"राजीव गाँधी": अवतरणों में अंतर
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'''राजीव गाँधी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rajiv Gandhi'', जन्म: [[20 अगस्त]], [[1944]], [[मुंबई]]; मृत्यु: [[21 मई]], [[1991]]) [[भारत]] की पहली महिला प्रधानमंत्री [[इन्दिरा गांधी]] के पुत्र और भारत के पहले प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] के दौहित्र और [[भारत के प्रधानमंत्री|भारत के नौवें प्रधानमंत्री]] थे। उनका पूरा नाम '''राजीव रत्न गांधी''' था। राजीव गांधी [[भारत]] की कांग्रेस (इ) पार्टी के अग्रणी महासचिव (1981 से) थे और अपनी माँ की हत्या के बाद [[भारत]] के प्रधानमंत्री ([[1984]]-[[1989]]) बने। 40 साल की उम्र में देश के सबसे युवा और नौवें प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल करने वाले राजीव गांधी "आधुनिक भारत के शिल्पकार" कहे जा सकते हैं। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने देश में तकनीक के प्रयोग को प्राथमिकता देकर कंप्यूटर के व्यापक प्रयोग पर जोर डाला। भारत में कंप्यूटर को स्थापित करने के लिए उन्हें कई विरोधों और आरोपों को भी झेलना पड़ा, लेकिन अब वह देश की ताकत बन चुके कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। राजीव गांधी देश के युवाओं में काफ़ी लोकप्रिय नेता थे। उनका भाषण सुनने के लिए लोग काफ़ी इंतज़ार भी करते थे। राजीव देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में कई ऐसे फैसले लिए जिसका असर देश के विकास पर देखने को मिला। | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
राजीव | [[चित्र:Rajiv-Gandhi-And-Sonia-Gandhi.jpg|thumb|250px|left|[[सोनिया गाँधी]] एवं राजीव गाँधी]] | ||
राजीव गाँधी का जन्म [[20 अगस्त]], [[1944]] को बंबई (वर्तमान [[मुंबई]]), [[भारत]] में हुआ था। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी की मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई, विवाहोपरांत जिनका नाम बदलकर [[सोनिया गांधी]] रखा गया। राजीव गाँधी के दो सन्तानें है, पुत्र [[राहुल गाँधी]] और पुत्री [[प्रियंका गाँधी]]। राजीव तथा उनके छोटे भाई [[संजय गाँधी]] ([[1946]]-[[1980]]) की शिक्षा-दीक्षा [[देहरादून]] के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने [[लंदन]] के इंपीरियल कॉलेज में दाख़िला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय ([[1965]]) से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया, [[भारत]] लौटने पर उन्होंने व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और [[1968]] से इंडियन एयरलाइन्स में काम करने लगे। | |||
राजीव तथा उनके छोटे भाई [[संजय गाँधी]] (1946- | ==राजनीतिक सफ़र== | ||
== | राजीव गांधी ने अपनी राजनीतिक आरुचि के बाद भी माँ [[इंदिरा गाँधी]] के आदेश पर राजनीति जीवन शुरू किया। छोटे भाई संजय के स्थान पर [[1981]] में [[अमेठी]] से पहला चुनाव जीता और [[लोकसभा]] में पहुंचे। जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की [[23 जून]], [[1980]] को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। [[जून]] [[1981]] में वह [[लोकसभा]] उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए। | ||
जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की 23 जून, 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। जून 1981 में वह लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए। | |||
राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद राजीव गांधी ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली। भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में राजीव गांधी का प्रवेश केवल हालातों की ही देन था। [[दिसंबर]] [[1984]] के चुनावों में [[कांग्रेस]] को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ। इस जीत का नेतृत्व भी राजीव गांधी ने ही किया था। अपने शासनकाल में उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए। [[कश्मीर]] और [[पंजाब]] में चल रहे अलगाववादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी ने कड़े प्रयत्न किए। [[भारत]] में ग़रीबी के स्तर में कमी लाने और ग़रीबों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए [[1 अप्रैल]] [[1989]] को राजीव गांधी ने जवाहर रोजगार गारंटी योजना को लागू किया जिसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना और दस लाख कुआं योजना जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की।<ref>{{cite web |url=http://hindi.yahoo.com/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%86%E0%A4%9C-%E0%A4%AF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%89%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%87-034247638.html |title=कंप्यूटर क्रांति के अगुवा व कद्दावर नेता राजीव गांधी |accessmonthday=20 अगस्त |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण याहू इंडिया |language=हिंदी }}</ref> | |||
