"अंग्र मैन्यु": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''अंग्र मैन्यु''' की अनिवार्य प्रकृति उनके प्रमुख लक्षण द्रुज से अभिव्यक्त होती है, जो स्वयं लोभ, कोप और ईर्ष्या के रूप में अभिव्यक्त होती है। | |||
*[[पहलवी भाषा|पहलवी]] में अर्हिमन, [[पारसी धर्म]] में विरोधी या विनाशकारी [[आत्मा]] है। | *[[पहलवी भाषा|पहलवी]] में अर्हिमन, [[पारसी धर्म]] में विरोधी या विनाशकारी [[आत्मा]] है। | ||
*कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है। | *कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है। | ||
*अर्हिमन और [[पृथ्वी]] के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं। | *अर्हिमन और [[पृथ्वी]] के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं। | ||
*इस प्रकार, मनुष्य जाति सत्य के अनुयायी आशावान और मिथ्या के अनुयायी द्रेगवंत में विभक्त हो जाती है। | *इस प्रकार, मनुष्य जाति सत्य के अनुयायी आशावान और मिथ्या के अनुयायी द्रेगवंत में विभक्त हो जाती है। | ||
*परिणाम के तौर पर होने वाली दुर्व्यवस्था और कष्टों के बाबजूद [[पारसी|पारसियों]] का मानना है कि अहुर मज़्दा और उनकी फ़रिश्ताई ताकतें यानी स्पेंता तथा यज़ता अर्हिमन व उनके दल को परास्त कर देंगी। | *परिणाम के तौर पर होने वाली दुर्व्यवस्था और कष्टों के बाबजूद [[पारसी|पारसियों]] का मानना है कि [[अहुर मज़्दा]] और उनकी फ़रिश्ताई ताकतें यानी '[[स्पेंता मैन्यु|स्पेंता]]' तथा 'यज़ता अर्हिमन' व उनके दल को परास्त कर देंगी। | ||
*अर्हिमन के दानव एक-दूसरे को खा जाएंगे तथा स्वयं अर्हिमन पृथ्वी के गर्भ में कैंद हो जाएंगे, जहाँ उनकी मृत्यु हो जाएगी। | *अर्हिमन के दानव एक-दूसरे को खा जाएंगे तथा स्वयं अर्हिमन पृथ्वी के गर्भ में कैंद हो जाएंगे, जहाँ उनकी मृत्यु हो जाएगी। | ||
*इस युद्ध के बाद फ्राशोकेरेती या अस्तित्व का पुनर्स्थापन होगा। | *इस युद्ध के बाद फ्राशोकेरेती या अस्तित्व का पुनर्स्थापन होगा। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पारसी धर्म}} | |||
[[Category:पारसी धर्म]] | |||
[[Category:पारसी धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
07:23, 23 जून 2014 के समय का अवतरण
अंग्र मैन्यु की अनिवार्य प्रकृति उनके प्रमुख लक्षण द्रुज से अभिव्यक्त होती है, जो स्वयं लोभ, कोप और ईर्ष्या के रूप में अभिव्यक्त होती है।
- पहलवी में अर्हिमन, पारसी धर्म में विरोधी या विनाशकारी आत्मा है।
- कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है।
- अर्हिमन और पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं।
- इस प्रकार, मनुष्य जाति सत्य के अनुयायी आशावान और मिथ्या के अनुयायी द्रेगवंत में विभक्त हो जाती है।
- परिणाम के तौर पर होने वाली दुर्व्यवस्था और कष्टों के बाबजूद पारसियों का मानना है कि अहुर मज़्दा और उनकी फ़रिश्ताई ताकतें यानी 'स्पेंता' तथा 'यज़ता अर्हिमन' व उनके दल को परास्त कर देंगी।
- अर्हिमन के दानव एक-दूसरे को खा जाएंगे तथा स्वयं अर्हिमन पृथ्वी के गर्भ में कैंद हो जाएंगे, जहाँ उनकी मृत्यु हो जाएगी।
- इस युद्ध के बाद फ्राशोकेरेती या अस्तित्व का पुनर्स्थापन होगा।
|
|
|
|
|