"धीरेन्द्र वर्मा": अवतरणों में अंतर
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'''धीरेन्द्र वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: Dhirendra Verma जन्म- [[17 मई]], [[1897]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[23 अप्रैल]], [[1973]], [[प्रयाग]]) [[हिन्दी]] और [[ब्रजभाषा]] के प्रसिद्ध [[कवि]] और लेखक थे। जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किया, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने किया था। धीरेन्द्र वर्मा जहाँ एक तरफ़ हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे, वहीं दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी थे। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध समस्त शोध कार्य के आधार पर उन्होंने [[1933]] ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
|चित्र=Dhirendra-Verma.jpg | |||
==जन्म | |चित्र का नाम= | ||
धीरेन्द्र वर्मा का जन्म 17 मई, 1897 को [[बरेली]] | |पूरा नाम=धीरेन्द्र वर्मा | ||
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डॉ. वर्मा का | |जन्म= [[17 मई]], [[1897]] | ||
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|कर्म भूमि= | |||
|कर्म-क्षेत्र=[[कवि]], लेखक, समीक्षक, प्राध्यापक | |||
|मुख्य रचनाएँ='ब्रजभाषा व्याकरण', 'सूरसागर-सार', 'मध्यदेश', 'हिन्दी साहित्य कोश' 'यूरोप के पत्र' आदि। | |||
|विषय= | |||
|भाषा= [[हिन्दी]], [[संस्कृत]] और [[ब्रजभाषा]] | |||
|विद्यालय= म्योर सेंट्रल कॉलेज [[इलाहाबाद]], पेरिस विश्वविद्यालय | |||
|शिक्षा=एम.ए., डी. लिट्. | |||
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|अन्य जानकारी=धीरेन्द्र वर्मा ने 'सागर विश्वविद्यालय' में भाषा विज्ञान विभागाध्यक्ष रूप में काम किया और फिर 'जबलपुर विश्वविद्यालय' के कुलपति बने। | |||
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'''धीरेन्द्र वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhirendra Verma'', जन्म- [[17 मई]], [[1897]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[23 अप्रैल]], [[1973]], [[प्रयाग]]) [[हिन्दी]] और [[ब्रजभाषा]] के प्रसिद्ध [[कवि]] और लेखक थे। जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किया, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने किया था। धीरेन्द्र वर्मा जहाँ एक तरफ़ हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे, वहीं दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी थे। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध समस्त शोध कार्य के आधार पर उन्होंने [[1933]] ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। फ्रेंच भाषा में उनका ब्रजभाषा पर शोध प्रबन्ध है, जिसका अब हिन्दी [[अनुवाद]] हो चुका है। | |||
==जन्म== | |||
धीरेन्द्र वर्मा का जन्म 17 मई, 1897 को [[बरेली]] ([[उत्तर प्रदेश]]) के भूड़ मोहल्ले में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम खानचंद था। खानचंद एक [[ज़मींदार]] पिता के पुत्र होते हुए भी [[भारतीय संस्कृति]] से प्रेम रखते थे। वे [[आर्य समाज]] के प्रभाव में आये थे। धीरेन्द्र वर्मा पर बचपन से ही पिता के इन गुणों का और इस वातावरण का प्रभाव पड़ चुका था। | |||
====शिक्षा==== | |||