==असाधारण व्यक्तित्व== | |||
[[चित्र:Rajiv-indira-sonia.jpg|thumb|राजीव गाँधी, [[सोनिया गाँधी]] और [[इंदिरा गाँधी]]]] | |||
कोई व्यक्ति मानसिक रूप से कितना सुदृढ़ हो सकता है, इसकी मिसाल राजीव गाँधी थे। पहले छोटे भाई की मृत्यु और चार वर्षों बाद मॉं की नृशंस हत्या, इस सब के बाद भी उनके कदम डगमगाए नहीं और वे और शक्ति के साथ भारत निर्माण की मंजिल की ओर बढ़ते गए। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद [[लोकसभा]] में कांग्रेस का पूर्ण बहुमत था, राजीव गांधी लोकसभा के निर्वाचित सदस्य थे, फिर भी राजनीतिक शुचिता का परिचय देते हुए, उन्होंने पुनः लोकसभा में चुनाव समय पूर्व करवाए ताकि कोई यह अंगुली न उठा सके कि जनता ने इंदिरा जी को देखकर कांग्रेस को बहुमत दिया था, राजीव को नहीं। और राजीव गांधी के नेतृत्व में भारत के लोकतंत्र में इतिहास में कांग्रेस ने 542 में से 411 सीटें जीतकर एक नया रिकार्ड बनाया। | |||
राजीव गांधी के गद्दी संभालने के समय उन्हें आतंकवाद से जलता झुलसता [[भारत]] मिला था। उत्तरी भाग में [[पंजाब]] तो उत्तरपूर्व में [[असम]] जैसे राज्य के आम नागरिक आतंकवादी और आतंकी घटनाओं से संघर्ष कर रहे थे और यह राजीव गांधी के लिए एक बड़ी पीड़ा का कारण था। उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के हल करने की दिशा में अग्रसर होते हुए संत हरचरण सिंह लोंगोवाल से आग्रह किया कि ऐसा कुछ सार्थक किया जाए कि जिसके परिणामस्वरूप पंजाब की जनता को आतंक की आग से बचाया जा सके और इसकी परिणिति के रूप में राजीव-लोंगोवाल समझौता सामने आया, जिसका त्वरित प्रभाव यह रहा कि पंजाब के लोगों ने पहली बार मानसिक रूप से यह स्वीकार कर लिया कि पंजाब से आतंकवाद खत्म हो सकता है, और पंजाब के युवा पुनः देश के मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकते हैं। यद्यपि संत लोंगोवाल के निधन से समझौते के परिणाम प्राप्त होने में समय ज़रूर लगा पर इस मानसिक दृढ़ता के बल पर ही पंजाब के लोगों ने धीरे-धीरे आतंकवाद पर विजय प्राप्त करी और आज पंजाब में सब कुछ सामान्य है।<ref>{{cite web |url=http://jnilive.mobi/sultanpur/2011/05/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80/ |title=विश्वनायक राजीव गांधी |accessmonthday=20 अगस्त |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=JNI सुल्तानपुर |language=हिंदी }}</ref> | |||
==प्रधानमंत्री के रूप में== | ==प्रधानमंत्री के रूप में== | ||
राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब | [[चित्र:Rajeev-Gandhi-Stamp.jpg|thumb|left|250px|राजीव गाँधी के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]] | ||
[[31 अक्टूबर]] [[1984]] को प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] की हत्या के बाद देश की डांवाडोल होती राजनीतिक परिस्थितियों को संभालने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। उस समय कई लोगों ने उन्हें नौसिखिया भी कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई उससे सभी अचंभित रह गए। राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब उनकी माँ की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता चुन लिया गया। उनका शासनकाल कई आरोपों से भी घिरा रहा जिसमें बोफोर्स घोटाला सबसे गंभीर था। इसके अलावा उन पर कोई ऐसा दाग़ नहीं था जिसकी वजह से उनकी निंदा हो। पाक दामन होने की वजह से ही लोगों के बीच राजीव गांधी की अच्छी पकड़ थी। [[श्रीलंका]] में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने [[भारतीय सेना]] को श्रीलंका में तैनात कर दिया। जिसका प्रतिकार लिट्टे ने [[तमिलनाडु]] में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया। 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के क़रीब एक महिला राजीव गांधी से मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया। इस हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई। देश में राजीव गांधी की मौत के बाद बहुत बड़ा रोष देखने को मिला। | |||
==राजनीतिक सफ़र और पद == | |||
{| width="100%" class="bharattable-green" border:1px solid #80c7ff" cellpadding="5" cellspacing="0" border="1" | |||
