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[[चित्र:Gauri-Shankar-Temple.jpg|thumb|250px|गौरी शंकर मंदिर, कन्नौज]]
'''कन्नौज''' [[भारत]] में [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक प्रमुख मुख्यालय एवं नगरपालिका है। इस शहर का नाम [[संस्कृत]] के [[कान्यकुब्ज]] शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगर है, जो कभी [[हिन्दू]] साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा था। माना जाता है कि [[कान्यकुब्ज ब्राह्मण]] मूल रूप से इसी स्थान के रहने वाले हैं। सम्राट [[हर्षवर्धन]] के शासन काल में कन्नौज अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था। वर्तमान कन्नौज शहर अपने 'इत्र' व्यवसाय के अलावा [[तंबाकू]] के व्यापार के लिए भी मशहूर है। यहाँ मुख्य रूप से [[कन्नौजी बोली]], कनउजी भाषा के रूप में इस्तेमाल की जाती है।
'''कन्नौज''' [[भारत]] में [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक प्रमुख मुख्यालय एवं नगरपालिका है। इस शहर का नाम [[संस्कृत]] के [[कान्यकुब्ज]] शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगर है, जो कभी [[हिन्दू]] साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा था। माना जाता है कि [[कान्यकुब्ज ब्राह्मण]] मूल रूप से इसी स्थान के रहने वाले हैं। सम्राट [[हर्षवर्धन]] के शासन काल में कन्नौज अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था। वर्तमान कन्नौज शहर अपने 'इत्र' व्यवसाय के अलावा [[तंबाकू]] के व्यापार के लिए भी मशहूर है। यहाँ मुख्य रूप से [[कन्नौजी बोली]], कनउजी भाषा के रूप में इस्तेमाल की जाती है।
==इतिहास==
==इतिहास==
उत्तर प्रदेश राज्य का कन्नौज शहर आधुनिक कानपुर शहर के पश्चिमोत्तर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह शहर कानपुर से सड़क व रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। [[रामायण]] में भी कन्नौज का उल्लेख मिलता है। इतिहासकार [[टॉलमी]] ने ईसा के काल में कन्नौज को 'कनोगिज़ा' लिखा है। पाँचवीं शताब्दी में यह [[गुप्त]] साम्राज्य का एक प्रमुख नगर था। छठी शताब्दी में श्वेत [[हूण|हूणों]] के आक्रमण से यह काफ़ी विनष्ट हो गया था। चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने, जो हर्षवर्धन के समय भारत आया था, इस नगर का उल्लेख किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य का कन्नौज शहर आधुनिक [[कानपुर]] शहर के पश्चिमोत्तर में [[गंगा नदी]] के किनारे स्थित है। यह शहर कानपुर से सड़क व रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। [[रामायण]] में भी कन्नौज का उल्लेख मिलता है। इतिहासकार [[टॉलमी]] ने ईसा के काल में कन्नौज को 'कनोगिज़ा' लिखा है। पाँचवीं शताब्दी में यह [[गुप्त]] साम्राज्य का एक प्रमुख नगर था। छठी शताब्दी में [[श्वेत हूण|श्वेत हूणों]] के आक्रमण से यह काफ़ी विनष्ट हो गया था। चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने, जो हर्षवर्धन के समय भारत आया था, इस नगर का उल्लेख किया है।


