"अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास": अवतरणों में अंतर

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जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
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यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥4॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥
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अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास
मलूकदास
मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन् (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन् (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

अब तेरी सरन आयो राम॥1॥
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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