मॉरीशस
मॉरीशस
| |
राजधानी | पोर्ट लुई |
राजभाषा | अंग्रेज़ी |
निवासी | मॉरिशियाई |
स्वतंत्रता प्राप्ति | 1968 |
गणराज्य | 1992 |
मुद्रा | मॉरिशियाई रुपया (MUR) |
यातायात चालन दिशा | बाएँ |
दूरभाष कूट | 230 |
राष्ट्रवाक्य | "Stella Clavisque Maris Indici" (लैटिन) "हिन्द महासागर का सितारा और कुंजी" |
राष्ट्रगान | मदरलैंड (मातृभूमि) |
अन्य जानकारी | मॉरीशस की जनसंख्या में लगभग 52 प्रतिशत हिन्दू हैं। यहाँ के हिंदुओं में शैवों की संख्या सर्वाधिक है। यही वजह है कि यहां शिव के मन्दिरों की बहुतायत है। |
मॉरीशस (अंग्रेज़ी: Mauritius) नीले सागर और श्वेत सागर तटों का देश है। यह दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत द्वीपों में से एक है, जिसके लिए मार्क ट्वेन ने कहा था कि- "ईश्वर ने पहले मॉरीशस बनाया और फिर उसमें से स्वर्ग की रचना की।" मॉरीशस और भारत का बहुत गहरा नाता है। मॉरीशस को औपनिवेशिक शासन से आज़ादी दिलाने में भारतीय मूल के सर शिवसागर रामगुलाम ने अगुआई की थी। आज भी वहाँ हिन्दी और भोजपुरी का प्रचलन देखकर विदेशी जमीन पर भारतीय मिट्टी की महक महसूस की जा सकती है। यह देश अफ़्रीका में सबसे अधिक प्रतिव्यक्ति आय वाले देशों में से एक है।
इतिहास
यदि मॉरीशस के इतिहास पर दृष्टि डाली जाये तो सबसे पुराने अभिलेख लगभग 10वीं शताब्दी की शुरुआत के हैं, जो द्रविड़ (तमिल) और ऑस्ट्रोनेशी नाविकों के संदंर्भ से आते है। पुर्तग़ाली नाविक सबसे पहले यहाँ 1507 ई. में आये। उन्होंने इस निर्जन द्वीप पर एक यात्रा अड्डा स्थापित किया और फिर इस द्वीप को छोड़कर चले गये। सन् 1598 ई. में हॉलैंड के तीन पोत जो मसाला द्वीप की यात्रा पर निकले थे, एक चक्रवात के दौरान रास्ता भटक कर यहाँ पहुँच गये। उन्होंने इस द्वीप का नाम अपने नासाओं के युवराज मॉरिस के सम्मान में मॉरिशस रख दिया। 1638 ई. में डच लोगों ने यहाँ पहली स्थायी बस्ती बसाई।
चक्रवातों वाली कठोर जलवायु की परिस्थितियों और बस्ती को होने वाले लगातार नुकसान के कारण डचों ने कुछ दशकों के बाद इस द्वीप को छोड़ दिया। फ़्राँस, जिसका पहले से ही इसके पड़ोसी आइल बॉरबोन (अब रीयूनियन) द्वीप पर नियंत्रण था, ने 1715 ई. में मॉरीशस पर कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम बदलकर 'आइल दे फ़्राँस' (फ़्राँस का द्वीप) रख दिया। फ़्राँस के शासन में यह द्वीप एक समृद्ध अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुआ जो चीनी उत्पादन पर आधारित थी। यह आर्थिक परिवर्तन गवर्नर फ्रेंकॉएस माहे दे लेबॉर्डॉनाइस के द्वारा शुरू किया गया था। ब्रिटेन के साथ अपने कई सैन्य संघर्षों के दौरान, फ़्राँस ने गैरक़ानूनी घोषित जलदस्युओं कोर्सेर्स को शरण दी, जो अक्सर ब्रिटिश जहाजों, जिन पर मूल्यवान व्यापार का माल लदा होता था, को उनकी भारत और ब्रिटेन के मध्य होने वाली यात्राओं के दौरान लूट लेते थे। सन् 1803-1815 के दौरान हुए नेपोलियन युद्धों में ब्रिटिश इस द्वीप का नियंत्रण पाने में सफल हो गये।