[[गुप्त साम्राज्य]] के विघटन के बाद [[मौखरि वंश]] के शासकों ने स्वयं को यहाँ स्थापित किया और कन्नौज को पांचवीं-छठी शताब्दी में राजधानी बनाकर महत्त्वपूर्ण बना दिया। [[इतिहास]] में प्रसिद्ध सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल के दौरान भी यह महत्त्वपूर्ण शहर माना जाता था, जिन्होंने शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर भारत पर शासन किया था। यह ब्राह्मणवादी और [[बौद्ध]] संस्थाओं के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ। कन्नौज पर अधिकार के लिए [[उत्तर भारत]] के [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार]] शासकों और [[पूर्वी भारत]] के [[पाल वंश|पाल]] राजाओं के बीच लगातार संघर्ष होता रहा।
[[गुप्त साम्राज्य]] के विघटन के बाद [[मौखरि वंश]] के शासकों ने स्वयं को यहाँ स्थापित किया और कन्नौज को पांचवीं-छठी शताब्दी में राजधानी बनाकर महत्त्वपूर्ण बना दिया। [[इतिहास]] में प्रसिद्ध सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल के दौरान भी यह महत्त्वपूर्ण शहर माना जाता था, जिन्होंने शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर भारत पर शासन किया था। यह ब्राह्मणवादी और [[बौद्ध]] संस्थाओं के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ। कन्नौज पर अधिकार के लिए [[उत्तर भारत]] के [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर-प्रतिहार]] शासकों और [[पूर्वी भारत]] के [[पाल वंश|पाल]] राजाओं के बीच लगातार संघर्ष होता रहा।
====मुग़लों का आधिपत्य====
====मुग़लों का आधिपत्य====
11वीं शताब्दी के आंरभिक काल में [[मुसलमान|मुसलमानों]] के आक्रमण के कारण यह नगर काफी विनष्ट हुआ। बाद में 1018 में इस पर [[महमूद ग़ज़नवी]] ने हमला किया और 1194 में पुन: लूटपाट के बाद यह पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया। '[[आइना-ए-अकबरी]]' द्वारा ज्ञात होता है कि [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के समय में यहाँ सरकार का मुख्य कार्यालय था। प्राचीन काल के भग्नावशेष आज भी लगभग छह कि.मी. व्यास के अर्धवृत्तीय क्षेत्र में विद्यमान हैं। इस नगर के निकट कई मसजिंदे, कब्रें तथा समाधियाँ हैं, जिनमें बालापार तथा शेख मेंहँदी की समाधियाँ उल्लेखनीय हैं।
11वीं शताब्दी के आंरभिक काल में [[मुसलमान|मुसलमानों]] के आक्रमण के कारण यह नगर काफ़ी विनष्ट हुआ। बाद में 1018 में इस पर [[महमूद ग़ज़नवी]] ने हमला किया और 1194 में पुन: लूटपाट के बाद यह पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया। '[[आइना-ए-अकबरी]]' द्वारा ज्ञात होता है कि [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के समय में यहाँ सरकार का मुख्य कार्यालय था। प्राचीन काल के भग्नावशेष आज भी लगभग छह कि.मी. व्यास के अर्धवृत्तीय क्षेत्र में विद्यमान हैं। इस नगर के निकट कई मसजिंदे, क़ब्रें तथा समाधियाँ हैं, जिनमें बालापार तथा शेख मेंहँदी की समाधियाँ उल्लेखनीय हैं।
 