|- | |||
! दिनांक / वर्ष | |||
! पद | |||
|- | |||
|[[1981]] | |||
|लोकसभा (सातवीं) के लिए निर्वाचित | |||
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|[[1984]] | |||
|लोकसभा (आठवीं) के लिए पुन: निर्वाचित | |||
|- | |||
|[[19 अक्टूबर]], 1984 से [[2 दिसम्बर]], 1984 तक | |||
|[[प्रधानमंत्री]] एवं अन्य सभी मंत्रालय विभाग जो कि अन्य किसी मंत्री को आंवटित किए गए। | |||
|- | |||
| [[31 दिसम्बर]], 1984 से [[14 जनवरी]], [[1985]] | |||
| वाणिज्य और आपूर्ति, विदेश, उद्योग व कम्पनी मामले, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, इलैक्ट्रानिक्स, महासागर, <br /> | |||
विकास, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार, युवा मामले एवं खेल, संस्कृति, पर्यटन एवं नागर विमानन मंत्रालय का भी पदभार सम्भाला। | |||
|- | |||
| [[31 दिसम्बर]], 1984 से [[20 अक्टूबर]], [[1986]] | |||
| पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के भी प्रभारी। | |||
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| [[25 दिसम्बर]], 1985 से [[24 जनवरी]], [[1987]] | |||
| रक्षा मंत्रालय के भी प्रभारी। | |||
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| [[4 जून]], 1986 से [[24 जून]], 1986 | |||
| परिवहन मंत्रालय के भी प्रभारी। | |||
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| 24 जनवरी, 1987 से [[25 जुलाई]], 1987 | |||
| [[वित्त मंत्रालय]] के भी प्रभारी। | |||
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| [[4 मई]], [[1987]] से [[25 जुलाई]], 1987 | |||
| कार्याक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के भी प्रभारी। | |||
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| [[15 जुलाई]], 1987 से [[28 जुलाई]], 1987 | |||
| पर्यटन मंत्रालय के भी प्रभारी। | |||
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| 25 जुलाई, 1987 से [[26 जून]], [[1988]] | |||
| विदेश मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला। | |||
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| [[22 अगस्त]], 1987 से [[10 नवम्बर]], 1987 | |||
| जल संसाधन मंत्रालय का कार्यभार भी सम्भाला। | |||
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| [[मई]], 1989 से [[जुलाई]], [[1989]] | |||
| संचार मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला। | |||
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| [[1989]] | |||
| लोक सभा (नौवीं) के लिए तीसरी बार निर्वाचित। | |||
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| [[18 दिसम्बर]], 1989 से [[24 दिसम्बर]], [[1990]] | |||
| लोक सभा (नौवीं) में विपक्ष के नेता। | |||
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| [[24 जनवरी]], 1990 | |||
| सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति। | |||
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| [[1991]] | |||
| लोक सभा (दसवीं) के लिए चौथी बार निर्वाचित। | |||
|} | |||
==योगदान== | |||
राजीव गांधी अपनी इच्छा के विपरीत राजनीति में आए थे। वह खुद राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते थे लेकिन यह विडंबना ही है कि उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से ही सबसे ज्यादा आलोचना झेलनी पड़ी। उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल और शुरुआत की जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल है। राजीव ने कई साहसिक कदम उठाए जिनमें श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना, असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता आदि शामिल है।<ref>{{cite web |url=http://politics.jagranjunction.com/2012/08/18/rajiv-gandhi-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80/ |title=Rajiv Gandhi: ना चाहते हुए भी आए राजनीति में |accessmonthday=20 अगस्त |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिंदी }}</ref> | |||
==अलगाववादी आन्दोलन== | ==अलगाववादी आन्दोलन== | ||
दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन [[पंजाब]] और [[कश्मीर]] में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए [[तमिलनाडु]] में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी। | [[दिसम्बर]] [[1984]] के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन [[पंजाब]] और [[कश्मीर]] में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए [[तमिलनाडु]] में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
