"मनुष्यता -मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर
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|जन्म=[[3 अगस्त]], 1886 | |जन्म=[[3 अगस्त]], 1886 | ||
|जन्म भूमि=चिरगाँव, [[झाँसी]], [[उत्तर प्रदेश]] | |जन्म भूमि=चिरगाँव, [[झाँसी]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
| | |अभिभावक=सेठ रामचरण, काशीबाई | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= | ||
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सहानुभूति चाहिए¸ महाविभूति है वही; | सहानुभूति चाहिए¸ महाविभूति है वही; | ||
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। | वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। | ||
विरुद्धवाद बुद्ध का दया–प्रवाह में बहा¸ | |||
विनीत लोक वर्ग क्या न सामने झुका रहे? | विनीत लोक वर्ग क्या न सामने झुका रहे? | ||
अहा! वही उदार है परोपकार जो करे¸ | अहा! वही उदार है परोपकार जो करे¸ | ||
पंक्ति 61: | पंक्ति 61: | ||
"मनुष्य मात्र बन्धु है" यही बड़ा विवेक है¸ | "मनुष्य मात्र बन्धु है" यही बड़ा विवेक है¸ | ||
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है। | |||
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद है¸ | फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद है¸ | ||
परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं। | परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं। |
07:40, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
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विचार लो कि मत्र्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸ |
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