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09:56, 5 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
लीला नाग
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पूरा नाम | लीला नाग |
अन्य नाम | लीला रॉय (विवाह के पश्चात), लीलावती रॉय |
जन्म | 2 अक्टूबर, 1900 |
जन्म भूमि | ढाका |
मृत्यु | 11 जून, 1970 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता |
पति/पत्नी | अनिल चंद्र रॉय |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | बंगाली पत्रकार व स्वतन्त्रता सेनानी |
संगठन | दीपाली संघ, दीपाली स्कूल, नारी शिक्षा मन्दिर, शिक्षा भवन एवं शिक्षा निकेतन। |
अन्य जानकारी | सन 1946 में लीला रॉय संविधान सभा में शामिल हुईं और बहस में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने 'हिंदू कोड बिल' के तहत महिलाओं को कई अधिकार दिलवाये। |
लीला नाग (विवाह के पश्चात नाम- लीला रॉय, अंग्रेज़ी: Leela Roy; जन्म- 2 अक्टूबर, 1900, ढाका; मृत्यु- 11 जून, 1970, कोलकाता) प्रसिद्ध बंगाली पत्रकार थीं। भारत की महिला क्रांतिकारियों में उनका नाम विशेषतौर पर लिया जाता है। भारत के संविधान को मूल रूप देने वाली समिति में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। इन्होंने संविधान के साथ भारतीय समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लीला रॉय इन्हीं में से एक थीं।
- लीला रॉय का जन्म ढाका के प्रतिष्ठित परिवार में सन 1900 में हुआ था। उनका भारत की महिला क्रांतिकारियों में विशिष्ट स्थान है। दुर्भाग्य से उन्हें अपने योगदान के अनुरूप ख्याति नहीं मिल पाई।
- उन्होंने ढाका और कलकत्ता में उच्च शिक्षा प्राप्त की। ढाका में शिक्षा प्राप्त करते हुए वे 'मुक्ति संघ' के सम्पर्क में आई एवं लड़कियों को शिक्षित करने के लिए 'दीपाली संघ' नामक एक संगठन बनाया। इस संगठन की उन्होंने 'दीपाली स्कूल', 'नारी शिक्षा मन्दिर', 'शिक्षा भवन' एवं 'शिक्षा निकेतन' आदि नाम से कई शाखाएँ खोलीं। बाद में अंग्रेज़ों की गुप्तचर रिपोर्ट के अनुसार ऊपर से सीधी- सादी दिखने वाली इन संस्थाओं में लड़कियों को क्रांति की शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रथम महिला शहीद प्रीतिलता वड्डेदार को इन्हीं संस्थाओं में दीक्षा मिली थी।
- पुलिस की निगाहों से बचकर लीला रॉय 'मुक्ति संघ' और बाद में 'श्री संघ' के माध्यम से अपनी गुप्त गतिविधियों का संचालन करती रहीं।
- ढाका के पुलिस महानिरीक्षण लोमैन की रहस्यमय हत्या के पीछे लीला रॉय व उनके पति अनिल रॉय की ही गुप्त योजना थी। अंतत: एक दिन दोनों पति-पत्नी गिरफ्तार कर लिए गये।
- सन 1937 में जेल से रिहा होने के बाद लीला रॉय 'राष्ट्रवादी आन्दोलन' में शामिल हो गईं।
- 1946 में लीला संविधान सभा में शामिल हुईं और बहस में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने 'हिंदू कोड बिल' के तहत महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा घोषित करने जैसे मामलों की ज़बरदस्त पैरवी की थी।
- जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस से निष्कासित किए गये, तब लीला रॉय ने उनका बराबर साथ दिया और मरते दम तक उनके साथ रहीं।
- उन्होंने राष्ट्रवादी पत्रिका 'जयश्री' भी निकाली थी।
- सन 1970 में अल्पायु में ही लीला रॉय का देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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