"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/अभ्यास": अवतरणों में अंतर

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{| width="60%" class="bharattable-pink"
|+विश्व हिन्दी सम्मेलन
|-
|-
| valign="top"|
! क्र.सं.
{| width="100%"
! सम्मेलन
|
! तिथि
<quiz display=simple>
! नगर
{किस भारतीय ने सर्वप्रथम अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिए सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था?
! देश
|type="()"}
|-
-[[मदन मोहन मालवीय]]
|1.
-[[महात्मा गाँधी]]
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1975|प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
+[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
|[[10 जनवरी|10]]-[[12 जनवरी]], [[1975]]
-[[जवाहर लाल नेहरू]]
|नागपुर
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|100px|गोपाल कृष्ण गोखले]]महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य [[गोपाल कृष्ण गोखले]] को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें [[भारत]] का '''ग्लेडस्टोन''' कहा जाता है। 1905 ई. में गोखले ने 'भारत सेवक समाज' की स्थापना की, ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि, वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसीलिए इन्होंने सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिये सदन में विधेयक भी प्रस्तुत किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
|[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]]
 
|-
{किस शासक के काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन [[कश्मीर]] में हुआ था?
|2.
|type="()"}
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1976|द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
-[[अशोक]]
|[[28 अगस्त|28]]-[[30 अगस्त]], [[1976]]
-काला अशोक
|पोर्ट लुई
+[[कनिष्क]]
|[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]]
-[[अजातशत्रु]]
|-
|| चतुर्थ बौद्ध संगीति लगभग प्रथम शताब्दी ई. में [[कुषाण वंश]] के शासक [[कनिष्क]] के शासनकाल में [[कश्मीर]] के कुण्डलवन में आयोजित की गयी थी, इस संगीत सभा की अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी। इस सभा में [[बौद्ध धर्म]] दो सम्प्रदायों [[हीनयान]] तथा [[महायान]] में विभाजित हो गया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कनिष्क]]
|3.
 
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1983|तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
{सर्वप्रथम चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है?
|[[28 अक्टूबर|28]]-[[30 अक्टूबर]], [[1983]]
|type="()"}
|[[नई दिल्ली]]
+[[जाबालोपनिषद]] से
|[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]]
-[[छान्दोग्य उपनिषद]] से
|-
-[[मुण्डकोपनिषद]] से
|4.
-[[कठोपनिषद]] से
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1993|चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] [[यजुर्वेद|शुक्ल यजुर्वेद]] के इस उपनिषद में कुल छह खण्ड हैं।
|[[2 दिसम्बर|02]]-[[4 दिसम्बर|04 दिसम्बर]], [[1993]]
#प्रथम खण्ड में भगवान [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] और ऋषि [[याज्ञवल्क्य]] के संवाद द्वारा प्राण-विद्या का विवेचन किया गया है।
|पोर्ट लुई
#द्वितीय खण्ड में [[अत्रि]] मुनि और याज्ञवल्क्य के संवाद द्वारा 'अविमुक्त' क्षेत्र को भृकुटियों के मध्य बताया गया है।
|[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]]
#तृतीय खण्ड में ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा मोक्ष-प्राप्ति का उपाय बताया गया है।
|-
#चतुर्थ खण्ड में विदेहराज [[जनक]] के द्वारा संन्यास के विषय में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर याज्ञवल्क्य देते हैं।
|5.
#पंचम खण्ड में अत्रि मुनि संन्यासी के यज्ञोपवीत, वस्त्र, भिक्षा आदि पर याज्ञवल्क्य से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं और
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1996|पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
#षष्ठ खण्ड में प्रसिद्ध संन्यासियों आदि के आचरण की समीक्षा की गयी है और दिगम्बर परमंहस का लक्षण बताया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जाबालोपनिषद]]  
|[[4 अप्रैल|04]]-[[8 अप्रैल|08 अप्रैल]], [[1996]]
 