21 मई 1991 | अपने राजनीतिक फैसलों से कट्टरपंथियों को नाराज कर चुके राजीव पर [[श्रीलंका]] में सलामी गारद के निरीक्षण के वक्त हमला किया गया, लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे, पर [[1991]] में ऐसा नहीं हो सका। [[21 मई]], [[1991]] को [[तमिलनाडु]] के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती हमले में वह मारे गए। उनके साथ 17 और लोगों की जान गई। राजीव गांधी की देश सेवा को राष्ट्र ने उनके दुनिया से विदा होने के बाद स्वीकार करते हुए उन्हें [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया, जिसे [[सोनिया गांधी]] ने [[6 जुलाई]], 1991 को अपने पति की ओर से ग्रहण किया। 'वीरभूमि' राजीव गाँधी का समाधि स्थल है। यह [[दिल्ली]] के रिंग मार्ग पर आने वाला एक बस स्टॉप भी है। | ||
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{| | |||
{{शासन क्रम |शीर्षक=[[भारत के प्रधानमंत्री]] |पूर्वाधिकारी=[[चौधरी चरण सिंह]] |उत्तराधिकारी=[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]]}} | |||
{{भारत रत्न}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
{{भारत के प्रधानमंत्री}} | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://www.congress.org.in/new/hindi/rajiv-bio.php राजीव गांधी का जीवन परिचय] | |||
*[http://www.simigarewal.com/indias_rajiv.php सिमी ग्रेवाल द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री 'इंडियाज राजीव'] | |||
*[http://jnilive.mobi/sultanpur/2011/05/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80/ ] | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{भारत रत्न}}{{भारत के प्रधानमंत्री}}{{नेहरू परिवार}}{{भारत रत्न2}} | |||
[[Category:भारत के प्रधानमंत्री]][[Category:राजनेता]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:भारत_रत्न_सम्मान]][[Category:नेहरू परिवार]][[Category:चरित कोश]] | |||
[[Category:लोकसभा सांसद]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]] | |||
[[Category:इन्दिरा गाँधी]] | |||
[[Category:इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार]] | |||
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11:05, 19 मार्च 2024 के समय का अवतरण
राजीव गाँधी
| |
पूरा नाम | राजीव रत्न गाँधी |
जन्म | 20 अगस्त, 1944 |
जन्म भूमि | मुंबई, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 21 मई 1991 |
मृत्यु स्थान | श्रीपरेंबुदूर, तमिलनाडु |
मृत्यु कारण | हत्या |
अभिभावक | फ़िरोज गाँधी, इन्दिरा गाँधी |
पति/पत्नी | सोनिया गाँधी |
संतान | राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | काँग्रेस |
पद | भारत के नौवें प्रधानमंत्री |
कार्य काल | 31 अक्टूबर 1984 – 2 दिसम्बर 1989 |
शिक्षा | इंजीनियरिंग |
विद्यालय | दून स्कूल देहरादून, इंपीरियल कॉलेज लंदन |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न |
विशेष योगदान | उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल और शुरुआत की जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल है। |
राजीव गाँधी (अंग्रेज़ी: Rajiv Gandhi, जन्म: 20 अगस्त, 1944, मुंबई; मृत्यु: 21 मई, 1991) भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पुत्र और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दौहित्र और भारत के नौवें प्रधानमंत्री थे। उनका पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। राजीव गांधी भारत की कांग्रेस (इ) पार्टी के अग्रणी महासचिव (1981 से) थे और अपनी माँ की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री (1984-1989) बने। 40 साल की उम्र में देश के सबसे युवा और नौवें प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल करने वाले राजीव गांधी "आधुनिक भारत के शिल्पकार" कहे जा सकते हैं। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने देश में तकनीक के प्रयोग को प्राथमिकता देकर कंप्यूटर के व्यापक प्रयोग पर जोर डाला। भारत में कंप्यूटर को स्थापित करने के लिए उन्हें कई विरोधों और आरोपों को भी झेलना पड़ा, लेकिन अब वह देश की ताकत बन चुके कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। राजीव गांधी देश के युवाओं में काफ़ी लोकप्रिय नेता थे। उनका भाषण सुनने के लिए लोग काफ़ी इंतज़ार भी करते थे। राजीव देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में कई ऐसे फैसले लिए जिसका असर देश के विकास पर देखने को मिला।
जीवन परिचय
राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बंबई (वर्तमान मुंबई), भारत में हुआ था। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी की मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई, विवाहोपरांत जिनका नाम बदलकर सोनिया गांधी रखा गया। राजीव गाँधी के दो सन्तानें है, पुत्र राहुल गाँधी और पुत्री प्रियंका गाँधी। राजीव तथा उनके छोटे भाई संजय गाँधी (1946-1980) की शिक्षा-दीक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में दाख़िला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय (1965) से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया, भारत लौटने पर उन्होंने व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और 1968 से इंडियन एयरलाइन्स में काम करने लगे।
राजनीतिक सफ़र
राजीव गांधी ने अपनी राजनीतिक आरुचि के बाद भी माँ इंदिरा गाँधी के आदेश पर राजनीति जीवन शुरू किया। छोटे भाई संजय के स्थान पर 1981 में अमेठी से पहला चुनाव जीता और लोकसभा में पहुंचे। जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की 23 जून, 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। जून 1981 में वह लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद राजीव गांधी ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली। भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में राजीव गांधी का प्रवेश केवल हालातों की ही देन था। दिसंबर 1984 के चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ। इस जीत का नेतृत्व भी राजीव गांधी ने ही किया था। अपने शासनकाल में उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए। कश्मीर और पंजाब में चल रहे अलगाववादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी ने कड़े प्रयत्न किए। भारत में ग़रीबी के स्तर में कमी लाने और ग़रीबों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए 1 अप्रैल 1989 को राजीव गांधी ने जवाहर रोजगार गारंटी योजना को लागू किया जिसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना और दस लाख कुआं योजना जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की।[1]
असाधारण व्यक्तित्व
कोई व्यक्ति मानसिक रूप से कितना सुदृढ़ हो सकता है, इसकी मिसाल राजीव गाँधी थे। पहले छोटे भाई की मृत्यु और चार वर्षों बाद मॉं की नृशंस हत्या, इस सब के बाद भी उनके कदम डगमगाए नहीं और वे और शक्ति के साथ भारत निर्माण की मंजिल की ओर बढ़ते गए। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद लोकसभा में कांग्रेस का पूर्ण बहुमत था, राजीव गांधी लोकसभा के निर्वाचित सदस्य थे, फिर भी राजनीतिक शुचिता का परिचय देते हुए, उन्होंने पुनः लोकसभा में चुनाव समय पूर्व करवाए ताकि कोई यह अंगुली न उठा सके कि जनता ने इंदिरा जी को देखकर कांग्रेस को बहुमत दिया था, राजीव को नहीं। और राजीव गांधी के नेतृत्व में भारत के लोकतंत्र में इतिहास में कांग्रेस ने 542 में से 411 सीटें जीतकर एक नया रिकार्ड बनाया।
राजीव गांधी के गद्दी संभालने के समय उन्हें आतंकवाद से जलता झुलसता भारत मिला था। उत्तरी भाग में पंजाब तो उत्तरपूर्व में असम जैसे राज्य के आम नागरिक आतंकवादी और आतंकी घटनाओं से संघर्ष कर रहे थे और यह राजीव गांधी के लिए एक बड़ी पीड़ा का कारण था। उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के हल करने की दिशा में अग्रसर होते हुए संत हरचरण सिंह लोंगोवाल से आग्रह किया कि ऐसा कुछ सार्थक किया जाए कि जिसके परिणामस्वरूप पंजाब की जनता को आतंक की आग से बचाया जा सके और इसकी परिणिति के रूप में राजीव-लोंगोवाल समझौता सामने आया, जिसका त्वरित प्रभाव यह रहा कि पंजाब के लोगों ने पहली बार मानसिक रूप से यह स्वीकार कर लिया कि पंजाब से आतंकवाद खत्म हो सकता है, और पंजाब के युवा पुनः देश के मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकते हैं। यद्यपि संत लोंगोवाल के निधन से समझौते के परिणाम प्राप्त होने में समय ज़रूर लगा पर इस मानसिक दृढ़ता के बल पर ही पंजाब के लोगों ने धीरे-धीरे आतंकवाद पर विजय प्राप्त करी और आज पंजाब में सब कुछ सामान्य है।[2]
प्रधानमंत्री के रूप में