ग्रांड पोर्ट की लड़ाई जीतने के बावजूद, जो कि नेपोलियन की ब्रिटिशों पर एकमात्र समुद्री विजय थी, फ़्राँसीसी, तीन महीने बाद, केप मैलह्युरॉ में ब्रिटेन से हार गये। उन्होंने औपचारिक रूप से 3 दिसम्बर, 1810 ई. को कुछ शर्तों के साथ समर्पण कर दिया। शर्तें यह थीं कि द्वीप पर फ़्राँसीसी भाषा का प्रयोग जारी रहेगा और आपराधिक मामलों में नागरिकों पर फ़्राँस का क़ानून लागू होगा। ब्रिटिश शासन के अंतर्गत इस द्वीप का नाम बदलकर वापस मॉरीशस कर दिया गया। 1965 में ब्रिटेन ने छागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया। उन्होंने ऐसा ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र स्थापित करने के लिये किया, जिससे वे सामरिक महत्व के द्वीपों का प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग के विभिन्न प्रयोजनों के लिए कर सकें। हालाँकि मॉरीशस की तत्कालीन सरकार उनके इस कदम से सहमत थी, पर बाद की सरकारों ने उनके इस कदम को अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अवैध बताया और इन द्वीप समूहों पर अपना अधिकार जताया है। मॉरीशस ने 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त की और देश राष्ट्रमंडल के तहत 1992 में एक गणतंत्र बना। मॉरीशस एक स्थिर लोकतंत्र है, जहाँ नियमित रूप से स्वतंत्र चुनाव होते हैं और मानवाधिकारों के मामले में भी देश की छवि अच्छी है। इसके चलते यहाँ काफी विदेशी निवेश हुआ है और
पर्यटन
दूर-दूर तक फैले सफ़ेद समुद्र तट मॉरीशस को सपनों सा सुंदर बना देते हैं। सफ़ेद रेत से चमकते इसके तट उन लोगों के लिए स्वर्ग हैं जो समुद्र का आनंद उठाना चाहते हैं या बस धूप सेंकना चाहते हैं। द्वीप में हर ओर बड़े-बड़े सार्वजनिक समुद्र तट हैं जो सप्ताह के दौरान आपके आराम करने के लिए अनंत संभावनाएँ और सप्ताहांतों में स्थानीय लोगों से मिलने-जुलने के व्यापक अवसर मुहैया कराते हैं। अधिकांश सार्वजनिक तट तैरने के लिए आदर्श हैं। मॉरीशस का उत्तरी भाग वाटर स्पोर्ट्स जैसे वाटर स्कीइंग, विंड सर्फिंग, सेलिंग, गहरे जल में मछलियाँ पकड़ने और पैरासेलिंग आदि के लिए प्रसिद्ध है। शाम को यहाँ के बार, रेस्तरां और क्लब जीवंत हो उठते हैं जहाँ से आप सूर्यास्त का नज़ारा भी देख सकते हैं।
- पूर्वी हिस्सा अधिक हरा-भरा और अल्पविकसित है जिसकी वजह से यहाँ पर आपको प्रकृति पूरे रंग में दिखती हैं। पालमार और बैलमार के सफ़ेद समुद्र तट बहुत ही सुरम्य हैं।
- दक्षिण पूर्व अपने ऊँचे चट्टानों के लिए मशहूर है जहाँ से द्वीप के दक्षिणी सिरे की ओर जाने पर आपको ख़ूबसूरत नज़ारे दिखते हैं। यहाँ पर चट्टानों के बीच के दरारों से खुला समुद्र ज़मीन तक आ जाता है और चट्टानों से टकराते हुए एक स्वप्निल दृश्य उत्पन्न करता है।
