"लिपुलेख दर्रा": अवतरणों में अंतर

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'''लिपुलेख दर्रा''' [[हिमालय]] ([[भारत]]) में स्थित है।
'''लिपुलेख दर्रा''' या 'लिपुलेख ला' [[हिमालय]] ([[भारत]]) में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह दर्रा [[उत्तराखंड|उत्तराखंड राज्य]] के [[कुमाऊँ]] क्षेत्र को [[तिब्बत]] के [[तकलाकोट]] (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह उत्तराखण्ड का प्रमुख हिस्सा है। यह दर्रा भारत से [[कैलाश पर्वत]] व [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।
*यह [[उत्तराखण्ड]] राज्य का प्रमुख हिस्सा है।
 
*इस दर्रे के द्वारा [[तिब्बत]] और भारत के बीच सम्पर्क क्षेत्र स्थापित होता है।
*[[पिथौरागढ़]] में स्थित यह दर्रा [[उत्तराखंड]] को [[तिब्बत]] से जोड़ता है।
*5,334 मीटर (17,500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा तिब्बत में पुरंग को उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र से जोड़ता है।
*[[कैलाश पर्वत]] और [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर झील]] के तीर्थयात्री इस दर्रे से होकर जाते हैं।
*यह [[भारत]] के [[चीन]] से होने वाले व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
*लिपुलेख दर्रा [[व्यास नदी|व्यास]] और तिब्बत क्षेत्र के चौदंस घाटी को जोड़ता है।
*[[वर्षा ऋतु|वर्षा काल]] में होने वाले भूस्खलन तथा शीतकाल में होने वाले हिमस्खलन, इस दर्रे की परिवहन व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी समस्याएं हैं।
*[[उत्तराखंड]] से लगी चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे से [[1991]] से भारत-चीन व्यापार शुरू किया गया था। गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच अपनी तरह का यह एकमात्र जमीनी व्यापार है। हालांकि दो साल पहले [[नाथुला दर्रा|नाथुला दर्रे]] को भी ट्रेड के लिए खोल दिया गया था। लेकिन वहां से नाममात्र का ही व्यापार होता है, जबकि लिपुलेख दर्रे से [[2005]] में 12 करोड़ [[रुपया|रुपये]] से अधिक का सामान आयात किया गया और 39 लाख रुपये के सामान का निर्यात हुआ। [[2006]] में करीब 82 लाख रुपये का आयात और 24 लाख का निर्यात हुआ था।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/india/-/articleshow/3142976.cms|title= लिपुलेख दर्रे से भारत-चीन व्यापार का काला साया|accessmonthday=25 नवम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नवभारत टाइम्स|language= हिन्दी}}</ref>
 
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07:18, 25 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

लिपुलेख दर्रा या 'लिपुलेख ला' हिमालय (भारत) में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह दर्रा उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह उत्तराखण्ड का प्रमुख हिस्सा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वतमानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।

  • पिथौरागढ़ में स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है।
  • 5,334 मीटर (17,500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा तिब्बत में पुरंग को उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र से जोड़ता है।
  • कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के तीर्थयात्री इस दर्रे से होकर जाते हैं।
  • यह भारत के चीन से होने वाले व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • लिपुलेख दर्रा व्यास और तिब्बत क्षेत्र के चौदंस घाटी को जोड़ता है।
  • वर्षा काल में होने वाले भूस्खलन तथा शीतकाल में होने वाले हिमस्खलन, इस दर्रे की परिवहन व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी समस्याएं हैं।
  • उत्तराखंड से लगी चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे से 1991 से भारत-चीन व्यापार शुरू किया गया था। गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच अपनी तरह का यह एकमात्र जमीनी व्यापार है। हालांकि दो साल पहले नाथुला दर्रे को भी ट्रेड के लिए खोल दिया गया था। लेकिन वहां से नाममात्र का ही व्यापार होता है, जबकि लिपुलेख दर्रे से 2005 में 12 करोड़ रुपये से अधिक का सामान आयात किया गया और 39 लाख रुपये के सामान का निर्यात हुआ। 2006 में करीब 82 लाख रुपये का आयात और 24 लाख का निर्यात हुआ था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लिपुलेख दर्रे से भारत-चीन व्यापार का काला साया (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 25 नवम्बर, 2014।

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