|पोर्ट ऑफ़ स्पेन
{निम्न में से किस व्यक्ति को ‘बिना ताज का बादशाह’ कहा जाता है?
|[[चित्र:Flag-of-Trinidad-and-Tobago.png|50px]] त्रिनिदाद एवं टोबेगो
|type="()"}
|-
-[[बाल गंगाधर तिलक]]
|6.
+[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1999|छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
-[[राजा राममोहन राय]]
|[[14 सितम्बर|14]]-[[18 सितम्बर]], [[1999]]
-[[महात्मा गाँधी]]
|यू. के.
||[[चित्र:Surendranath-Banerjee.jpg|right|120px|सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने [[बंगाल]] के विभाजन का घोर विरोध किया और उसके विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया, जिससे वे बंगाल के निर्विवाद रूप से नेता मान लिये गये। वे बंगाल के '''बिना ताज़ के बादशाह''' कहलाने लगे थे। बंगाल का विभाजन 1911 ई. में रद्द कर दिया गया, जो [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] की एक बहुत बड़ी जीत थी। लेकिन इस समय तक देशवासियों में एक नया वर्ग पैदा हो गया था, जिसका विचार था कि [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वैधानिक आंदोलन विफल सिद्ध हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
|[[चित्र:London-Flag.jpg|50px|link=लंदन]] [[लंदन]]
 
|-
{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?
|7.
|type="()"}
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2003|सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
-ऋग्वैदिक काल में
|[[6 जून|06]]-[[9 जून|09 जून]], [[2003]]
+उत्तरवैदिक काल में
|पारामारिबो
-सैन्धव काल में
|[[चित्र:Flag-of-Suriname.png|50px]] सूरीनाम
-सूत्रकाल में
|-
 
|8.
{षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2007|आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
|type="()"}
|[[13 जुलाई|13]]-[[15 जुलाई]], [[2007]]
-ऋग्वैदिक काल में
|[[न्यूयॉर्क नगर|न्यूयॉर्क]]
+उत्तरवैदिक काल में
|[[चित्र:America-Flag.gif|50px|link=अमरीका]] [[अमरीका]]
-सैन्धव काल में
|-
-सूत्रकाल में
|9.
 
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2012|नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
{[[हड़प्पा]] के काल में ताँबे की रथ की खोज हुई थी?
|[[22 सितंबर|22]]-[[24 सितंबर]], [[2012]]
|type="()"}
|जोहांसबर्ग
-कुनाल में
|[[चित्र:South-Africa-flag.jpg|50px|link=दक्षिण अफ़्रीका]] [[दक्षिण अफ़्रीका]]
-राखी गढ़ी में
|-
+दैमाबाद में
|10.
-बनवाली में
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015|दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
||दैमाबाद ([[महाराष्ट्र]]) [[अहमदनगर ज़िला|अहमदनगर ज़िले]] में [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] की सहायक प्रवरा नदी के तट पर स्थित है। यह [[सिन्धु सभ्यता]] का अंतिम दक्षिणी स्थल है। दैमाबाद से ताँबे के रथ का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
|[[10 अगस्त|10]]-[[12 सितंबर]], [[2015]]
 
|[[भोपाल]]
{[[हड़प्पा]] वालों को निम्नलिखित में से किसका ज्ञान नहीं था?
|[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]]
|type="()"}
|-
-कुओं का निर्माण
|11.
-खम्भों का निर्माण
|[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2018|ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]]
-नलियों का निर्माण
|[[18 अगस्त|18]]-[[20 अगस्त]], [[2018]]
+मेहराब का निर्माण
|पोर्ट लुई
 
|[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]]
{'राजगृह' में [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?
|type="()"}
-ग्रीष्म ऋतु
+वर्षा ऋतु
-शीत ऋतु
-बसन्त ऋतु
 
