"प्राकृतिक संसाधन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} पृथ्वी हमें '''प्राकृतिक संसाधन''' उपलब्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right" | {| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right" | ||
|+ विश्व में भूमि प्रयोग | |+ विश्व में भूमि प्रयोग | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 17: | ||
| अन्य || 30 प्रतिशत | | अन्य || 30 प्रतिशत | ||
|} | |} | ||
*पृथ्वी की भूपर्पटी से जीवाश्मीय ईंधन के भारी भंडार प्राप्त होते हैं। इनमें [[कोयला]], [[पेट्रोलियम]], प्राकृतिक गैस और मीथेन क्लेथरेट शामिल हैं। इन भंडारों का उपयोग [[ऊर्जा]] व रसायन उत्पादन के लिए किया जाता है। खनिज अयस्क पिंडों का निर्माण भी पृथ्वी की भूपर्पटी में ही होता है। | [[पृथ्वी]] हमें '''प्राकृतिक संसाधन''' उपलब्ध कराती है जिसे मानव अपने उपयोगी कार्यों के लिए प्रयोग करता है। इनमें से कुछ संसाधन को पुन: नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है, उदाहरणस्वरूप- [[खनिज]] [[ईंधन]]। जिनका प्रकृति द्वारा जल्दी से निर्माण करना संभव नहीं है। | ||
*पृथ्वी की भूपर्पटी से जीवाश्मीय ईंधन के भारी भंडार प्राप्त होते हैं। इनमें [[कोयला]], [[पेट्रोलियम]], [[प्राकृतिक गैस]] और मीथेन क्लेथरेट शामिल हैं। इन भंडारों का उपयोग [[ऊर्जा]] व रसायन उत्पादन के लिए किया जाता है। खनिज अयस्क पिंडों का निर्माण भी पृथ्वी की भूपर्पटी में ही होता है। | |||
*पृथ्वी का बायोमंडल मानव के लिए उपयोगी कई जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है। इनमें भोजन, लकड़ी, फार्मास्युटिकल्स, [[ऑक्सीजन]] इत्यादि शामिल है। भूमि आधारित पारिस्थिकीय प्रणाली मुख्य रूप से मृदा की ऊपरी परत और ताजा जल पर निर्भर करती है। दूसरी ओर महासागरीय पारिस्थितकीय प्रणाली भूमि से महासागरों में बहकर गये हुए पोषणीय तत्वों पर निर्भर करती है। | *पृथ्वी का बायोमंडल मानव के लिए उपयोगी कई जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है। इनमें भोजन, लकड़ी, फार्मास्युटिकल्स, [[ऑक्सीजन]] इत्यादि शामिल है। भूमि आधारित पारिस्थिकीय प्रणाली मुख्य रूप से मृदा की ऊपरी परत और ताजा जल पर निर्भर करती है। दूसरी ओर महासागरीय पारिस्थितकीय प्रणाली भूमि से महासागरों में बहकर गये हुए पोषणीय तत्वों पर निर्भर करती है। | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 24: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भू-विज्ञान}} | |||
[[Category:भू-विज्ञान]] | [[Category:भू-विज्ञान]] | ||
[[Category: | [[Category:भूगोल कोश]] | ||
[[Category:विज्ञान कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
09:33, 29 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
भूमि | प्रतिशत |
---|---|
खेती योग्य भूमि | 13.13 प्रतिशत |
स्थाई फसलें | 4.71 प्रतिशत |
स्थाई चारगाह | 26 प्रतिशत |
वन | 32 प्रतिशत |
शहरी क्षेत्र | 1.5 प्रतिशत |
अन्य | 30 प्रतिशत |
पृथ्वी हमें प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराती है जिसे मानव अपने उपयोगी कार्यों के लिए प्रयोग करता है। इनमें से कुछ संसाधन को पुन: नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है, उदाहरणस्वरूप- खनिज ईंधन। जिनका प्रकृति द्वारा जल्दी से निर्माण करना संभव नहीं है।
- पृथ्वी की भूपर्पटी से जीवाश्मीय ईंधन के भारी भंडार प्राप्त होते हैं। इनमें कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और मीथेन क्लेथरेट शामिल हैं। इन भंडारों का उपयोग ऊर्जा व रसायन उत्पादन के लिए किया जाता है। खनिज अयस्क पिंडों का निर्माण भी पृथ्वी की भूपर्पटी में ही होता है।
- पृथ्वी का बायोमंडल मानव के लिए उपयोगी कई जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है। इनमें भोजन, लकड़ी, फार्मास्युटिकल्स, ऑक्सीजन इत्यादि शामिल है। भूमि आधारित पारिस्थिकीय प्रणाली मुख्य रूप से मृदा की ऊपरी परत और ताजा जल पर निर्भर करती है। दूसरी ओर महासागरीय पारिस्थितकीय प्रणाली भूमि से महासागरों में बहकर गये हुए पोषणीय तत्वों पर निर्भर करती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख