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प्रकाश मेहरा की निर्देशित फ़िल्म जंजीर ने [[अमिताभ बच्चन]] को [[हिन्दी सिनेमा]] में एक नया जीवनदान दिया। इस फ़िल्म ने रूमानी फ़िल्मों से मार-धाड़ फ़िल्मों का दौर शुरू कर दिया था। यह अमिताभ की पहली फ़िल्म थी जिसमें वह नायक की भूमिका कर रहे थे। फ़िल्म में गंभीर किरदार ने अमिताभ को '''एंग्री यंग मैन''' का ख़िताब दिलाया। | प्रकाश मेहरा की निर्देशित फ़िल्म जंजीर ने [[अमिताभ बच्चन]] को [[हिन्दी सिनेमा]] में एक नया जीवनदान दिया। इस फ़िल्म ने रूमानी फ़िल्मों से मार-धाड़ फ़िल्मों का दौर शुरू कर दिया था। यह अमिताभ की पहली फ़िल्म थी जिसमें वह नायक की भूमिका कर रहे थे। फ़िल्म में गंभीर किरदार ने अमिताभ को '''एंग्री यंग मैन''' का ख़िताब दिलाया। | ||
==कहानी== | ==कहानी== | ||
विजय ([[अमिताभ बच्चन]]) एक ईमानदार पुलिस अफ़सर है। विजय के बचपन में ही उसके माता-पिता का | विजय ([[अमिताभ बच्चन]]) एक ईमानदार पुलिस अफ़सर है। विजय के बचपन में ही उसके माता-पिता का ख़ून हो जाता है और 20 [[साल]] से विजय को सपनों मे एक सफेद घोड़ा और एक ज़ंजीर नज़र आते है और परेशान करते है। विजय को अपराध और अपराधियों से सख़्त नफ़रत है। शेरख़ान ([[प्राण (अभिनेता)|प्राण]]) विजय के इलाक़े मे शराब और जुए का ग़ैरक़ानूनी काम करता है। दोनों में घमासान होता है पर विजय की बहादुरी देखकर शेरख़ान उससे दोस्ती कर लेता है। शेरख़ान अपना ग़ैरक़ानूनी काम भी बंद कर देता है। इसी बीच विजय की मुलाक़ात माला ([[जया भादुड़ी बच्चन|जया भादुडी]]) से होती है जो एक दुर्घटना मामले मे गवाह होती है। विजय को ज़हरीली शराब के कारोबार की गुप्त खबर मिलती रहती है और वह उसके पीछे लग जाता है। इन सबके पीछे होता है अंडरवर्ल्ड सरगना तेजा (अजीत)। इस काम को करते हुए विजय को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है और जेल भी जाना पड़ता है। जेल से निकलने के बाद माला अपनी खातिर विजय को अपराधियों से दूर रहने को कहती है। दूसरी तरफ विजय को एक फोन से ज़हरीली शराब के कारोबार की खबर मिलती रहती है। विजय माला के वचन और अपराधियों से लड़ने की चाह के बीच मे फँस जाता है। पर विजय की बेचैनी देखकर माला उसका साथ देने को तैयार हो जाती है और फिर शुरू होती है अजीत से टक्कर की कवायद।<ref>{{cite web |url=http://www.imdb.com/title/tt0070947/|title=Zanjeer (1973)|accessmonthday=16 दिसम्बर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | ||
==संवाद== | ==संवाद== | ||
फ़िल्म के संवाद मिज़ाज के अनुकूल है पर विजय की गंभीरता फ़िल्म को दमदार बनाती है। | |||
==गाने== | ==गाने== | ||
फ़िल्म के गाने दर्शको को बहुत पसंद आए है और गीतों के बोल फ़िल्म की कहानी से मेल खाते है। | |||
"यारी है ईमान मेरा" आज भी दोस्तों के लिए गाया जाता है। उस दशक के हिसाब से "दीवाने हैं दीवानो को ना घर चाहिए" गाने मे बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ विजय और माला की भावनाएँ दिखाई गयी है। प्राण अपनी भारी पठानी आवाज़ और लतीफों से फ़िल्म में जान डालते है।<ref>{{cite web |url=http://filmkahani.com/70-decade/zanzeer-movie-review.html|title=Zanjeer (1973)|accessmonthday=16 दिसम्बर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | "यारी है ईमान मेरा" आज भी दोस्तों के लिए गाया जाता है। उस दशक के हिसाब से "दीवाने हैं दीवानो को ना घर चाहिए" गाने मे बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ विजय और माला की भावनाएँ दिखाई गयी है। प्राण अपनी भारी पठानी आवाज़ और लतीफों से फ़िल्म में जान डालते है।<ref>{{cite web |url=http://filmkahani.com/70-decade/zanzeer-movie-review.html|title=Zanjeer (1973)|accessmonthday=16 दिसम्बर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | ||
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13:55, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
ज़ंजीर (फ़िल्म)
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निर्देशक | प्रकाश मेहरा |
निर्माता | प्रकाश मेहरा, बब्बू मेहरा |
लेखक | सलीम-जावेद |
कहानी | सलीम-जावेद |
पटकथा | सलीम-जावेद |
संवाद | सलीम-जावेद |
कलाकार | अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, प्राण, अजीत, बिंदु, ओमप्रकाश |
संगीत | कल्याणजी आनंदजी |
गीतकार | गुलशन बावरा |
गायक | आशा भोंसले, मन्ना डे, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी |
छायांकन | एन. सत्येन |
संपादन | आर. महादिक |
प्रदर्शन तिथि | 1973 |
भाषा | हिन्दी |
देश | भारत |
कला निर्देशक | जे. जे. भेंडे |
वस्त्र एवं भूषा | वसंत महाजन, शंकर जाधव |
नृत्य निर्देशक | सत्यनारायण |
प्रकाश मेहरा की निर्देशित फ़िल्म जंजीर ने अमिताभ बच्चन को हिन्दी सिनेमा में एक नया जीवनदान दिया। इस फ़िल्म ने रूमानी फ़िल्मों से मार-धाड़ फ़िल्मों का दौर शुरू कर दिया था। यह अमिताभ की पहली फ़िल्म थी जिसमें वह नायक की भूमिका कर रहे थे। फ़िल्म में गंभीर किरदार ने अमिताभ को एंग्री यंग मैन का ख़िताब दिलाया।
कहानी
विजय (अमिताभ बच्चन) एक ईमानदार पुलिस अफ़सर है। विजय के बचपन में ही उसके माता-पिता का ख़ून हो जाता है और 20 साल से विजय को सपनों मे एक सफेद घोड़ा और एक ज़ंजीर नज़र आते है और परेशान करते है। विजय को अपराध और अपराधियों से सख़्त नफ़रत है। शेरख़ान (प्राण) विजय के इलाक़े मे शराब और जुए का ग़ैरक़ानूनी काम करता है। दोनों में घमासान होता है पर विजय की बहादुरी देखकर शेरख़ान उससे दोस्ती कर लेता है। शेरख़ान अपना ग़ैरक़ानूनी काम भी बंद कर देता है। इसी बीच विजय की मुलाक़ात माला (जया भादुडी) से होती है जो एक दुर्घटना मामले मे गवाह होती है। विजय को ज़हरीली शराब के कारोबार की गुप्त खबर मिलती रहती है और वह उसके पीछे लग जाता है। इन सबके पीछे होता है अंडरवर्ल्ड सरगना तेजा (अजीत)। इस काम को करते हुए विजय को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है और जेल भी जाना पड़ता है। जेल से निकलने के बाद माला अपनी खातिर विजय को अपराधियों से दूर रहने को कहती है। दूसरी तरफ विजय को एक फोन से ज़हरीली शराब के कारोबार की खबर मिलती रहती है। विजय माला के वचन और अपराधियों से लड़ने की चाह के बीच मे फँस जाता है। पर विजय की बेचैनी देखकर माला उसका साथ देने को तैयार हो जाती है और फिर शुरू होती है अजीत से टक्कर की कवायद।[1]
संवाद
फ़िल्म के संवाद मिज़ाज के अनुकूल है पर विजय की गंभीरता फ़िल्म को दमदार बनाती है।
गाने
फ़िल्म के गाने दर्शको को बहुत पसंद आए है और गीतों के बोल फ़िल्म की कहानी से मेल खाते है। "यारी है ईमान मेरा" आज भी दोस्तों के लिए गाया जाता है। उस दशक के हिसाब से "दीवाने हैं दीवानो को ना घर चाहिए" गाने मे बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ विजय और माला की भावनाएँ दिखाई गयी है। प्राण अपनी भारी पठानी आवाज़ और लतीफों से फ़िल्म में जान डालते है।[2]
क्रमांक | गाना | गायक/ गायिका का नाम |
---|---|---|
1. | बना के क्यों बिगाड़ा रे | लता मंगेशकर |
2. | चक्कू छुरियां तेज करा लो | आशा भोंसले |
3. | दीवाने हैं दीवानों को ना घर चाहिए | मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर |
4. | दिलजलों का दिल जला के क्या मिलेगा | आशा भोंसले |
5. | यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी | मन्ना डे |
कलाकार परिचय
क्रमांक | कलाकार | पात्र का नाम | विशेष |
---|---|---|---|
1. | अमिताभ बच्चन | विजय खन्ना | इंस्पेक्टर |
2. | जया बच्चन | माला | |
3. | प्राण | शेर ख़ान | |
4. | ओम प्रकाश | डिसिल्वा | |
5. | अजीत | सेठ धर्मदयाल / तेजा | |
6. | बिन्दू | मोना | |
7. | इफ़्तिख़ार | पुलिस कमिश्नर सिंह | पुलिस कमिश्नर |
8. | कैस्टो मुखर्जी | गंगू | |
9. | रणधीर | लाला अशोक | शेर ख़ान का मित्र |
10. | गुलशन बावरा | बंजारा गायक | गाना 'दीवाने है दीवानों को' |
11. | संजना | बंजारा नर्तकी | गाना 'दीवाने है दीवानों को' |
12. | राम मोहन | कबीर | |
13. | युनुस परवेज़ | कॉंस्टेबल | |
14. | राम सेठी | कॉंस्टेबल | |
15 | एम्. राजन | रंजीत | विजय के पिता |
16 | पूर्णिमा | सुमित्रा | विजय की माँ |
17 | नंदिता ठाकुर | शांति | भाभी |
18 | सत्येन्द्र कप्पू | पुलिस इंस्पेक्टर | |
19 | भूषण तिवारी | तेजा का आदमी | |
20 | जावेद खान | तेजा का आदमी | |
21 | रणवीर राज | तेजा का आदमी | |
22 | कृष्ण धवन | तेजा का आदमी | |
23 | मैकमोहन | तेजा का आदमी | |
24 | सप्रू | पाटिल | |
25 | गोगा कपूर | गोगा |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Zanjeer (1973) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
- ↑ Zanjeer (1973) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
- ↑ Zanjeer (1973) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
- ↑ Zanjeer (1973) (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
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