{[[जैन धर्म]] के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है?
|type="()"}
-[[महावीर|महावीर स्वामी]] को
+[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]]
-[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]] को
-अजितनाथ को
||[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|right|100px|आसनस्थ ऋषभनाथ<br /> Seated Rishabhanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]]]]
*इनमें प्रथम तीर्थकर ॠषभदेव हैं। [[जैन|जैन]] साहित्य में इन्हें प्रजापति, आदिब्रह्मा, आदिनाथ, बृहद्देव, पुरुदेव, नाभिसूनु और वृषभ नामों से भी समुल्लेखित किया गया है।
*युगारंभ में इन्होंने प्रजा को आजीविका के लिए कृषि (खेती), मसि (लिखना-पढ़ना, शिक्षण), असि (रक्षा , हेतु तलवार, लाठी आदि चलाना), शिल्प, वाणिज्य (विभिन्न प्रकार का व्यापार करना) और सेवा- इन षट्कर्मों (जीवनवृतियों) के करने की शिक्षा दी थी, इसलिए इन्हें 'प्रजापति', माता के गर्भ से आने पर हिरण्य (सुवर्ण रत्नों) की वर्षा होने से ‘हिरण्यगर्भ’, विमलसूरि-, दाहिने पैर के तलुए में बैल का चिह्न होने से ‘ॠषभ’, धर्म का प्रवर्तन करने से ‘वृषभ’, शरीर की अधिक ऊँचाई होने से ‘बृहद्देव’ एवं पुरुदेव, सबसे पहले होने से ‘आदिनाथ’ और सबसे पहले मोक्षमार्ग का उपदेश करने से ‘आदिब्रह्मा’ कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ॠषभनाथ तीर्थकर]]
 
{[[महावीर|महावीर स्वामी]] 'यती' कब कहलाए?
|type="()"}
+घर त्यागने के बाद
-इन्द्रियों को जीतने के बाद
-ज्ञान प्राप्त करने के बाद
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
{'स्यादवान' किस धर्म का मूलाधार था?
|type="()"}
-[[बौद्ध धर्म]]
+[[जैन धर्म]]
-[[वैष्णव धर्म]]
-[[शैव धर्म]]
||[[चित्र:23rd-Tirthankara-Parsvanatha-Jain-Museum-Mathura-9.jpg|right|100px|[[तीर्थकर पार्श्वनाथ]]<br /> Tirthankara Parsvanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]] जैन धर्म [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जैन धर्म]]
 
{[[महावीर]] के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?
|type="()"}
-गोशल
-मल्लिनाथ
+सुधर्मन
-वज्र स्वामी
 
{आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी?
|type="()"}
-[[संस्कृत भाषा]]
+[[प्राकृत भाषा]]
-[[पालि भाषा]]
-[[अपभ्रंश भाषा]]
||प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।
#अर्धमागधी प्राकृत
#पैशाची प्राकृत 
#महाराष्ट्री प्राकृत
#शौरसेनी प्राकृत{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्राकृत]]
 
{[[जैन धर्म]] के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्रत कौन-सा है?
|type="()"}
-अमृषा(सत्य)
+अहिंसा
-अचौर्य (अस्तेय)
-अपरिग्रह
</quiz>
|}
|}
|}

08:36, 12 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

विश्व हिन्दी सम्मेलन
क्र.सं. सम्मेलन तिथि नगर देश
1. प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10-12 जनवरी, 1975 नागपुर भारत
2. द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन 28-30 अगस्त, 1976 पोर्ट लुई मॉरीशस
3. तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन 28-30 अक्टूबर, 1983 नई दिल्ली भारत
4. चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन 02-04 दिसम्बर, 1993 पोर्ट लुई मॉरीशस
5. पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 04-08 अप्रैल, 1996 पोर्ट ऑफ़ स्पेन त्रिनिदाद एवं टोबेगो
6. छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन 14-18 सितम्बर, 1999 यू. के. लंदन
7. सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 06-09 जून, 2003 पारामारिबो सूरीनाम
8. आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 13-15 जुलाई, 2007 न्यूयॉर्क अमरीका
9. नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 22-24 सितंबर, 2012 जोहांसबर्ग दक्षिण अफ़्रीका
10. दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 10-12 सितंबर, 2015 भोपाल भारत
11. ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 18-20 अगस्त, 2018 पोर्ट लुई मॉरीशस