2004, मोरक्को के तटीय इलाक़े में आए भूकंप ने 500 लोगों की जान ले ली थी।
- 26 दिसंबर 2003, दक्षिणी ईरान में आए भूकंप में 26 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
- 21 मई 2003, अल्जीरिया में भूकंप आया, दो हज़ार लोगों की मौत और आठ हज़ार से अधिक लोग घायल हुए थे।
- 1 मई 2003, तुर्की के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 83 स्कूली बच्चे शामिल थे।
- 24 फरवरी 2003, पश्चिमी चीन में भूकंप, 260 लोग मारे गए और 10 हज़ार से अधिक लोग बेघर।
- 21 नवंबर 2002, पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर ज़िले में भूकंप में 20 लोगों की मौत।
- 31 अक्टूबर 2002, इटली में आए भूकंप से एक स्कूल की इमारत गिर गई जिससे एक क्लास के सभी बच्चे मारे गए।
- 12 अप्रैल 2002, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में दो महीनों में ये तीसरा भूकंप का झटका था, इसमें अनेक लोग मारे गए।
- 25 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में 6 की तीव्रता का भूकंप, 800 से ज़्यादा लोग मरे।
- 3 मार्च 2002, अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप आया, 150 लोग मारे गए।
- 3 फ़रवरी 2002, पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 मरे, हज़ारों लोग बेघर।
- 24 जून 2001, दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मरे, भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे।
- 13 फ़रवरी 2001, अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से कम से कम 300 लोग मारे गए, इस भूकंप को रियेक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया।
- 26 जनवरी 2001, भारत के गुजरात में 7.9 तीव्रता का भूकंप, तीस हज़ार लोग मारे गए और क़रीब 10 लाख लोग बेघर हो गए, भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
- 13 जनवरी 2001, अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 700 से भी अधिक लोग मारे गए।
- 6 अक्टूबर 2000, जापान में 7.1 तीव्रता का एक भूकंप, 30 लोग घायल हुए और कई लापता और क़रीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा।
- 21 सितंबर 1999, ताईवान में 7.6 तीव्रता का भूकंप, ढाई हज़ार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा।
- 17 अगस्त 1999, तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में 7.4 तीव्रता का भूकंप, 17000 से ज़्यादा लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल हुए।
- 29 मार्च 1999, उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरकाशी और चमोली में दो भूकंप। 100 से अधिक लोग मारे गए।
- 25 जनवरी 1999, कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप. क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
- 17 जुलाई 1998, न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आया भूकंप, एक हज़ार से अधिक मरे।
- 26 जून 1998, तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप, 144 लोग मारे गए, एक हफ़्ते बाद इसी इलाक़े में दो शक्तिशाली भूकंप आए जिनमें एक हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए।
- 30 मई 1998, उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा भूकंप, चार हज़ार लोग मारे गए।
- फ़रवरी 1997, उत्तर-पश्चिमी ईरान में 5.5 तीव्रता का एक भूकंप, एक हज़ार लोग मारे गए, तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
- 27 मई 1995, रूस के पूर्वी द्वीप सख़ालीन में 7.5 तीव्रता का भूकंप, दो हज़ार लोग मरे।
- 17 जनवरी 1995, जापान के कोबे शहर में भूकंप, छह हज़ार चार सौ तीस लोग मारे गए।
- 6 जून 1994, कोलंबिया में आया भूकंप, क़रीब एक हज़ार लोग मारे गए।
- 30 सितंबर 1993, भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंप से क़रीब दस हज़ार लोगों की मौत।
- 21 जून 1990, ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में भूकंप, चालीस हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत।
- 17 अक्टूबर 1989, कैलिफ़ोर्निया में भूकंप, 68 लोग मारे गए।
- 7 दिसंबर 1988, उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में 6.9 तीव्रता का भूकंप, पच्चीस हज़ार लोगों की मौत।
- 19 सितंबर 1985, मैक्सिको में भूकंप, इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हज़ार से अधिक लोग मारे गए।
- 23 नवंबर 1980, इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए।
- 28 जुलाई 1976, चीन का तांगशान शहर में भूकंप, पांच लाख से अधिक लोग मारे गए।
- 27 मार्च 1964, रियेक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए।
- 22 मार्च 1960, दुनिया का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया, इसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई, कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों मील दूर हवाई में 61000 लोग मारे गए।
- 1950, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप आया। ये इतना तेज़ था कि सेस्मोग्राफ़ की सुईयां टूट गईं। लेकिन सरकारी तौर पर रियेक्टर स्केल पर इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया।
- 28 जून 1948, पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मरे।
- 31 मई, 1935, क्वेटा और उसके आसपास के इलाक़ों में भूकंप, लगभग 35 हज़ार लोगों की जानें गईं।
- 1935, ताईवान में रियेक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया जिसकी वजह से तीन हज़ार दो सौ लोग मारे गए।
- 1931, ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप, रियेक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी और इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।
- 1 सितंबर 1923, जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप, 142,800 लोगों की मौत।
- 18 अप्रैल 1906, सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे, इमारतें गिरने और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हज़ार के बीच लोग मारे गए।
- 1 नवंबर 1755 पुर्तग़ाल में 8.7 की तीव्रता का भूकंप, 70,000 की मौत।
- 17 अगस्त 1668 टर्की में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 8000 की मौत।
- 23 जनवरी 1556 में चीन में 8.0 की तीव्रता का भूकंप, 830, 000 की मौत।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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