- पश्चिमी तट में आप अद्भुत सूर्यास्तों और गहरे जल में मछली पकड़ने का आनंद उठा सकते है। सर्फरों को टेमेरिन जाना चाहिए जो मॉरीशस का सर्फिग सेंटर है। यहाँ पर शुरुआत करने वाले लोग सर्फ स्कूल में सर्फ़िंग के बेसिक्स सीख सकते हैं।
- मॉरीशस के अधिकांश बीच होटल अपने ग्राहकों को कांप्लिमेंटरी वाटर स्पोर्ट्स सुविधा मुहैय्या कराते हैं। स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग और डीप सी फिशिंग अतिरिक्त लागत पर उपलब्ध है।
आस-पास
पोर्ट लुइस और नार्थ के आकर्षक 360 डिग्री नज़ारे के लिए 812 मीटर ऊँचाई पर स्थित ला पूर या 'द थंब' पर चढाई करें। यह ला लॉरा गांव से दो घंटे की आसान चढ़ाई है और पोर्ट लुइस पहुँचने में और 2 घंटे लगते है। आप बाइक, घोड़े या चारपहिया वाहन से मोका माउटेन पर जा सकते हैं जहाँ डोमेन पेलिस का 1500 हेक्टेयर में फैला नेचर पार्क है। आप ट्रेन या घोड़ागाड़ी में शुगर मिल और रम डिस्टिलरी भी जा सकते हैं। स्थानीय वनस्पति, पक्षियों और वन्य जीवन देखने के लिए आप ब्लैक रिवर जार्ज नेशनल पार्क जा सकते हैं। हज़ारों नील मगरमच्छों की वजह से ला वेनिल डिस मेस्केराइंस को आम भाषा में 'क्रोकोडाइल पार्क' भी कहा जाता है। आप राजशानी पोर्ट लुइस में ख़ूबसूरत औपनिवेशिक शिल्पकला के उदाहरण देख सकते हैं जैसे गवर्नमेंट हाउस। ब्लू पेनी म्यूजियम में दुनिया के दुर्लभतम स्टैंप देखें या नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की सैर करें। पोर्ट लुइस के चहल-पहल वाले सैंट्रल मार्केट, द कॉडन वाटरफ्रंट के क्रॉफ्ट मार्केट या द्वीप में हर कहीं दिखने वाले शॉपिंग सेंटरों से आप स्मृति चिह्न की ख़रीदारी कर सकते हैं।
यातायात और परिवहन
मॉरीशस जाने के लिए मुंबई, चेन्नई और दिल्ली से एयर मॉरीशस की उड़ानें हैं जो मुंबई से सप्ताह में 4 बार, चेन्नई से 1 बार और दिल्ली से 2 बार उड़ान भरती हैं। सर शिवसागर रामगुलाम हवाईअड्डा जिसे आम तौर पर प्लेसेंस एयरपोर्ट कहा जाता है, पोर्ट लुइस से 48 कि.मी. दक्षिणपूर्व में है। शहर जाने-आने के लिए टैक्सियाँ उपलब्ध हैं जिसमें 45 मिनट का समय लगता है।
भौगोलिक दशाएँ
मॉरीशस को साल भर एक हल्के, उष्णकटिबंधीय जलवायु का आशीष प्राप्त है। तापमान में कोई मौसमी परिवर्तन या बदलाव नहीं होते हैं। मॉरीशस का मौसम सुखद धूप वाला रहता है। इस सुंदर देश में दो मौसम हैं; नवंबर से अप्रैल तक तेज गर्मी और जून से सितंबर तक शुष्क और ठंडी सर्दी। अक्टूबर और मई यह दो महीने मौसम में बदलाव वाले हैं। वर्ष के सबसे गर्म महीने जनवरी और फ़रवरी हैं। सबसे अच्छे महीनों में जुलाई और अगस्त में तापमान 16.4 डिग्री सेल्सियस रहता है।[1]
वर्षा
मॉरीशस का मौसम जादुई है। यहाँ अक्सर यह होता है कि यह एक क्षेत्र में बारिश और दूसरे क्षेत्र में सूर्य शानदार ढंग से केवल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर चमकता है। बारिश लगभग सभी महीनों में होती है, लेकिन दिसम्बर से अप्रैल सबसे खराब महीने हैं। इन महीनों में कभी-कभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं, जिससे भारी वर्षा होती है और बहुत तेज हवाएं चलती हैं। वर्षा भिन्न क्षेत्र में अलग-अलग होती है, लेकिन इस द्वीप पर वार्षिक वर्षा 210 मि.मी. तक होती है।