प्रारम्भ में धीरेन्द्र वर्मा का नाम सन [[1908]] में डी.ए.वी. कॉलेज, [[देहरादून]] में लिखाया गया, किंतु कुछ ही दिनों बाद वे अपने पिता के पास चले आये और इनका नाम क्वींस कॉलेज, [[लखनऊ]] में लिखाया गया। इसी स्कूल से सन [[1914]] ई. में प्रथम श्रेणी में स्कूल लीविंग सर्टीफिकेट परीक्षा पास की और [[हिन्दी]] में विशेष योग्यता प्राप्त की। तदन्तर म्योर सेंट्रल कॉलेज, [[इलाहाबाद]] में इन्होंने प्रवेश किया। सन [[1921]] ई. में इसी कॉलेज से इन्होंने [[संस्कृत]] से एम.ए. किया। उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय से डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की थी। | |||
====कुलपति==== | |||
डॉ. वर्मा [[1924]] में '[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]' में हिन्दी के प्रथम अध्यापक नियुक्त हुए थे और बाद में वहीं प्रोफेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। उन्होंने 'सागर विश्वविद्यालय' में भाषा विज्ञान विभागाध्यक्ष रूप में काम किया और फिर 'जबलपुर विश्वविद्यालय' के कुलपति बने। | |||
==भाषा-शैली== | |||
जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]] जी ने किया था, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में धीरेन्द्र जी ने किया।<ref>हिन्दी अनुशीलन, धीरेन्द्र वर्मा विशेषांक, पृष्ठ 16</ref> इनकी चिंतन शैली अत्यन्त संश्लिष्ट है। [[भाषा]] और [[साहित्य]] को इन्होंने हमेशा [[संस्कृति]] के व्यापक परिवेश में ग्रहण किया है। आधुनिक समय में 'मध्यदेश' को एक भौगोलिक तथा सांस्कृतिक इकाई के रूप में पुनरन्वेषित करने का श्रेय धीरेन्द्र वर्मा को है। एक ओर ये हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे हैं और दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी। स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के निर्धारण, नियोजन और व्यवस्थापन में जो विशद कार्य [[श्यामसुन्दर दास]] ने किया था, उसे उन्होंने वैशिष्टय प्रदान किया। पाठ्यक्रम में भाषा और साहित्य की व्यापकता को ध्यातव्य मानकर उसे नवीन गति प्रदान की। इनकी अध्यापन शैली अत्यन्त व्यवस्थापूर्ण, सुस्पष्ट और क्रमिक विवेचनायुक्त रही है। भाषा-विज्ञान जैसे विषय को भी ये सरल सुबोध बनाकर प्रस्तुत करते थे। हिन्दी भाषा और साहित्य के इतिहास को लेकर इनकी जैसी स्वस्थ और स्पष्ट दृष्टि कम ही देखने को मिलती है। | |||
====शोध कार्य==== | |||
धीरेन्द्र वर्मा के निबन्धों के आधार पर अनेक गम्भीर शोध कार्य हुए हैं। भारतीय भाषाओं से संबद्ध समस्त शोध कार्यों के आधार पर इन्होंने [[1933]] ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। सन [[1934]] ई. में ये पेरिस गये और प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक ज्यूल ब्लॉख के निर्देशन में पेरिस यूनिवर्सिटी से डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की। हिन्दुस्तानी अकादमी के सन [[1927]] ई. से ही सदस्य रहे और दीर्घकाल तक उसके मंत्री भी। सन [[1958]]-[[1959]] में लिंग्विस्टिक सोसायटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष पद पर भी आप रहे। धीरेन्द्र वर्मा प्रथम 'हिन्दी विश्वकोश' के प्रधान संपादक रहे हैं। | |||
==कृतियाँ== | |||
डॉ. धीरेन्द्र वर्मा की कृतियाँ अनेक और बहुविध हैं। 'हिन्दी भाषा का इतिहास' अपने समय तक के आधुनिक भाषाओं से सम्बन्धित खोज कार्य के गंभीर अनुशीलन के आधार पर लिखा हुआ [[हिन्दी भाषा]] का प्रथम वैज्ञानिक एवं महत्त्वपूर्ण इतिहास है। फ्रेंच भाषा में [[ब्रजभाषा]] पर शोध प्रबन्ध, जिसका अब हिन्दी अनुवाद हो चुका है, 'हिन्दी भाषा और लिपि', 'हिन्दी भाषा का इतिहास' की भूमिका का स्वतंत्र रूप है। हिन्दुस्तानी अकादमी ने इसे [[1935]] में प्रकाशित किया था। इनके ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है- | |||
{| width="90%" class="bharattable-pink" | |||
|+धीरेन्द्र वर्मा की प्रमुख कृतियाँ | |||
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! क्रमांक | |||
! कृति | |||
