"जम्मू और कश्मीर का भूगोल": अवतरणों में अंतर
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[[जम्मू और कश्मीर]] पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (दोनों चीन के भाग) से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में [[पाकिस्तान]] अधिकृत भूभाग से घिरा है। | [[चित्र:Dal-Lake-Srinagar.jpg|thumb|250px|[[डल झील श्रीनगर|डल झील]], [[श्रीनगर]]]] | ||
[[जम्मू और कश्मीर]] पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (दोनों [[चीन]] के भाग) से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में [[पाकिस्तान]] अधिकृत भूभाग से घिरा है। | |||
==स्थिति== | ==स्थिति== | ||
जम्मू और कश्मीर राज्य 32-15 और 37-05 उत्तरी अक्षांश और 72-35 तथा 83-20 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। भौगोलिक रूप से इस राज्य को चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। | जम्मू और कश्मीर राज्य 32-15 और 37-05 उत्तरी अक्षांश और 72-35 तथा 83-20 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। भौगोलिक रूप से इस राज्य को चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। | ||
#पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी मैदान जो कंडी पट्टी के नाम से प्रचलित है | #पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी मैदान जो कंडी पट्टी के नाम से प्रचलित है | ||
#पर्वतीय क्षेत्र जिसमें [[शिवालिक पहाड़ियाँ]] शामिल हैं | #पर्वतीय क्षेत्र जिसमें [[शिवालिक पहाड़ियाँ]] शामिल हैं | ||
#कश्मीर घाटी के पहाड़ और पीर पांचाल पर्वतमाला | #[[कश्मीर की घाटी|कश्मीर घाटी]] के पहाड़ और [[पीर पंजाल पर्वत श्रेणी|पीर पांचाल पर्वतमाला]] | ||
#तिब्बत से लगा लद्दाख और | #तिब्बत से लगा [[लद्दाख]] और [[कारगिल]] क्षेत्र | ||
भौगोलिक तथा सांस्कृतिक रूप से राज्य के तीन ज़िला क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख हैं। | भौगोलिक तथा सांस्कृतिक रूप से राज्य के तीन ज़िला क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख हैं। | ||
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जम्मू क्षेत्र में संकीर्ण मैदानी प्रवेश की विशेषता तराइयों से निकली जलधाराओं के द्वारा जमा अवसाद और दोमट मिट्टी व लोएस (वायु के द्वारा लाकर जमा की गई मिट्टी) से ढके एकदम अलग हो चुके अपरदित चट्टान से निर्मित रेतीले जलोढ़ पंखों के अंतःबंधन हैं। जो अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग (यानी 10 हज़ार से 16 लाख वर्ष पुराना) के हैं। यहाँ वर्षा 380 से 500 मिमी वार्षिक तक होती है। गर्मी के मौसम में (जून से सितंबर में) जब मानसूनी हवाएँ चलती हैं, तब तेज़ लेकिन अनियमित फुहारों के रूप में वर्षा होती है। अंदरूनी इलाक़ा पेड़ों से पूरी तरह विहीन हो गया है और कंटीली झाड़ियाँ या मोटी घास ही यहाँ की मुख्य वनस्पति है। | जम्मू क्षेत्र में संकीर्ण मैदानी प्रवेश की विशेषता तराइयों से निकली जलधाराओं के द्वारा जमा अवसाद और दोमट मिट्टी व [[लोएस]] (वायु के द्वारा लाकर जमा की गई मिट्टी) से ढके एकदम अलग हो चुके अपरदित चट्टान से निर्मित रेतीले जलोढ़ पंखों के अंतःबंधन हैं। जो अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग (यानी 10 हज़ार से 16 लाख वर्ष पुराना) के हैं। यहाँ [[वर्षा]] 380 से 500 मिमी वार्षिक तक होती है। गर्मी के मौसम में ([[जून]] से [[सितंबर]] में) जब मानसूनी हवाएँ चलती हैं, तब तेज़ लेकिन अनियमित फुहारों के रूप में वर्षा होती है। अंदरूनी इलाक़ा पेड़ों से पूरी तरह विहीन हो गया है और कंटीली झाड़ियाँ या मोटी घास ही यहाँ की मुख्य वनस्पति है। | ||