धूप
मॉरीशस के द्वीप पर रोज़ाना 6 से 8 घंटे तक धूप रहती है। गर्मियों में सूर्योदय लगभग 5 बजे होता है, जबकि सर्दियों में सूर्योदय एक घंटे बाद शुरू होता है। गर्मियों के महीनों में, ऊंचे स्थानों पर 6 घंटे तक अच्छी धूप होती है, जबकि तटीय क्षेत्रों में 7 से 8 घंटे तक धूप होती है। सर्दियों में, दिन भर में 5 घंटे धूप होती है, जबकि तट पर 7 घंटे धूप होती है।
समुद्री तापमान
मॉरीशस के आसपास समुद्र का तापमान आमतौर पर सुखद होता है, जो 26-25 डिग्री सेल्सियस से लेकर ग्रीष्म ऋतु में 23-25 डिग्री सेल्सियस तक होता है। सर्दियों में एंटीकक्लोन कभी-कभी 2 या 3 डिग्री सेल्सियस तापमान के गिरने के कारण बनते है। पूरे द्वीप के आसपास के कोरल रीफ्स उत्कृष्ट और आदर्श समुद्र की स्थिति का परिणाम है। चट्टानों ने इसे आदर्श स्थान बना दिया है। भारी बारिश के कारण पानी के तापमान में बदलाव हो सकता है।
हवाएं
अपने पैर की उंगलियों में रेत और अपने बालों में हवा; यही मॉरीशस में छुटियाँ बिताने का सही तरीका है। यहाँ सूर्य आसमान में भूमध्य रेखा के नजदीक स्थित है, यही देश के अत्यधिक गर्मी का कारण है। ट्रेड विंड सतह की वायु है, जो कि उपोष्णकटिबंधीय उच्च दबाव वाले क्षेत्र से बहती रहती हैं। ये दक्षिण-पूर्व की ट्रेड विंड मॉरीशस की जलवायु पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है। वे बादलों को द्वीप के दक्षिण पूर्व में पहाड़ों पर इकट्ठा होने के लिए धक्का देती हैं, जिसके बाद बादल धीरे-धीरे बारिश और तेज हवाओं के रूप में अपनी बची हुई नमी के साथ बरसते हैं।
चक्रवात
हालांकि पूर्ववर्ती दक्षिण-पूर्वी हवाएं पूरे साल भर बहती रहती हैं, वे वास्तव में हानिरहित और सुखद हैं। जबकि चक्रवात के मामले में स्थिति बहुत ही विकट हो सकती है। चक्रवात जनवरी से मार्च के महीनों के दौरान उत्पन्न होते हैं। इस समय के दौरान हवा और पानी के तापमान में बहुत तेज़ीसे वृद्धि होती है। आंकड़े बताते हैं कि मॉरीशस हर 5 सालों में एक चक्रवात के केंद्र में होता है। फिर भी द्वीप सिर्फ तीन से पांच तूफानों के चपेट में आया है।
संस्कृति
मॉरीशस को इसके स्वादिष्ट खाने से भी जाना जाता है, जो भारतीय, चीनी, क्रेयोल और यूरोपियन खानो का मिश्रण है। इस द्वीप पर रम का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। 