! संक्षिप्त विवरण | |||
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|1. | |||
|'ब्रजभाषा व्याकरण' | |||
|प्रकाशन रामनारायण लाल, [[इलाहाबाद]], सन 1937 | |||
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|2. | |||
|'अष्टछाप' | |||
|प्रकाशन रामनारायण लाल, इलाहाबाद, सन 1938 | |||
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|3. | |||
|'सूरसागर-सार' | |||
|सूर के 817 उत्कृष्ट पदों का चयन एवं संपादन, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद, 1954 | |||
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|4. | |||
|'मेरी कालिज डायरी' | |||
|1917 के 1923 तक के विद्यार्थी जीवन में लिखी गयी डायरी का पुस्तक रूप है, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, [[इलाहाबाद]], 1954 | |||
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|5. | |||
|'मध्यदेश' | |||
|भारतीय संस्कृति संबंधी ग्रंथ है। [[बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना|बिहार राष्ट्रभाषा परिषद]] के तत्त्वाधान में दिये गये भाषणों का यह संशोधित रूप है। प्रकाशन बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, [[पटना]], 1955 | |||
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|6. | |||
|'ब्रजभाषा' | |||
|थीसिस का हिन्दी रूपान्तर है। प्रकाशन हिन्दुस्तानी अकादमी, 1957 | |||
|- | |||
|7. | |||
|'हिन्दी साहित्य कोश' | |||
|संपादन, प्रकाशन ज्ञानमंडल लिमिटेड, [[बनारस]], 1958 | |||
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|8. | |||
|'हिन्दी साहित्य' | |||
|संपादन, प्रकाशन भारतीय हिन्दी परिषद, 1959 | |||
|- | |||
|9. | |||
|'कम्पनी के पत्र' | |||
|संपादन, प्रकाशन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, 1959 | |||
|- | |||
|10. | |||
|'ग्रामीण हिन्दी' | |||
|प्रकाशन, साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद | |||
|- | |||
|11. | |||
|'हिन्दी राष्ट्र' | |||
|प्रकाशन, भारती भण्डार, लीडर प्रेस, [[इलाहाबाद]] | |||
|- | |||
|12. | |||
|'विचार धारा' | |||
|निबन्ध संग्रह है, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद | |||
|- | |||
|13. | |||
|'यूरोप के पत्र' | |||
|यूरोप जाने के बाद लिखे गये पत्रों का महत्त्वपूर्ण संचयन है। प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद | |||
|- | |||
|} | |||
==निधन== | ==निधन== | ||
[[23 अप्रैल]], [[1973]] में | लम्बे समय तक [[हिन्दी]] की सेवा करने वाले इस महान् साहित्यकार और कवि का [[23 अप्रैल]], [[1973]] में देहांत हुआ। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[https://www.youtube.com/watch?v=BWmzs7WeXDM कवि व लेखक धीरेन्द्र वर्मा] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{साहित्यकार}}{{भारत के कवि}} | {{साहित्यकार}}{{भारत के कवि}} | ||
[[Category:साहित्यकार]][[Category:कवि]][[Category:आधुनिक साहित्यकार]][[Category:आधुनिक कवि]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:साहित्यकार]][[Category:कवि]][[Category:आधुनिक साहित्यकार]][[Category:आधुनिक कवि]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]] | ||
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धीरेन्द्र वर्मा
| |
पूरा नाम | धीरेन्द्र वर्मा |
जन्म | 17 मई, 1897 |
जन्म भूमि | बरेली, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 23 अप्रैल, 1973 |
मृत्यु स्थान | प्रयाग, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | खानचंद (पिता) |
कर्म-क्षेत्र | कवि, लेखक, समीक्षक, प्राध्यापक |