==व्यापार==
==व्यापार==
वर्तमान समय में कन्नौज गुलाब जल, इत्र, तम्बाकू और अपनी सुगन्धित वस्तुओं के व्यापार के लिए सारे [[भारत]] में मशहूर है। यहाँ की सुगन्धित वस्तुओं का सारे भारत और विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।
वर्तमान समय में कन्नौज गुलाब जल, इत्र, [[तम्बाकू]] और अपनी सुगन्धित वस्तुओं के व्यापार के लिए सारे [[भारत]] में मशहूर है। यहाँ की सुगन्धित वस्तुओं का सारे भारत और विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।
====जनसंख्या====
====जनसंख्या====
जनगणना 2001 के अनुसार कन्नौज की जनसंख्या 71, 530 है।
जनगणना 2001 के अनुसार कन्नौज की जनसंख्या 71, 530 है।
==कान्यकुब्ज==
==कान्यकुब्ज==
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कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज के निम्न नाम [[साहित्य]] में उपलब्ध हैं—'कन्यापुर' ([[वराहपुराण]]), 'महोदय', 'कुशिक', 'कोश', 'गाधिपुर', 'कुसुमपुर' ([[युवानच्वांग]]), 'कण्णकुज्ज' ([[पाली भाषा|पाली]]) आदि। कन्नौज, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद, [[उत्तर प्रदेश]] का एक मुख्यालय और प्रमुख नगरपालिका है। कान्यकुब्ज की गणना [[भारत]] के प्राचीनतम ख्यातिप्राप्त नगरों में की जाती है। [[वाल्मीकि रामायण]] के अनुसार इस नगर का नामकरण कुशनाभ की कुब्जा कन्याओं के नाम पर हुआ था। [[पुराण|पुराणों]] में कथा है कि पुरुरवा के कनिष्ठ पुत्र अमावसु ने कान्यकुब्ज राज्य की स्थापना की थी। कुशनाभ इन्हीं का वंशज था। कान्यकुब्ज का पहला नाम 'महोदय' बताया गया है। महोदय का उल्लेख विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी है, 'पंचालाख्योस्ति विषयो मध्यदेशेमहोदयपुरं तत्र', 1,20,2-3. [[महाभारत]] में कान्यकुब्ज का [[विश्वामित्र]] के पिता राजा गाधि की राजधानी के रूप में उल्लेख है। उस समय कान्यकुब्ज की स्थिति दक्षिण [[पंचाल]] में रही होगी, किन्तु उसका अधिक महत्व नहीं था, क्योंकि दक्षिण-पंचाल की राजधानी [[कांपिल्य]] में थी।  
कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज के निम्न नाम [[साहित्य]] में उपलब्ध हैं—'कन्यापुर' ([[वराहपुराण]]), 'महोदय', 'कुशिक', 'कोश', '[[गाधिपुर]]', '[[कुसुमपुर]]' ([[युवानच्वांग]]), 'कण्णकुज्ज' ([[पाली भाषा|पाली]]) आदि। कन्नौज, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद, [[उत्तर प्रदेश]] का एक मुख्यालय और प्रमुख नगरपालिका है। कान्यकुब्ज की गणना [[भारत]] के प्राचीनतम ख्यातिप्राप्त नगरों में की जाती है। [[वाल्मीकि रामायण]] के अनुसार इस नगर का नामकरण [[कुशनाभ]] की कुब्जा कन्याओं के नाम पर हुआ था। [[पुराण|पुराणों]] में कथा है कि पुरुरवा के कनिष्ठ पुत्र अमावसु ने कान्यकुब्ज राज्य की स्थापना की थी। कुशनाभ इन्हीं का वंशज था। कान्यकुब्ज का पहला नाम 'महोदय' बताया गया है। महोदय का उल्लेख विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी है, 'पंचालाख्योस्ति विषयो मध्यदेशेमहोदयपुरं तत्र', 1,20,2-3. [[महाभारत]] में कान्यकुब्ज का [[विश्वामित्र]] के पिता राजा गाधि की राजधानी के रूप में उल्लेख है। उस समय कान्यकुब्ज की स्थिति दक्षिण [[पंचाल]] में रही होगी, किन्तु उसका अधिक महत्व नहीं था, क्योंकि दक्षिण-पंचाल की राजधानी [[कांपिल्य]] में थी।  


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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://kannauj.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट]
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13:05, 12 मार्च 2014 के समय का अवतरण

गौरी शंकर मंदिर, कन्नौज

कन्नौज भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख मुख्यालय एवं नगरपालिका है। इस शहर का नाम संस्कृत के कान्यकुब्ज शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगर है, जो कभी हिन्दू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा था। माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से इसी स्थान के रहने वाले हैं। सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल में कन्नौज अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था। वर्तमान कन्नौज शहर अपने 'इत्र' व्यवसाय के अलावा तंबाकू के व्यापार के लिए भी मशहूर है। यहाँ मुख्य रूप से कन्नौजी बोली, कनउजी भाषा के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

