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| ==छत्तीसगढ़==
| | {| width="60%" class="bharattable-pink" |
| {| class="bharattable-green" width="100%" | | |+विश्व हिन्दी सम्मेलन |
| |- | | |- |
| | valign="top"|
| | ! क्र.सं. |
| {| width="100%"
| | ! सम्मेलन |
| |
| | ! तिथि |
| <quiz display=simple>
| | ! नगर |
| {[[छत्तीसगढ़]] के [[धमतरी ज़िला|धमतरी ज़िले]] में कौन-सा अभयारण्य स्थित है?(भारतकोश)
| | ! देश |
| |type="()"} | | |- |
| -[[भोरमदेव अभयारण्य]]
| | |1. |
| -[[बारनावापारा वन्य जीवन अभयारण्य|बारनवापारा अभयारण्य]]
| | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1975|प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| -[[अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य|अचानकमार अभयारण्य]] | | |[[10 जनवरी|10]]-[[12 जनवरी]], [[1975]] |
| +[[सीतानंदी अभयारण्य]]
| | |नागपुर |
| ||[[चित्र:Chital-Sitanadi-Wildlife-Sanctuary.jpg|right|120px|चीतल, सीतानंदी अभयारण्य]]'सीतानंदी अभयारण्य' [[भारत]] के [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[धमतरी ज़िला|धमतरी ज़िले]] में स्थित एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण वन्य जीव अभयारण्य है। इस अभयारण्य की स्थापना वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम- 1972 के तहत [[1974]] में की गई थी। इस अभयारण्य में 556 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में अत्यंत ऊंचे-नीचे पहाड़ और पहाड़ी तराइयाँ हैं, जिनकी ऊंचाई 327-736 मीटर के बीच है। यह सुंदर अभयारण्य सीतानंदी नदी के नाम पर बनाया गया है, जो इस अभयारण्य के बीच से बहती है और देवकूट के पास [[महानदी]] नामक नदी से जुड़ती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सीतानंदी अभयारण्य]] | | |[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]] |
| | | |- |
| {[[छत्तीसगढ़]] में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बारूदी सुरंग की घटना से बचने के लिए किस साधन का उपयोग करने की सहमति प्रदान की गई है?
| | |2. |
| |type="()"} | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1976|द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| -दो पहिया वाहन | | |[[28 अगस्त|28]]-[[30 अगस्त]], [[1976]] |
| -साइकिल
| | |पोर्ट लुई |
| +घुड़सवारी
| | |[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]] |
| -उपरोक्त में से कोई नहीं
| | |- |
| | | |3. |
| {[[छत्तीसगढ़]] में 'भरभरी' की प्रसिद्ध गायिका निम्नलिखित में से कौन हैं? 352-31
| | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1983|तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| |type="()"} | | |[[28 अक्टूबर|28]]-[[30 अक्टूबर]], [[1983]] |
| -बासंती देवार | | |[[नई दिल्ली]] |
| +सुरूजबाई खाण्डे
| | |[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]] |
| -रजनी रजक
| | |- |
| -प्रभा यादव
| | |4. |
| | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1993|चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| {[[छत्तीसगढ़]] के हबीब तनवीर ने किस माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की?353-45
| | |[[2 दिसम्बर|02]]-[[4 दिसम्बर|04 दिसम्बर]], [[1993]] |
| |type="()"} | | |पोर्ट लुई |
| -छत्तीसगढ़ लोक संगीत