मुख्य रचनाएँ | 'ब्रजभाषा व्याकरण', 'सूरसागर-सार', 'मध्यदेश', 'हिन्दी साहित्य कोश' 'यूरोप के पत्र' आदि। |
भाषा | हिन्दी, संस्कृत और ब्रजभाषा |
विद्यालय | म्योर सेंट्रल कॉलेज इलाहाबाद, पेरिस विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए., डी. लिट्. |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | धीरेन्द्र वर्मा ने 'सागर विश्वविद्यालय' में भाषा विज्ञान विभागाध्यक्ष रूप में काम किया और फिर 'जबलपुर विश्वविद्यालय' के कुलपति बने। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
धीरेन्द्र वर्मा (अंग्रेज़ी: Dhirendra Verma, जन्म- 17 मई, 1897, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 23 अप्रैल, 1973, प्रयाग) हिन्दी और ब्रजभाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक थे। जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने किया था। धीरेन्द्र वर्मा जहाँ एक तरफ़ हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे, वहीं दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी थे। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध समस्त शोध कार्य के आधार पर उन्होंने 1933 ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। फ्रेंच भाषा में उनका ब्रजभाषा पर शोध प्रबन्ध है, जिसका अब हिन्दी अनुवाद हो चुका है।
जन्म
धीरेन्द्र वर्मा का जन्म 17 मई, 1897 को बरेली (उत्तर प्रदेश) के भूड़ मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता का नाम खानचंद था। खानचंद एक ज़मींदार पिता के पुत्र होते हुए भी भारतीय संस्कृति से प्रेम रखते थे। वे आर्य समाज के प्रभाव में आये थे। धीरेन्द्र वर्मा पर बचपन से ही पिता के इन गुणों का और इस वातावरण का प्रभाव पड़ चुका था।
शिक्षा
प्रारम्भ में धीरेन्द्र वर्मा का नाम सन 1908 में डी.ए.वी. कॉलेज, देहरादून में लिखाया गया, किंतु कुछ ही दिनों बाद वे अपने पिता के पास चले आये और इनका नाम क्वींस कॉलेज, लखनऊ में लिखाया गया। इसी स्कूल से सन 1914 ई. में प्रथम श्रेणी में स्कूल लीविंग सर्टीफिकेट परीक्षा पास की और हिन्दी में विशेष योग्यता प्राप्त की। तदन्तर म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद में इन्होंने प्रवेश किया। सन 1921 ई. में इसी कॉलेज से इन्होंने संस्कृत से एम.ए. किया। उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय से डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की थी।
कुलपति
डॉ. वर्मा 1924 में 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में हिन्दी के प्रथम अध्यापक नियुक्त हुए थे और बाद में वहीं प्रोफेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। उन्होंने 'सागर विश्वविद्यालय' में भाषा विज्ञान विभागाध्यक्ष रूप में काम किया और फिर 'जबलपुर विश्वविद्यालय' के कुलपति बने।
भाषा-शैली
जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने किया था, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में धीरेन्द्र जी ने किया।[1] इनकी चिंतन शैली अत्यन्त संश्लिष्ट है। भाषा और साहित्य को इन्होंने हमेशा संस्कृति के व्यापक परिवेश में ग्रहण किया है। आधुनिक समय में 'मध्यदेश' को एक भौगोलिक तथा सांस्कृतिक इकाई के रूप में पुनरन्वेषित करने का श्रेय धीरेन्द्र वर्मा को है। एक ओर ये हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे हैं और दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी। स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के निर्धारण, नियोजन और व्यवस्थापन में जो विशद कार्य श्यामसुन्दर दास ने किया था, उसे उन्होंने वैशिष्टय प्रदान किया। पाठ्यक्रम में भाषा और साहित्य की व्यापकता को ध्यातव्य मानकर उसे नवीन गति प्रदान की। इनकी अध्यापन शैली अत्यन्त व्यवस्थापूर्ण, सुस्पष्ट और क्रमिक विवेचनायुक्त रही है। भाषा-विज्ञान जैसे विषय को भी ये सरल सुबोध बनाकर प्रस्तुत करते थे। हिन्दी भाषा और साहित्य के इतिहास को लेकर इनकी जैसी स्वस्थ और स्पष्ट दृष्टि कम ही देखने को मिलती है।