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की डांवाडोल होती राजनीतिक परिस्थितियों को संभालने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। उस समय कई लोगों ने उन्हें नौसिखिया भी कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई उससे सभी अचंभित रह गए। राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब उनकी माँ की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता चुन लिया गया। उनका शासनकाल कई आरोपों से भी घिरा रहा जिसमें बोफोर्स घोटाला सबसे गंभीर था। इसके अलावा उन पर कोई ऐसा दाग़ नहीं था जिसकी वजह से उनकी निंदा हो। पाक दामन होने की वजह से ही लोगों के बीच राजीव गांधी की अच्छी पकड़ थी। श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया। जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया। 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के क़रीब एक महिला राजीव गांधी से मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया। इस हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई। देश में राजीव गांधी की मौत के बाद बहुत बड़ा रोष देखने को मिला।
राजनीतिक सफ़र और पद
दिनांक / वर्ष | पद |
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1981 | लोकसभा (सातवीं) के लिए निर्वाचित |
1984 | लोकसभा (आठवीं) के लिए पुन: निर्वाचित |
19 अक्टूबर, 1984 से 2 दिसम्बर, 1984 तक | प्रधानमंत्री एवं अन्य सभी मंत्रालय विभाग जो कि अन्य किसी मंत्री को आंवटित किए गए। |
31 दिसम्बर, 1984 से 14 जनवरी, 1985 | वाणिज्य और आपूर्ति, विदेश, उद्योग व कम्पनी मामले, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, इलैक्ट्रानिक्स, महासागर, विकास, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार, युवा मामले एवं खेल, संस्कृति, पर्यटन एवं नागर विमानन मंत्रालय का भी पदभार सम्भाला। |
31 दिसम्बर, 1984 से 20 अक्टूबर, 1986 | पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के भी प्रभारी। |
25 दिसम्बर, 1985 से 24 जनवरी, 1987 | रक्षा मंत्रालय के भी प्रभारी। |
4 जून, 1986 से 24 जून, 1986 | परिवहन मंत्रालय के भी प्रभारी। |
24 जनवरी, 1987 से 25 जुलाई, 1987 | वित्त मंत्रालय के भी प्रभारी। |
4 मई, 1987 से 25 जुलाई, 1987 | कार्याक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के भी प्रभारी। |
15 जुलाई, 1987 से 28 जुलाई, 1987 | पर्यटन मंत्रालय के भी प्रभारी। |
25 जुलाई, 1987 से 26 जून, 1988 | विदेश मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला। |
22 अगस्त, 1987 से 10 नवम्बर, 1987 | जल संसाधन मंत्रालय का कार्यभार भी सम्भाला। |
मई, 1989 से जुलाई, 1989 | संचार मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला। |
1989 | लोक सभा (नौवीं) के लिए तीसरी बार निर्वाचित। |
18 दिसम्बर, 1989 से 24 दिसम्बर, 1990 | लोक सभा (नौवीं) में विपक्ष के नेता। |
24 जनवरी, 1990 | सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति। |
1991 | लोक सभा (दसवीं) के लिए चौथी बार निर्वाचित। |
योगदान
राजीव गांधी अपनी इच्छा के विपरीत राजनीति में आए थे। वह खुद राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते थे लेकिन यह विडंबना ही है कि उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से ही सबसे ज्यादा आलोचना झेलनी पड़ी। उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल और शुरुआत की जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल है। राजीव ने कई साहसिक कदम उठाए जिनमें श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना, असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता आदि शामिल है।[3]
अलगाववादी आन्दोलन
दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन पंजाब और कश्मीर में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी।
निधन
अपने राजनीतिक फैसलों से कट्टरपंथियों को नाराज कर चुके राजीव पर श्रीलंका में सलामी गारद के निरीक्षण के वक्त हमला किया गया, लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे, पर 1991 में ऐसा नहीं हो सका। 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती हमले में वह मारे गए। उनके साथ 17 और लोगों की जान गई। राजीव गांधी की देश सेवा को राष्ट्र ने उनके दुनिया से विदा होने के बाद स्वीकार करते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया, जिसे सोनिया गांधी ने 6 जुलाई, 1991 को अपने पति की ओर से ग्रहण किया। 'वीरभूमि' राजीव गाँधी का समाधि स्थल है। यह दिल्ली के रिंग मार्ग पर आने वाला एक बस स्टॉप भी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कंप्यूटर क्रांति के अगुवा व कद्दावर नेता राजीव गांधी (हिंदी) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 20 अगस्त, 2013।
- ↑ विश्वनायक राजीव गांधी (हिंदी) JNI सुल्तानपुर। अभिगमन तिथि: 20 अगस्त, 2013।
- ↑ Rajiv Gandhi: ना चाहते हुए भी आए राजनीति में (हिंदी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 20 अगस्त, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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