====तराई क्षेत्र==== | ====तराई क्षेत्र==== | ||
[[हिमालय]] की तराइयों से, जिनकी ऊँचाई 610 से 2134 मीटर तक है, बाहरी और भीतरी प्रक्षेत्र निर्मित है। बाहरी परिक्षेत्र की रचना बलुआ पत्थर, चिकनी मिट्टी, पंक और संपिड़ित चट्टानों से हुई है। ये क्षेत्र हिमालय की वलन गतिविधि से प्रभावित होकर और अपरदन के कारण लम्बे पर्वतीय कटकों और घाटियों (दून) के आकार के हो गए हैं। अंदरूनी प्रक्षेत्र अधिक भीमकाय तलछटी चट्टानों से, जिसमें मिओसीन युग (लगभग 53 से 237 लाख वर्ष पूर्व) के लाल बलुआ पत्थर शामिल हैं, से बना है। जिनके मुड़ने टुटने और क्षारित होने से खड़ी ढलान वाले पर्वत स्कंधों व पठारों का निर्माण हुआ। नदी घाटियों की कटान तीखी व सीढ़ीदार है और भ्रंशों से [[ऊधमपुर]] तथा [[पुंछ]] जैसे जलोढ़ मिट्टी के बेसिन बन गए हैं। ऊँचाई के साथ - साथ वर्षा बढ़ती जाती है और ऊँचाई बढ़ने के साथ निचली झाड़ीदार भूमि का स्थान देवदार और चीड़ के जंगल ले लेते हैं। | [[हिमालय]] की तराइयों से, जिनकी ऊँचाई 610 से 2134 मीटर तक है, बाहरी और भीतरी प्रक्षेत्र निर्मित है। बाहरी परिक्षेत्र की रचना बलुआ पत्थर, चिकनी मिट्टी, पंक और संपिड़ित चट्टानों से हुई है। ये क्षेत्र [[हिमालय]] की वलन गतिविधि से प्रभावित होकर और अपरदन के कारण लम्बे पर्वतीय कटकों और घाटियों (दून) के आकार के हो गए हैं। अंदरूनी प्रक्षेत्र अधिक भीमकाय तलछटी चट्टानों से, जिसमें मिओसीन युग (लगभग 53 से 237 लाख वर्ष पूर्व) के लाल बलुआ पत्थर शामिल हैं, से बना है। जिनके मुड़ने टुटने और क्षारित होने से खड़ी ढलान वाले पर्वत स्कंधों व पठारों का निर्माण हुआ। नदी घाटियों की कटान तीखी व सीढ़ीदार है और भ्रंशों से [[ऊधमपुर]] तथा [[पुंछ]] जैसे [[जलोढ़ मिट्टी]] के बेसिन बन गए हैं। ऊँचाई के साथ - साथ वर्षा बढ़ती जाती है और ऊँचाई बढ़ने के साथ निचली झाड़ीदार भूमि का स्थान [[देवदार]] और चीड़ के जंगल ले लेते हैं। | ||
[[चित्र:Thiksey-Gompa-Ladakh.jpg|thumb|250px|left|थिक्सेय गोम्पा, [[लेह]] | [[चित्र:Thiksey-Gompa-Ladakh.jpg|thumb|250px|left|थिक्सेय गोम्पा, [[लेह]]]] | ||
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पीर पंजाल पर्वत श्रेणी [[हिमालय]] से संम्बद्ध पहली पर्वत श्रृंखला है। इसकी औसत शीर्ष रेखा 3,810 मीटर ऊँची है। जिसमें कोई - कोई चोटी 4,572 मीटर तक ऊँची है। ग्रेनाइट, शैल, क्वार्टज व स्लेट से बनी चट्टानों वाली यह पर्वतश्रेणी अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग में कई बार उत्थान तथा दरार पड़ने जैसी भौगोलिक घटनाओं का शिकार हुई और ग्लेशियरों से प्रभावित हुई। पर्वतमाला पर शीत ऋतु में काफ़ी बर्फ़ गिरती है और गर्मी में काफ़ी बारिश होती है। इसमें विशाल चरागाह क्षेत्र हैं, जो वृक्ष क्षेत्र से ऊपर की तरफ़ हैं। | पीर पंजाल पर्वत श्रेणी [[हिमालय]] से संम्बद्ध पहली पर्वत श्रृंखला है। इसकी औसत शीर्ष रेखा 3,810 मीटर ऊँची है। जिसमें कोई - कोई चोटी 4,572 मीटर तक ऊँची है। ग्रेनाइट, शैल, क्वार्टज व स्लेट से बनी चट्टानों वाली यह पर्वतश्रेणी अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग में कई बार उत्थान तथा दरार पड़ने जैसी भौगोलिक घटनाओं का शिकार हुई और ग्लेशियरों से प्रभावित हुई। [[पर्वतमाला]] पर शीत ऋतु में काफ़ी बर्फ़ गिरती है और गर्मी में काफ़ी बारिश होती है। इसमें विशाल चरागाह क्षेत्र हैं, जो वृक्ष क्षेत्र से ऊपर की तरफ़ हैं। | ||
