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'''[[यश चोपड़ा]] द्वारा निर्देशित 'दीवार' (1975) हिन्दी सिनेमा की सबसे सफलतम फ़िल्मों''' में से है जिसने [[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] के "एंग्री यंग मैन" के ख़िताब को स्थापित कर दिया। इस फ़िल्म ने अमिताभ के कैरियर को नयी बुलंदियों पर पहुँचा दिया। कहा जाता है कि फ़िल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डॉन 'हाजी मस्तान' के जीवन पर आधारित है और अमिताभ बच्चन ने यही किरदार निभाया है। फ़िल्म कहानी है- दो भाइयों की जो बचपन मे अपने और अपने परिवार पर अत्याचार को झेलकर ज़िंदगी में दो अलग अलग रास्ते चुनते हैं, जो दोनो के बीच में एक दीवार खड़ी कर देते है। | '''[[यश चोपड़ा]] द्वारा निर्देशित 'दीवार' (1975) [[हिन्दी सिनेमा]] की सबसे सफलतम फ़िल्मों''' में से है जिसने [[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] के "एंग्री यंग मैन" के ख़िताब को स्थापित कर दिया। इस फ़िल्म ने अमिताभ के कैरियर को नयी बुलंदियों पर पहुँचा दिया। कहा जाता है कि फ़िल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डॉन 'हाजी मस्तान' के जीवन पर आधारित है और अमिताभ बच्चन ने यही किरदार निभाया है। फ़िल्म कहानी है- दो भाइयों की जो बचपन मे अपने और अपने परिवार पर अत्याचार को झेलकर ज़िंदगी में दो अलग अलग रास्ते चुनते हैं, जो दोनो के बीच में एक दीवार खड़ी कर देते है। | ||
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आनंद वर्मा (सत्येन कप्पू) मज़दूर संघ के नेता हैं और मज़दूरों के हक़ के लिए फैक्टरी मालिकों से लड़ाई करते है। पर फैक्टरी मालिक उसे परिवार की जान की धमकी देते है जिससे डरकर आनंद उनकी बात मान लेता है। मज़दूर इससे गुस्सा होकर आनंद पर जानलेवा हमला कर देते है। आनंद घर छोड़कर भाग जाता है और मज़दूरों से परेशान होकर आनंद की पत्नी सुमित्रा (निरुपमा रॉय) अपने बच्चों, विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) के साथ [[बंबई]] चली आती है। इससे पहले मज़दूर विजय के हाथ पर "मेरा बाप चोर है" लिख देते है। अपने बच्चों को पालने के लिए सुमित्रा मज़दूरी करती है। विजय भी पढ़ाई छोड़कर मज़दूरी करने लगता है ताकि उसका भाई रवि पढ़ सके। बड़े होकर विजय एक फैक्टरी में मज़दूर बन जाता है और रवि एक पुलिस अफ़सर बन जाता है। विजय को लगता है कि दुनिया उसी की सुनती है जिसके पास पैसा है और सच्चाई के रास्ते पर चलने से सिर्फ़ नाकामयाबी मिलती है। रवि को सच्चाई और क़ानून मे पूरा विश्वास है, पर उसे क़ानून और भाई में से किसी एक को चुनना है। पैसे कमाने की चाह में विजय सोना तस्करी करने लगता है और फिर शुरू होती है दोनों भाइयों मे तक़रार की कहानी। फ़िल्म की कहानी दर्शको को कुर्सी से बाँधे रखती है। | आनंद वर्मा (सत्येन कप्पू) मज़दूर संघ के नेता हैं और मज़दूरों के हक़ के लिए फैक्टरी मालिकों से लड़ाई करते है। पर फैक्टरी मालिक उसे परिवार की जान की धमकी देते है जिससे डरकर आनंद उनकी बात मान लेता है। मज़दूर इससे गुस्सा होकर आनंद पर जानलेवा हमला कर देते