शोध कार्य
धीरेन्द्र वर्मा के निबन्धों के आधार पर अनेक गम्भीर शोध कार्य हुए हैं। भारतीय भाषाओं से संबद्ध समस्त शोध कार्यों के आधार पर इन्होंने 1933 ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। सन 1934 ई. में ये पेरिस गये और प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक ज्यूल ब्लॉख के निर्देशन में पेरिस यूनिवर्सिटी से डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की। हिन्दुस्तानी अकादमी के सन 1927 ई. से ही सदस्य रहे और दीर्घकाल तक उसके मंत्री भी। सन 1958-1959 में लिंग्विस्टिक सोसायटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष पद पर भी आप रहे। धीरेन्द्र वर्मा प्रथम 'हिन्दी विश्वकोश' के प्रधान संपादक रहे हैं।
कृतियाँ
डॉ. धीरेन्द्र वर्मा की कृतियाँ अनेक और बहुविध हैं। 'हिन्दी भाषा का इतिहास' अपने समय तक के आधुनिक भाषाओं से सम्बन्धित खोज कार्य के गंभीर अनुशीलन के आधार पर लिखा हुआ हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक एवं महत्त्वपूर्ण इतिहास है। फ्रेंच भाषा में ब्रजभाषा पर शोध प्रबन्ध, जिसका अब हिन्दी अनुवाद हो चुका है, 'हिन्दी भाषा और लिपि', 'हिन्दी भाषा का इतिहास' की भूमिका का स्वतंत्र रूप है। हिन्दुस्तानी अकादमी ने इसे 1935 में प्रकाशित किया था। इनके ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है-
क्रमांक | कृति | संक्षिप्त विवरण |
---|---|---|
1. | 'ब्रजभाषा व्याकरण' | प्रकाशन रामनारायण लाल, इलाहाबाद, सन 1937 |
2. | 'अष्टछाप' | प्रकाशन रामनारायण लाल, इलाहाबाद, सन 1938 |
3. | 'सूरसागर-सार' | सूर के 817 उत्कृष्ट पदों का चयन एवं संपादन, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद, 1954 |
4. | 'मेरी कालिज डायरी' | 1917 के 1923 तक के विद्यार्थी जीवन में लिखी गयी डायरी का पुस्तक रूप है, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद, 1954 |
5. | 'मध्यदेश' | भारतीय संस्कृति संबंधी ग्रंथ है। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के तत्त्वाधान में दिये गये भाषणों का यह संशोधित रूप है। प्रकाशन बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना, 1955 |
6. | 'ब्रजभाषा' | थीसिस का हिन्दी रूपान्तर है। प्रकाशन हिन्दुस्तानी अकादमी, 1957 |
7. | 'हिन्दी साहित्य कोश' | संपादन, प्रकाशन ज्ञानमंडल लिमिटेड, बनारस, 1958 |
8. | 'हिन्दी साहित्य' | संपादन, प्रकाशन भारतीय हिन्दी परिषद, 1959 |
9. | 'कम्पनी के पत्र' | संपादन, प्रकाशन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, 1959 |
10. | 'ग्रामीण हिन्दी' | प्रकाशन, साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद |
11. | 'हिन्दी राष्ट्र' | प्रकाशन, भारती भण्डार, लीडर प्रेस, इलाहाबाद |
12. | 'विचार धारा' | निबन्ध संग्रह है, प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद |
13. | 'यूरोप के पत्र' | यूरोप जाने के बाद लिखे गये पत्रों का महत्त्वपूर्ण संचयन है। प्रकाशन साहित्य भवन लिमिटेड, इलाहाबाद |
निधन
लम्बे समय तक हिन्दी की सेवा करने वाले इस महान् साहित्यकार और कवि का 23 अप्रैल, 1973 में देहांत हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी अनुशीलन, धीरेन्द्र वर्मा विशेषांक, पृष्ठ 16
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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