1638 ई. में डच लोगों ने मॉरीशस को सबसे पहले गन्ना से परिचित कराया। डच गन्ने की खेती मुख्यतः अरक (रम का एक पूर्व प्रकार) के उत्पादन के लिए करते थे। लेकिन फ़्राँस और ब्रिटेन के शासन के दौरान यहाँ गन्ने की खेती को बड़े पैमाने पर किया गया, जिसने इस द्वीप के आर्थिक विकास में काफी योगदान दिया। पियरे चार्ल्स फ्रेंकोएज़ हरेल पहला व्यक्ति था, जिसने 1850 में मॉरीशस में रम के स्थानीय आसवन का प्रस्ताव किया। सेगा यहाँ का स्थानीय लोक संगीत है। सेगा मूलत: अफ्रीकी संगीत है, जिसमें परंपरागत वाद्यों का उपयोग होता है, जैसे- रवाने जिसे बकरी की त्वचा से बनाया जाता है। आमतौर पर सेगा में गुलामी के दिनों की यातनाओं का वर्णन होता है। साथ ही इन गीतों में आजकल के दौर में अश्वेतों की सामाजिक समस्याओं को भी उठाया जाता है। आमतौर पर पुरुषों द्वारा वाद्य बजाए जाते हैं और महिलायें साथ में नृत्य करती हैं। तटीय क्षेत्र के होटलों में ये शो नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं।
राजनीति तथा समाज पर हिन्दू प्रभाव
मॉरीशस की जनसंख्या में लगभग 52 प्रतिशत हिन्दू हैं। अफ़्रीका महाद्वीप में सबसे ज्यादा। जाहिर है, स्थानीय राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी प्रधानता होगी ही। मॉरीशस में धार्मिक आस्था के स्तर पर एक किस्म का नवजागरण चल रहा है, जिसके पीछे कई हिंदू संगठनों की दशकों की मेहनत छिपी है। इन संगठनों में हिंदू स्वयंसेवक संघ, हिंदू महासभा, विश्व हिंदू परिषद, मॉरीशस सनातन धर्म मंदिर संघ, मॉरीशस आर्य सभा, आर्य समाज, सनातन धर्म प्रचारिणी सभा, मॉरीशस तमिल मंदिर संघ, मॉरीशस आंध्र सभा, मॉरीशस मराठी मंडली संघ आदि का जिक्र खास तौर पर होता है। हिंदू स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मॉरीशस चौप्टर के रूप में संघ की विचारधारा तथा काम को आगे बढ़ाने में जुटा है। मॉरीशस में चिन्मय मिशन, माता अमृतानंदमयी आश्रम, रामकृष्ण मिशन, इस्कान और ब्रह्माकुमारी आश्रम आदि की भी शाखाएं हैं, जिन्होंने यहां के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है।
मॉरीशस के हिंदुओं में शैवों की संख्या सर्वाधिक है। यही वजह है कि यहां शिव के मन्दिरों की बहुतायत है। मॉरीशस के उत्तरी भाग में स्थित महेश्वरनाथ मन्दिर जो ट्रायोलेट शिवाला के नाम से भी चर्चित है, भी गंगा तालाब से कम प्रसिद्ध नहीं है। वास्तव में यह मंदिर दो सदियों से मॉरीशस में हिंदू पहचान का महत्वपूर्ण प्रतीक है। पूर्वी मॉरीशस में एक मनोरम द्वीप पर अत्यंत दर्शनीय सागर शिव मंदिर है। चारों तरफ से आती समुद्री लहरों और समुद्री हवाओं के बीच फहराता हुआ सागर शिव मंदिर का ध्वज मानो उद्घोष कर रहा हो कि मॉरीशस में भारतीयता और अध्यात्म की कीर्ति पताका हमेशा ऊंची रहेगी। मॉरीशस के मंदिरों की एक खास बात है। भले ही मंदिर का प्रधान देवता कोई भी हो, दर्जनों दूसरे देवताओं की मूर्तियां भी रहेंगी। ऐसा इसलिए ताकि हर आस्था के व्यक्ति को अपने आराध्य के दर्शन हो जाएं। वैसे यहां के भारतवंशियों के घरों में भी मंदिर होना अनिवार्य है और ये मंदिर हैं हनुमान के।