है। आनंद घर छोड़कर भाग जाता है और मज़दूरों से परेशान होकर आनंद की पत्नी सुमित्रा (निरुपमा रॉय) अपने बच्चों, विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) के साथ [[बंबई]] चली आती है। इससे पहले मज़दूर विजय के हाथ पर "मेरा बाप चोर है" लिख देते है। अपने बच्चों को पालने के लिए सुमित्रा मज़दूरी करती है। विजय भी पढ़ाई छोड़कर मज़दूरी करने लगता है ताकि उसका भाई रवि पढ़ सके। बड़े होकर विजय एक फैक्टरी में मज़दूर बन जाता है और रवि एक पुलिस अफ़सर बन जाता है। विजय को लगता है कि दुनिया उसी की सुनती है जिसके पास पैसा है और सच्चाई के रास्ते पर चलने से सिर्फ़ नाकामयाबी मिलती है। रवि को सच्चाई और क़ानून मे पूरा विश्वास है, पर उसे क़ानून और भाई में से किसी एक को चुनना है। पैसे कमाने की चाह में विजय सोना तस्करी करने लगता है और फिर शुरू होती है दोनों भाइयों मे तक़रार की कहानी। फ़िल्म की कहानी दर्शको को कुर्सी से बाँधे रखती है। | ||
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14:02, 15 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण
दीवार (फ़िल्म)
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निर्देशक | यश चोपड़ा[1] |
निर्माता | गुलशन राय |
लेखक | सलीम ख़ान, जावेद अख्तर |
कहानी | सलीम ख़ान, जावेद अख्तर |
पटकथा | सलीम ख़ान, जावेद अख्तर |
संवाद | जावेद अख्तर, सलीम ख़ान |
कलाकार | अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बाबी, निरुपा रॉय |
संगीत | राहुल देव बर्मन |
गीतकार | साहिर लुधियानवी |
गायक | लता मंगेशकर, मन्ना डे, किशोर कुमार, भूपेंद्र सिंह, आशा भोंसले, उर्सुला वाज़, उषा मंगेशकर |
छायांकन | के जी |
संपादन | टी आर मंगेशकर, प्राण मेहरा |
वितरक | त्रिमूर्ति प्रोडक्शन प्रा.लि. |
प्रदर्शन तिथि | 1 जनवरी 1975 |
भाषा | हिन्दी |
देश | भारत |
कला निर्देशक | देश मुख़र्जी |
स्टंट | एम बी शेट्टी, कोडी एस ईरानी |
यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित 'दीवार' (1975) हिन्दी सिनेमा की सबसे सफलतम फ़िल्मों में से है जिसने अमिताभ के "एंग्री यंग मैन" के ख़िताब को स्थापित कर दिया। इस फ़िल्म ने अमिताभ के कैरियर को नयी बुलंदियों पर पहुँचा दिया। कहा जाता है कि फ़िल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डॉन 'हाजी मस्तान' के जीवन पर आधारित है और अमिताभ बच्चन ने यही किरदार निभाया है। फ़िल्म कहानी है- दो भाइयों की जो बचपन मे अपने और अपने परिवार पर अत्याचार को झेलकर ज़िंदगी में दो अलग अलग रास्ते चुनते हैं, जो दोनो के बीच में एक दीवार खड़ी कर देते है।
कहानी
आनंद वर्मा (सत्येन कप्पू) मज़दूर संघ के नेता हैं और मज़दूरों के हक़ के लिए फैक्टरी मालिकों से लड़ाई करते है। पर फैक्टरी मालिक उसे परिवार की जान की धमकी देते है जिससे डरकर आनंद उनकी बात मान लेता है। मज़दूर इससे गुस्सा होकर आनंद पर जानलेवा हमला कर देते है। आनंद घर छोड़कर भाग जाता है और मज़दूरों से परेशान होकर आनंद की पत्नी सुमित्रा (निरुपमा रॉय) अपने बच्चों, विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) के