| | |[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]] |
| +छत्तीसगढ़ लोक नाट्य
| | |- |
| -[[राजनीति]]
| | |5. |
| -[[खेल]]
| | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1996|पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| | | |[[4 अप्रैल|04]]-[[8 अप्रैल|08 अप्रैल]], [[1996]] |
| {[[छत्तीसगढ़]] में 'लक्ष्मण मन्दिर' कहाँ स्थित है?(भारतकोश)
| | |पोर्ट ऑफ़ स्पेन |
| |type="()"} | | |[[चित्र:Flag-of-Trinidad-and-Tobago.png|50px]] त्रिनिदाद एवं टोबेगो |
| +[[सिरपुर (छत्तीसगढ़)|सिरपुर]]
| | |- |
| -[[डीपाडीह]]
| | |6. |
| -[[सिहावा]] | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 1999|छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| -[[चांपा]]
| | |[[14 सितम्बर|14]]-[[18 सितम्बर]], [[1999]] |
| ||[[चित्र:Laxman-Temple-Sirpur.jpg|right|100px|लक्ष्मण मन्दिर, सिरपुर]]'सिरपुर' या 'श्रीपुर' या 'सीरपुर' [[छत्तीसगढ़]] राज्य की राजधानी [[रायपुर]] से लगभग 78 कि.मी. दूर [[महानदी]] के तट पर स्थित है। ऐतिहासिक जनश्रुति से विदित होता है कि [[भद्रावती]] के सोमवंशी [[पाण्ड्य]] नरेशों ने भद्रावती को छोड़कर [[सिरपुर (छत्तीसगढ़)|सिरपुर]] बसाया था। यहाँ की उत्तर [[गुप्तकालीन कला और स्थापत्य|गुप्तकालीन कला]] की विशेषता जानने के लिए विशाल 'लक्ष्मण मन्दिर' का वर्णन पर्याप्त है। इसका तोरण 6'×6' है, जिस पर अनेक प्रकार की नक़्क़ाशी की गई हैं। इसके ऊपर शेषशायी [[विष्णु]] की सुन्दर प्रतिमा अवस्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिरपुर (छत्तीसगढ़)|सिरपुर]] | | |यू. के. |
| | | |[[चित्र:London-Flag.jpg|50px|link=लंदन]] [[लंदन]] |
| {निम्नलिखित में से [[संगीत]] के 'तालतीय' [[ग्रंथ]] के रचनाकार कौन हैं?351-12
| | |- |
| |type="()"} | | |7. |
| +राजा चक्रधर सिंह
| | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2003|सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| -विष्णु कृष्ण जोशी
| | |[[6 जून|06]]-[[9 जून|09 जून]], [[2003]] |
| -अजगर प्रसाद
| | |पारामारिबो |
| -बसंत रानाडे
| | |[[चित्र:Flag-of-Suriname.png|50px]] सूरीनाम |
| | | |- |
| {ऐसा कौन-सा त्यौहार है, जिसमें बच्चे [[पौष मास]] की [[पूर्णिमा]] के दिन एक-दूसरे के घर धान माँगने जाते हैं?353-53
| | |8. |
| |type="()"} | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2007|आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| -आक्ती | | |[[13 जुलाई|13]]-[[15 जुलाई]], [[2007]] |
| -हरेली
| | |[[न्यूयॉर्क नगर|न्यूयॉर्क]] |
| -पोला
| | |[[चित्र:America-Flag.gif|50px|link=अमरीका]] [[अमरीका]] |
| +छेर-छेरा
| | |- |
| | | |9. |
| {चुलमाटी, तेलमाटी, मायामौरी, नहहौर, परघनी, भड़ौनी, भांवर दहेज व विदा गीत किस गीत के प्रमुख भाग हैं?353-50
| | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2012|नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| |type="()"} | | |[[22 सितंबर|22]]-[[24 सितंबर]], [[2012]] |
| -सोहर गीत
| | |जोहांसबर्ग |
| -पठौनी गीत
| | |[[चित्र:South-Africa-flag.jpg|50px|link=दक्षिण अफ़्रीका]] [[दक्षिण अफ़्रीका]] |
| +बिहाव गीत
| | |- |
| -देव गीत
| | |10. |
| | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015|दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| {[[सीताबेंगरा गुफ़ा]] का [[शिलालेख]] किस लिपि में लिखा हुआ है?(भारतकोश)