इसी प्रकार उत्तर भारतीय पृष्ठभूमि वाले हिंदुओं के संगठन, मंदिर आदि हिंदी के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं। करीब तीन सौ हिंदीभाषी मंदिरों का एक अलग संगठन भी है, जिसका नाम है- सनातन धर्म मंदिर संगठन। कई मंदिरों में हिंदी की प्राथमिक कक्षाएं लगती हैं, जिनमें नन्हें बच्चों को हिंदी अक्षर ज्ञान कराया जाता है। हिंदी से जुड़े कई साहित्यिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक आयोजन भी यहां होते हैं। हिंदी भाषियों के लिए सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र बन रहे ये मंदिर धार्मिक दायित्व निभाने के साथ-साथ भाषाओं के प्रसार को भी अपना उद्देश्य मानकर चलते हैं। हालांकि अमरीका, कनाडा, इंग्लैंड आदि देशों में भी मंदिर भारतीयों की सांस्कृतिक और भाषायी गतिविधियों के केंद्र बन रहे हैं।[2]
रामायण सेंटर
मॉरीशस की संसद ने 2001 में एक क़ानून बनाकर 'रामायण सेंटर' की स्थापना की थी, जो अब हिंदू धर्म और रामायण अध्ययन का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बन चुका है। मॉरीशस की संसद में मुस्लिम, ईसाई सहित दूसरे संप्रदाय के लोगों ने एकसुर से रामायण सेंटर बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। मॉरीशस का रामायण सेंटर पहले तब चर्चा में आया था, जब यहां की संसद ने बाकायदा क़ानून बनाकर इस संस्थान के निर्माण को मंजूरी दी थी। संसद ने क़ानून 2001 में बनाया था और अगले साल इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। मॉरीशस दुनिया के उन गिनेचुने देशों में है, जहां तकरीबन आधी आबादी (52 प्रतिशत) आबादी हिंदू है, लेकिन यहां दूसरे धर्म के लोग भी अच्छी-खासी तादाद में रहते हैं। तकरीबन 30 प्रतिशत लोग ईसाई हैं और मुसलमानों की आबादी 17 प्रतिशत है।[3]
हिंद महासागर में स्थित लेकिन भौगोलिक रूप से अफ्रीकी महाद्वीप के नजदीक स्थित मॉरीशस का संविधान उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करता है। यही वजह है कि जब संसद से रामायण सेंटर के लिए क़ानून बनाया गया तो इस पर भारत सहित दुनिया भर में काफी हैरत जताई गई। सवाल यह भी उठा कि क्या मॉरीशस हिंदू राष्ट्र बनने की राह पर है? लेकिन इस देश को समझने वाले बताते हैं कि राम और रामायण आधे मॉरीशसवासियों के लिए तो पूरी तरह से धार्मिक विषय हो सकता है, लेकिन तकरीबन पूरी जनसंख्या के लिए सांस्कृतिक विरासत है। मॉरीशस के लेखक पंडित राजेंद्र अरुण के अनुसार ‘मॉरीशस की राष्ट्रीय संसद में मुस्लिम और ईसाई सहित दूसरे संप्रदाय के लोगों ने एक सुर से रामायण सेंटर बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। यह इस बात का प्रतीक है कि रामायण की शिक्षाएं सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं।’