इतिहास

उत्तर प्रदेश राज्य का कन्नौज शहर आधुनिक कानपुर शहर के पश्चिमोत्तर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह शहर कानपुर से सड़क व रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। रामायण में भी कन्नौज का उल्लेख मिलता है। इतिहासकार टॉलमी ने ईसा के काल में कन्नौज को 'कनोगिज़ा' लिखा है। पाँचवीं शताब्दी में यह गुप्त साम्राज्य का एक प्रमुख नगर था। छठी शताब्दी में श्वेत हूणों के आक्रमण से यह काफ़ी विनष्ट हो गया था। चीनी यात्री युवानच्वांग ने, जो हर्षवर्धन के समय भारत आया था, इस नगर का उल्लेख किया है।

गुप्त साम्राज्य के विघटन के बाद मौखरि वंश के शासकों ने स्वयं को यहाँ स्थापित किया और कन्नौज को पांचवीं-छठी शताब्दी में राजधानी बनाकर महत्त्वपूर्ण बना दिया। इतिहास में प्रसिद्ध सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल के दौरान भी यह महत्त्वपूर्ण शहर माना जाता था, जिन्होंने शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर भारत पर शासन किया था। यह ब्राह्मणवादी और बौद्ध संस्थाओं के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ। कन्नौज पर अधिकार के लिए उत्तर भारत के गुर्जर-प्रतिहार शासकों और पूर्वी भारत के पाल राजाओं के बीच लगातार संघर्ष होता रहा।

मुग़लों का आधिपत्य

11वीं शताब्दी के आंरभिक काल में मुसलमानों के आक्रमण के कारण यह नगर काफ़ी विनष्ट हुआ। बाद में 1018 में इस पर महमूद ग़ज़नवी ने हमला किया और 1194 में पुन: लूटपाट के बाद यह पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया। 'आइना-ए-अकबरी' द्वारा ज्ञात होता है कि मुग़ल बादशाह अकबर के समय में यहाँ सरकार का मुख्य कार्यालय था। प्राचीन काल के भग्नावशेष आज भी लगभग छह कि.मी. व्यास के अर्धवृत्तीय क्षेत्र में विद्यमान हैं। इस नगर के निकट कई मसजिंदे, क़ब्रें तथा समाधियाँ हैं, जिनमें बालापार तथा शेख मेंहँदी की समाधियाँ उल्लेखनीय हैं।

व्यापार

वर्तमान समय में कन्नौज गुलाब जल, इत्र, तम्बाकू और अपनी सुगन्धित वस्तुओं के व्यापार के लिए सारे भारत में मशहूर है। यहाँ की सुगन्धित वस्तुओं का सारे भारत और विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।

जनसंख्या

जनगणना 2001 के अनुसार कन्नौज की जनसंख्या 71, 530 है।

कान्यकुब्ज

कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज के निम्न नाम साहित्य में उपलब्ध हैं—'कन्यापुर' (वराहपुराण), 'महोदय', 'कुशिक', 'कोश', 'गाधिपुर', 'कुसुमपुर' (युवानच्वांग), 'कण्णकुज्ज' (पाली) आदि। कन्नौज, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश का एक मुख्यालय और प्रमुख नगरपालिका है। कान्यकुब्ज की गणना भारत के प्राचीनतम ख्यातिप्राप्त नगरों में की जाती है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार इस नगर का नामकरण कुशनाभ की कुब्जा कन्याओं के नाम पर हुआ था। पुराणों में कथा है कि पुरुरवा के कनिष्ठ पुत्र अमावसु ने कान्यकुब्ज राज्य की स्थापना की थी। कुशनाभ इन्हीं का वंशज था। कान्यकुब्ज का पहला नाम 'महोदय' बताया गया है। महोदय का उल्लेख विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी है, 'पंचालाख्योस्ति विषयो मध्यदेशेमहोदयपुरं तत्र', 1,20,2-3. महाभारत में कान्यकुब्ज का विश्वामित्र के पिता राजा गाधि की राजधानी के रूप में उल्लेख है। उस समय कान्यकुब्ज की स्थिति दक्षिण पंचाल में रही होगी, किन्तु उसका अधिक महत्व नहीं था, क्योंकि दक्षिण-पंचाल की राजधानी कांपिल्य में थी।


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