| | |[[10 अगस्त|10]]-[[12 सितंबर]], [[2015]] |
| |type="()"}
| | |[[भोपाल]] |
| -[[शारदा लिपि]] | | |[[चित्र:Tricolor.jpg|50px|link=तिरंगा]] [[भारत]] |
| -[[कलिंग लिपि]]
| | |- |
| +[[ब्राह्मी लिपि]]
| | |11. |
| -[[अरामाइक लिपि]] | | |[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2018|ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन]] |
| ||[[छत्तीसगढ़]] राज्य के रामगढ़ के शैलाप्रयों में स्थित [[सीताबेंगरा गुफ़ा|सीताबेंगरा]] नामक गुफ़ा नाट्यशाला के लिए प्रसिद्ध है। रामगढ़ शैलाश्रय के अंतर्गत सीताबेंगरा गुहाश्रय के अन्दर लिपिबद्ध अभिलेखीय साक्ष्य के आधार पर इस नाट्यशाला का निर्माण लगभग दूसरी-तीसरी [[शताब्दी]] ई. पूर्व होने की बात इतिहासकारों एवं पुरात्त्वविदों ने समवेत स्वर में स्वीकार की है। सीताबेंगरा गुफ़ा में एक प्राचीन [[शिलालेख]] भी है, जिस पर '[[ब्राह्मी लिपि]]' में लेख लिखा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्राह्मी लिपि]] | | |[[18 अगस्त|18]]-[[20 अगस्त]], [[2018]] |
| | | |पोर्ट लुई |
| {पुस्तक 'छत्तीसगढ़ के लोकगीत' के लेखक कौन हैं?358-144
| | |[[चित्र:Flag-of-Mauritius.png|50px|link=मॉरीशस]] [[मॉरीशस]] |
| |type="()"} | |
| +दानेश्वर वर्मा
| |
| -श्यामचरण दुबे
| |
| -सरयू कालेकर
| |
| -शरद कोठारी
| |
| | |
| {[[छत्तीसगढ़]] में 'अमझोरा' क्या है?358-147
| |
| |type="()"} | |
| +विवाह पद्धति
| |
| -एक पेय पदार्थ | |
| -लोक गीत
| |
| -[[लोक नृत्य]]
| |
| | |
| {[[छत्तीसगढ़ी]] लोक गीतों का राजा किसे कहा जाता है?358-149
| |
| |type="()"}
| |
| -तेजा गीत को
| |
| -सुआ गीत को | |
| -करमा गीत को
| |
| +ददरिया को
| |
| | |
| {[[महानदी]] का उद्गम किस [[पर्वत]] श्रेणी से होता है?(भारतकोश)
| |
| |type="()"} | |
| -[[पारसनाथ पहाड़ी|पारसनाथ]]
| |
| +[[सिहावा]]
| |
| -[[गिरनार की पहाड़ियाँ|गिरनार]] | |
| -[[उसिरगिरि पर्वत|उसिरगिरि]]
| |
| ||'सिहावा' [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[रायपुर]] के समीप [[धमतरी ज़िला|धमतरी ज़िले]] में स्थित एक [[पर्वत]] श्रेणी है। इस पर्वत श्रेणी में ही [[महानदी]] का उद्गम होता है। किंवदंती है कि इस स्थान पर पूर्वकाल में श्रृंगी आदि सप्त ऋषियों की तपोभूमि थी, जिनके नाम से प्रसिद्ध कई गुफाएँ पहाड़ियों के उच्च शिखरों पर अवस्थित हैं। सिहावा के खंडहरों से छः मंदिरों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिहावा]] | |
| | |
| {[[छत्तीसगढ़]] में 'तमसई' किस पकवान को कहा जाता है?359-15
| |
| |type="()"} | |
| +खीर
| |
| -हल्वा | |
| -कचौड़ी
| |
| -मालपुआ
| |
| | |
| {'मेघनाद पर्व' किस जनजाति द्वारा मनाया जाता है?359-21
| |
| |type="()"} | |
| +[[गोंड]]
| |
| -बैगा
| |
| -भतरा
| |
| -कमार
| |
| ||गोंड [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जिसकी एक बड़ी संख्या [[छत्तीसगढ़]] में भी पाई जाती है। इस जाति के लोग प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानते हैं। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य [[भारत]] में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]
| |
| </quiz>
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| |}
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