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'''देवीपाटन''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[गोंडा ज़िला|गोंडा ज़िले]] में उत्तर-पूर्वी रेलवे के तुलसीपुर स्टेशन के पास स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह कहा जाता है कि [[विक्रमादित्य|सम्राट विक्रमादित्य]] ने, जिनके नाम से [[विक्रमी संवत]] चलता है, यहाँ के मन्दिर में 'देवी पाटेश्वरी' की प्रतिमा स्थापित करवाई थी।
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*कहा जाता है कि [[विक्रमादित्य|सम्राट विक्रमादित्य]] ने, जिनके नाम से [[विक्रमी संवत]] चलता है, इस मन्दिर में देवी पाटेश्वरी की प्रतिमा स्थापित की थी।
*ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देवीपाटन का [[इतिहास]] में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
*देवीपाटन पाटेश्वरी देवी के मन्दिर के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
*वर्तमान मन्दिर अधिक प्राचीन नहीं है, किन्तु यह कहा जाता है कि प्राचीन मन्दिर जो आधुनिक मन्दिर के स्थान पर ही था, विक्रमादित्य के समय में बना था।
*पाटेश्वरी देवी मन्दिर को [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] ने 17वीं शती में तुड़वा दिया था।
*स्थानीय किंवदंती के अनुसार [[कुंती]] के ज्येष्ठ पुत्र [[कर्ण]] ने [[परशुराम]] से [[ब्रह्मास्त्र]] यहीं पर प्राप्त किया था।<ref>[[महाभारत]], [[कर्णपर्व महाभारत|कर्णपर्व]] 34, 157-158</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
 
==संबंधित लेख==
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07:13, 16 जून 2013 के समय का अवतरण

देवीपाटन उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा ज़िले में उत्तर-पूर्वी रेलवे के तुलसीपुर स्टेशन के पास स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने, जिनके नाम से विक्रमी संवत चलता है, यहाँ के मन्दिर में 'देवी पाटेश्वरी' की प्रतिमा स्थापित करवाई थी।

  • ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देवीपाटन का इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • देवीपाटन पाटेश्वरी देवी के मन्दिर के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
  • वर्तमान मन्दिर अधिक प्राचीन नहीं है, किन्तु यह कहा जाता है कि प्राचीन मन्दिर जो आधुनिक मन्दिर के स्थान पर ही था, विक्रमादित्य के समय में बना था।
  • पाटेश्वरी देवी मन्दिर को मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने 17वीं शती में तुड़वा दिया था।
  • स्थानीय किंवदंती के अनुसार कुंती के ज्येष्ठ पुत्र कर्ण ने परशुराम से ब्रह्मास्त्र यहीं पर प्राप्त किया था।[1]

'भार्गवोऽपिददौ दिव्यं धनुर्वेदं महात्मने, कर्णाय पुरुषव्याघ्र सुप्रीते नांतरात्मना'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

संबंधित लेख