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कश्मीर की घाटी का एक गहरा तथा विषम बेसिन है, जो पीर पंजाल और विशाल हिमालय पर्वत श्रेणी के पश्चिम छोर के बीच में स्थित औसतन 1,600 मीटर की ऊँचाई वाली है। अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग के दौरान यह कभी करेवा झील की तलहटी थी। अब यह ऊपरी [[झेलम नदी]] के द्वारा जमा की गई तलछट और जलोढ़ मिट्टी से भरी हुई है। मिट्टी और पानी की स्थितियों में उल्लेखनीय विविधता है। जलवायु की दृष्टि से यहाँ लगभग 750 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। कुछ तो ग्रीष्म कालीन मानसूनी हवाओं से और कुछ शीत ऋतु में कम दाब की प्रणाली से सम्बद्ध हवाओं से होती है। अक्सर हिमपात का साथ वर्षा और ओले देते हैं। ऊँचाई के कारण तापमान काफ़ी परिवर्तित हो जाता है। श्रीनगर में न्यूनतम औसत तापमान जनवरी में 2 डिग्री से. होता है और अधिकतम औसत तापमान जुलाई में 31 डिग्री से. तक रहता है। | कश्मीर की घाटी का एक गहरा तथा विषम बेसिन है, जो पीर पंजाल और विशाल हिमालय पर्वत श्रेणी के पश्चिम छोर के बीच में स्थित औसतन 1,600 मीटर की ऊँचाई वाली है। अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग के दौरान यह कभी करेवा झील की तलहटी थी। अब यह ऊपरी [[झेलम नदी]] के द्वारा जमा की गई तलछट और जलोढ़ मिट्टी से भरी हुई है। मिट्टी और पानी की स्थितियों में उल्लेखनीय विविधता है। जलवायु की दृष्टि से यहाँ लगभग 750 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। कुछ तो ग्रीष्म कालीन मानसूनी हवाओं से और कुछ शीत ऋतु में कम [[दाब]] की प्रणाली से सम्बद्ध हवाओं से होती है। अक्सर हिमपात का साथ वर्षा और ओले देते हैं। ऊँचाई के कारण [[तापमान]] काफ़ी परिवर्तित हो जाता है। [[श्रीनगर]] में न्यूनतम औसत तापमान [[जनवरी]] में 2 डिग्री से. होता है और अधिकतम औसत तापमान [[जुलाई]] में 31 डिग्री से. तक रहता है। | ||
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ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह [[तिब्बत]] की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] भू - भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल [[नंगा पर्वत]] का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आर पार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है। प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। [[लेह]] नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है। | ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह [[तिब्बत]] की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] भू - भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल [[नंगा पर्वत]] का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आर पार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है। प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। [[लेह]] नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है। | ||
====कराकोरम | ====कराकोरम पर्वतश्रेणी==== | ||
