"वर्धा शिक्षा आयोग": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''वर्धा शिक्षा योजना''' का सूत्रपात राष्ट्रपिता [[महात...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (श्रेणी:इतिहास (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
*इस योजना में विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा में लगभग 7 वर्ष तक अध्ययन करना होता था। | *इस योजना में विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा में लगभग 7 वर्ष तक अध्ययन करना होता था। | ||
*यह योजना द्वितीय विश्व युद्ध के कारण खटाई में पड़ गई, परन्तु [[1947]] ई. के बाद [[अंग्रेज़]] सरकार ने इस पर विचार किया। | *यह योजना द्वितीय विश्व युद्ध के कारण खटाई में पड़ गई, परन्तु [[1947]] ई. के बाद [[अंग्रेज़]] सरकार ने इस पर विचार किया। | ||
{{seealso|भारत में शिक्षा का विकास|भारत में शिक्षा}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 15: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{औपनिवेशिक काल}} | {{औपनिवेशिक काल}} | ||
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:आधुनिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
13:52, 15 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
वर्धा शिक्षा योजना का सूत्रपात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 1937 ई. में 'वर्धा' नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने वर्धा में अपने हरिजन के अंकों में शिक्षा पर योजना प्रस्तुत की, इसे ही 'वर्धा योजना' कहा गया। इसमें शिक्षा के माध्यम से हस्त उत्पादन कार्यों को महत्त्व दिया गया। इसमें बालक अपनी मातृभाषा के द्वारा 7 वर्ष तक अध्ययन करता था।
- 1935 ई. के 'भारत सरकार अधिनियम' के अन्तर्गत प्रान्तों में 'द्वैध शासन पद्धति' समाप्त हो गयी।
- इसके दो साल बाद ही गांधी जी ने 1937 ई. में 'वर्धा शिक्षा योजना' प्रस्तुत की।
- इस योजना के अन्तर्गत गांधी जी ने अध्यापकों के प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण, परीक्षण एवं प्रशासन का सुझाव दिया।
- योजना में सर्वाधिक महत्व हस्त उत्पादन कार्यों को दिया गया, जिसके द्वारा अध्यापकों के वेतन की व्यवस्था किये जाने की योजना थी।
- इस योजना में विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा में लगभग 7 वर्ष तक अध्ययन करना होता था।
- यह योजना द्वितीय विश्व युद्ध के कारण खटाई में पड़ गई, परन्तु 1947 ई. के बाद अंग्रेज़ सरकार ने इस पर विचार किया।
इन्हें भी देखें: भारत में शिक्षा का विकास एवं भारत में शिक्षा
|
|
|
|
|