साथ बंबई चली आती है। इससे पहले मज़दूर विजय के हाथ पर "मेरा बाप चोर है" लिख देते है। अपने बच्चों को पालने के लिए सुमित्रा मज़दूरी करती है। विजय भी पढ़ाई छोड़कर मज़दूरी करने लगता है ताकि उसका भाई रवि पढ़ सके। बड़े होकर विजय एक फैक्टरी में मज़दूर बन जाता है और रवि एक पुलिस अफ़सर बन जाता है। विजय को लगता है कि दुनिया उसी की सुनती है जिसके पास पैसा है और सच्चाई के रास्ते पर चलने से सिर्फ़ नाकामयाबी मिलती है। रवि को सच्चाई और क़ानून मे पूरा विश्वास है, पर उसे क़ानून और भाई में से किसी एक को चुनना है। पैसे कमाने की चाह में विजय सोना तस्करी करने लगता है और फिर शुरू होती है दोनों भाइयों मे तक़रार की कहानी। फ़िल्म की कहानी दर्शको को कुर्सी से बाँधे रखती है।
संवाद
फ़िल्म के संवाद बहुत ही दमदार है और आज तक इस्तेमाल किये जाते है। कुछ प्रसिद्ध संवाद है-
- 'मेरा बाप चोर है।'
- 'आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेन्स है, तुम्हारे पास क्या है? - मेरे पास माँ है।'
- 'मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।'
- 'ये चाबी अपनी जेब में रख ले पीटर, अब ये ताला मैं तेरी जेब से चाबी निकल कर ही खोलूँगा।'
- 'पीटर तुम मुझे वहाँ ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ।'
गीत
फ़िल्म के गाने दर्शको ने पसंद किए है। फ़िल्म के गाने इस प्रकार हैं-
क्रमांक | गाना | गायक / गायिका का नाम |
---|---|---|
1. | कह दूं तुम्हें या चुप रहूँ दिल में मेरे | किशोर कुमार, आशा भोंसले |
2. | मैंने तुझे माँगा तुझे पाया है, तूने मुझे मांगा | किशोर कुमार, आशा भोंसले |
3. | कोई मर जाए किसी पर ये कहाँ देखा है | आशा भोंसले, उषा मंगेशकर |
4. | दीवारों का जंगल | मन्ना डे |
5. | इधर का माल उधर | भूपेंद्र सिंह |
6. | फालिंग इन लव विद ए स्ट्रेंजर[2] | उर्सुला वाज़ |
कलाकार
क्रमांक | कलाकार | पात्र का नाम |
---|---|---|
1. | अमिताभ बच्चन | विजय वर्मा |
2. | शशि कपूर | रवि वर्मा |
3. | निरुपा रॉय | सुमित्रा देवी, रवि व विजय की माँ |
4. | सत्येन्द्र कप्पू | आनन्द वर्मा, रवि व विजय के पिता |
5. | नीतू सिंह | लीना नारंग |
6. | परवीन बॉबी | अनिता |
7. | इफ़्तिख़ार | मुल्कराज धाबडिया |
8. | मनमोहन कृष्ण | डी सी पी नारंग |
9. | मदनपुरी | सामन्त |
10. | सुधीर | जयचन्द |
11. | जगदीश राज | जग्गी |
12. | राज किशोर | दर्पण |
13. | युनुस परवेज़ | रहीम चाचा, कुलियों का नायक |
14. | मोहन शेरी | पीटर का आदमी |
15. | मास्टर अलंकार | बालक विजय वर्मा |
16. | मास्टर राजू | बालक रवि वर्मा |
17. | राजन वर्मा | लच्छू |
18. | ए के हंगल | चन्दर के पिता |
19. | दुलारी | चन्दर की माँ |
20. | सप्रू | मिस्टर अगरवाल |
21. | कमल कपूर | आनन्द वर्मा का मिल मालिक |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Deewaar (1975) (अंग्रेज़ी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
- ↑ फालिंग इन लव विद
- ↑ Deewaar (1975) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
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