"अंगूठी": अवतरणों में अंतर
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अंगूठी एक आभूषण है जिसे उंगली में पहना जाता है। अंगूठी पुरुषों और महिलाओं, दोनों द्वारा पहने जाते हैं। अंगूठी धातु, प्लास्टिक, लकड़ी, हड्डी, कांच, रत्न और अन्य सामग्री का बनाई जा सकती है।
हिंदू विवाह में मान्यता
हिन्दू विवाह के सभी प्रतीकों में सबसे ज्यादा सामान्य प्रतीक अंगूठी ही है और ये विवाह के बाद भी लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कन्या की अंगुली में अंगूठी पहनने का रिवाज 'गन्धर्व विवाह' से प्रारंभ हुआ,यानि चोरी-छुपे विवाह में लड़की की अंगुली में अंगूठी डाल देने का उद्देश्य शायद ये रहा होगा कि समाज ये समझ ले कि इसकी शादी हो चुकी है और फिर से उसका विवाह न कराया जाय। एक समय यह माना जाता था कि विवाह के अवसर पर अंगूठी पहनाने का अर्थ एक पवित्र रिश्ते की शुरुआत करना है और वर अपनी पत्नी को आजीवन प्यार देने और उसकी देखभाल करने के लिए कृतसंकल्प है, पर आज इसे सिर्फ दो लोगों के मिलन का प्रतीक माना जाता है। पूर्व में औरतें अंगूठी अपने बाएं हाथ की चौथी अंगुली 'अनामिका' में ही पहना करती थीं।[1]
पौराणिक उल्लेख
अंगूठी के महत्व के प्रमाण 'ग्रन्थ युग' से ही मिलने लगते हैं। रामायण और महाभारत में भी अंगूठी महत्व की वस्तु के रूप में सामने आई है। सीता को जब रावण ने अपहरण कर अशोक वाटिका में रखा था और हनुमान जब सीता के पास राम दूत के रूप में पहुंचे थे तो उन्हें यह विश्वास दिलाने कि सचमुच उन्हें श्रीराम ने ही भेजा है, वे राम के द्वारा दी गई अंगूठी सीता को दी थी।[1]
लोकप्रिय मान्यता
लोकप्रिय मान्यता पर विश्वास करें और इसके वैज्ञानिक पहलू पर गौर करें तो बाएं हाथ की चौथी अंगुली के नस और तंत्रिका का सम्बन्ध हृदय से होता है और इसमें पहनी गई अंगूठी हृदय को सही ढंग से काम करने में मदद पहुंचाती है। अंगूठी का पारंपरिक जो भी महत्व हो पर ये बात बहुत हद तक सही है कि अंगूठी एक ऐसा प्रतीक है जिसके विषय में माना जाता है कि यह सम्बन्ध को मजबूत, साथ ही अंतहीन प्यार को बनाये रखती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 'अंगूठी' का रिश्तों में महत्व (हिंदी) साक्षी की कलम से (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 20 नवम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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