ग्रेनाइट - पट्टिताश्म का विशाल पर्वत पिंड, कराकोरम श्रृंखला, भारतीय क्षेत्र से पाकिस्तानी भूमि तक फैली हुई है। इसमें संसार की सर्वोच्च चोटियों में से कुछ हैं, जिसमें से एक 'के - 2' है, जिसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है। कम से कम 30 अन्य चोटियाँ 7,315 मीटर से अधिक ऊँची हैं। यह पर्वतमाला, जो बड़े भारी ग्लेशियरों से पटी पड़ी है, शुष्क और वीरान पठारों से ऊपर उभरी हुई हैं। विषम तापमान और विखंडित चट्टानों के मलबे इसकी विशेषताएँ हैं। कराकोरम को 'दुनिया की छत' कहा जाना बिल्कुल उचित प्रतीत होता है। | {{Main|कराकोरम पर्वतश्रेणी}} | ||
ग्रेनाइट - पट्टिताश्म का विशाल पर्वत पिंड, कराकोरम श्रृंखला, भारतीय क्षेत्र से पाकिस्तानी भूमि तक फैली हुई है। इसमें संसार की सर्वोच्च चोटियों में से कुछ हैं, जिसमें से एक 'के - 2' है, जिसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है। कम से कम 30 अन्य चोटियाँ 7,315 मीटर से अधिक ऊँची हैं। यह [[पर्वतमाला]], जो बड़े भारी ग्लेशियरों से पटी पड़ी है, शुष्क और वीरान पठारों से ऊपर उभरी हुई हैं। विषम तापमान और विखंडित चट्टानों के मलबे इसकी विशेषताएँ हैं। कराकोरम को 'दुनिया की छत' कहा जाना बिल्कुल उचित प्रतीत होता है। | |||
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11:04, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
जम्मू और कश्मीर पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (दोनों चीन के भाग) से, दक्षिण में हिमाचल प्रदेश व पंजाब राज्यों से, पश्चिम में पाकिस्तान और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भूभाग से घिरा है।
स्थिति
जम्मू और कश्मीर राज्य 32-15 और 37-05 उत्तरी अक्षांश और 72-35 तथा 83-20 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। भौगोलिक रूप से इस राज्य को चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है।
- पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी मैदान जो कंडी पट्टी के नाम से प्रचलित है
- पर्वतीय क्षेत्र जिसमें शिवालिक पहाड़ियाँ शामिल हैं
- कश्मीर घाटी के पहाड़ और पीर पांचाल पर्वतमाला
- तिब्बत से लगा लद्दाख और कारगिल क्षेत्र
भौगोलिक तथा सांस्कृतिक रूप से राज्य के तीन ज़िला क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख हैं।
मैदान
जम्मू क्षेत्र में संकीर्ण मैदानी प्रवेश की विशेषता तराइयों से निकली जलधाराओं के द्वारा जमा अवसाद और दोमट मिट्टी व लोएस (वायु के द्वारा लाकर जमा की गई मिट्टी) से ढके एकदम अलग हो चुके अपरदित चट्टान से निर्मित रेतीले जलोढ़ पंखों के अंतःबंधन हैं। जो अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग (यानी 10 हज़ार से 16 लाख वर्ष पुराना) के हैं। यहाँ वर्षा 380 से 500 मिमी वार्षिक तक होती है। गर्मी के मौसम में (जून से सितंबर में) जब मानसूनी हवाएँ चलती हैं, तब तेज़ लेकिन अनियमित फुहारों के रूप में वर्षा होती है। अंदरूनी इलाक़ा पेड़ों से पूरी तरह विहीन हो गया है और कंटीली झाड़ियाँ या मोटी घास ही यहाँ की मुख्य वनस्पति है।
तराई क्षेत्र
हिमालय की तराइयों से, जिनकी ऊँचाई 610 से 2134 मीटर तक है, बाहरी और भीतरी प्रक्षेत्र निर्मित है। बाहरी परिक्षेत्र की रचना बलुआ पत्थर, चिकनी मिट्टी, पंक और संपिड़ित चट्टानों से हुई है। ये क्षेत्र हिमालय की वलन गतिविधि से प्रभावित होकर और अपरदन के कारण लम्बे पर्वतीय कटकों और घाटियों (दून) के आकार के हो गए हैं। अंदरूनी प्रक्षेत्र अधिक भीमकाय तलछटी चट्टानों से, जिसमें मिओसीन युग (लगभग 53 से 237 लाख वर्ष पूर्व) के लाल बलुआ पत्थर शामिल हैं, से बना है। जिनके मुड़ने टुटने और क्षारित होने से खड़ी ढलान वाले पर्वत स्कंधों व पठारों का निर्माण हुआ। नदी घाटियों की कटान तीखी व सीढ़ीदार है और भ्रंशों से ऊधमपुर तथा पुंछ जैसे जलोढ़ मिट्टी के बेसिन बन गए हैं। ऊँचाई के साथ - साथ वर्षा बढ़ती जाती है और ऊँचाई बढ़ने के साथ निचली झाड़ीदार भूमि का स्थान देवदार और चीड़ के जंगल ले लेते हैं।