मॉरीशस के समाज में रामायण की शिक्षाएं इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं कि इसे वहां के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया गया है। हालांकि यह एक वैकल्पिक विषय है, लेकिन यहां के ज्यादातर बच्चे इसे पढ़ना पसंद करते हैं। रामायण की इसी लोकप्रियता ने इस देश में रामायण सेंटर की नींव रखी है। मॉरीशस के रामायण सेंटर की एक और खास बात है कि यह पिछले सालों में रामायण और हिंदू धर्म से जुड़े कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों को आयोजित कर चुका है।
कब जाएँ
मॉरीशस परिवार की छुट्टियों के लिए स्वप्न का स्थल है। वर्ष के दौरान ज्यादातर समय मॉरिशस का मौसम गर्म और सुखद रहता है। यह संपूर्ण वर्ष अच्छी यात्रा की एक जगह के रूप में अच्छा रहता है। समुद्र तट के प्रेमियों के लिए, गर्मियों के महीने सबसे अच्छे हैं। सर्दियों के महीनों के दौरान ठंड का मौसम मॉरीशस के वायुमंडल में नमी को कम करता है और यह हाइकिंग, ट्रेकिंग और क्वाड बाइकिंग जैसे गतिविधियों में शामिल होने का सही समय है। डाइविंग के प्रति उत्साही लोगों को दिसंबर से मार्च के मध्य में पहुंचना चाहिए। इस समय समुद्र का पानी स्वच्छ रहता है।
भाषा
मॉरीशस की आधिकारिक भाषा अंग्रेज़ी है, इसलिए सरकार का सारा प्रशासनिक कामकाज अंग्रेज़ी में होता है। शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ी के साथ फ़्रांसीसी का भी इस्तेमाल किया जाता है। फ्रांसीसी भाषा मीडिया की मुख्य भाषा है, चाहे प्रसारण हो या मुद्रण। इसके अलावा व्यापार और उद्योग जगत के मामलों में भी मुख्यतः फ्रांसीसी ही प्रयोग में आती है। सबसे व्यापक रूप से यहाँ मॉरीशियन क्रेयोल भाषा बोली जाती है। हिन्दी भी एक बड़े वर्ग द्वारा बोली व समझी जाती है।
खानपान
यहाँ का स्थानीय ज़ायक़ा 3 महाद्वीपों से आया है जो समय-समय पर उन महाद्वीपों से यहाँ आकर बसे विभिन्न सांस्कृतिक विरासतों और पाक परंपराओं वाले निवासियों ने विकसित किया हैं। आगंतुक एक ही जगह भारतीय, चीनी, ग्रेओल और यूरोपीय व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं, सब मिलाकर अनूठा स्वाद बनाते हैं। यहाँ का स्थानीय पसंदीदा स्नैक 'ढोल पूरी' ज़रूर आजमाएँ, यह पीली मटर की दाल भरे आटे की पूरी होती है जिसको करी और टमाटर के सॉस के साथ परोसा जाता है। फ़राटा, जिल्र बाइट्स या 'समोसा' भी यहाँ खूब पसंद किए जाते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मॉरीशस के मौसम को और भी बेहतर तरीके से जानिए (हिन्दी) blog.thomascook.in। अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2018।
- ↑ मॉरीशस में 'राम-राम' (हिंदी) praveenguptahindu.blogspot। अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2018।
- ↑ कैसा है मॉरीशस का रामायण सेंटर (हिंदी) satyagrah.scroll.in। अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2018।
बाहरी कड़ियाँ
- 36 भारतीय गिरमिटियायों ने रखी 'मज़बूत' मॉरिशस की नींव
- मारीशस में भारतीय संविदा मजदूरों के पहुंचने की 180वीं वर्षगांठ
- मॉरिशस देश से जुड़ी जानकारी और रोचक तथ्य हिंदी में
संबंधित लेख