पीर पंजाल पर्वत श्रेणी
पीर पंजाल पर्वत श्रेणी हिमालय से संम्बद्ध पहली पर्वत श्रृंखला है। इसकी औसत शीर्ष रेखा 3,810 मीटर ऊँची है। जिसमें कोई - कोई चोटी 4,572 मीटर तक ऊँची है। ग्रेनाइट, शैल, क्वार्टज व स्लेट से बनी चट्टानों वाली यह पर्वतश्रेणी अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग में कई बार उत्थान तथा दरार पड़ने जैसी भौगोलिक घटनाओं का शिकार हुई और ग्लेशियरों से प्रभावित हुई। पर्वतमाला पर शीत ऋतु में काफ़ी बर्फ़ गिरती है और गर्मी में काफ़ी बारिश होती है। इसमें विशाल चरागाह क्षेत्र हैं, जो वृक्ष क्षेत्र से ऊपर की तरफ़ हैं।
कश्मीर की घाटी
कश्मीर की घाटी का एक गहरा तथा विषम बेसिन है, जो पीर पंजाल और विशाल हिमालय पर्वत श्रेणी के पश्चिम छोर के बीच में स्थित औसतन 1,600 मीटर की ऊँचाई वाली है। अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग के दौरान यह कभी करेवा झील की तलहटी थी। अब यह ऊपरी झेलम नदी के द्वारा जमा की गई तलछट और जलोढ़ मिट्टी से भरी हुई है। मिट्टी और पानी की स्थितियों में उल्लेखनीय विविधता है। जलवायु की दृष्टि से यहाँ लगभग 750 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। कुछ तो ग्रीष्म कालीन मानसूनी हवाओं से और कुछ शीत ऋतु में कम दाब की प्रणाली से सम्बद्ध हवाओं से होती है। अक्सर हिमपात का साथ वर्षा और ओले देते हैं। ऊँचाई के कारण तापमान काफ़ी परिवर्तित हो जाता है। श्रीनगर में न्यूनतम औसत तापमान जनवरी में 2 डिग्री से. होता है और अधिकतम औसत तापमान जुलाई में 31 डिग्री से. तक रहता है।
ऊपरी सिंधु घाटी
ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह तिब्बत की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तानी भू - भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल नंगा पर्वत का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आर पार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है। प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। लेह नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है।
कराकोरम पर्वतश्रेणी
ग्रेनाइट - पट्टिताश्म का विशाल पर्वत पिंड, कराकोरम श्रृंखला, भारतीय क्षेत्र से पाकिस्तानी भूमि तक फैली हुई है। इसमें संसार की सर्वोच्च चोटियों में से कुछ हैं, जिसमें से एक 'के - 2' है, जिसकी ऊँचाई 8,611 मीटर है। कम से कम 30 अन्य चोटियाँ 7,315 मीटर से अधिक ऊँची हैं। यह पर्वतमाला, जो बड़े भारी ग्लेशियरों से पटी पड़ी है, शुष्क और वीरान पठारों से ऊपर उभरी हुई हैं। विषम तापमान और विखंडित चट्टानों के मलबे इसकी विशेषताएँ हैं। कराकोरम को 'दुनिया की छत' कहा जाना बिल्कुल उचित प्रतीत होता है।
जम्मू और कश्मीर की जलवायु
- जम्मू और कश्मीर राज्य का 90 प्रतिशत से अधिक भाग पहाड़ी क्षेत्र है।
- इस क्षेत्र को भौगोलिक आकृति की दृष्टि से इस सात भागों में बाँटा गया है।
- जो पश्चिमी हिमालय के संरचानात्मक घटकों से जुड़े हैं।
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