"के. संतानम": अवतरणों में अंतर
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के. संतानम का जन्म 1895 में तंजौर ज़िले में हुआ था। संतानम के पिता कस्तूरी रंगा आयंगार अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध | के. संतानम का जन्म [[1895]] में [[तमिलनाडु]] के [[तंजौर ज़िला|तंजौर ज़िले]] में हुआ था। संतानम के पिता कस्तूरी रंगा आयंगार अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध ज़मींदार थे। संतानम ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1919 में [[मद्रास]] हाईकोर्ट में वकालत की शिक्षा शुरू की। | ||
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के. संतानम ने वकालत के 6 महीने बाद ही, जब [[गाँधीजी]] ने [[असहयोग आंदोलन]] आरंभ किया, तो उन्होंने वकालत सदा के लिए त्याग दी और असहयोग आंदोलन में भाग ले लिया। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सज़ा हुई। जब तक संतानम देश के अन्य प्रमुख नेताओं के संपर्क में आ चुके थे। 1923 में [[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ [[नाभा]] की सिख रियासत में वे भी गिरफ्तार किए गए थे और दोनों को एक ही हथकड़ी से बांधकर ले जाया गया था। तब उन्हें दो वर्ष से अधिक की सज़ा हुई थी, जो बाद में स्थगित हो गई। | के. संतानम ने वकालत के 6 महीने बाद ही, जब [[गाँधीजी]] ने [[असहयोग आंदोलन]] आरंभ किया, तो उन्होंने वकालत सदा के लिए त्याग दी और असहयोग आंदोलन में भाग ले लिया। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सज़ा हुई। जब तक संतानम देश के अन्य प्रमुख नेताओं के संपर्क में आ चुके थे। 1923 में [[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ [[नाभा]] की सिख रियासत में वे भी गिरफ्तार किए गए थे और दोनों को एक ही हथकड़ी से बांधकर ले जाया गया था। तब उन्हें दो वर्ष से अधिक की सज़ा हुई थी, जो बाद में स्थगित हो गई। | ||
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1923 से 1930 तक संतानम ने राजागोपालाचारी द्वारा स्थापित गाँधी आश्रम का काम संभाला। के. संतानम ने कुछ समय तक 'इंडियन एक्सप्रेस' पत्र का संपादन किया। के. संतानम केंद्रीय असेम्बली के भी सदस्य चुने गए। 1941 के [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] के बाद जेल से छूटने पर राजाजी सहित उनका भी [[कांग्रेस]] से मतभेद हो गया और मतभेद होने के कारण ही के. संतानम ने 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में भाग नहीं लिया। 1943 में देवदास गाँधी के बुलाने पर संतानम 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संयुक्त संपादक बने। | 1923 से 1930 तक संतानम ने राजागोपालाचारी द्वारा स्थापित गाँधी आश्रम का काम संभाला। के. संतानम ने कुछ समय तक 'इंडियन एक्सप्रेस' पत्र का संपादन किया। के. संतानम केंद्रीय असेम्बली के भी सदस्य चुने गए। 1941 के [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] के बाद जेल से छूटने पर राजाजी सहित उनका भी [[कांग्रेस]] से मतभेद हो गया और मतभेद होने के कारण ही के. संतानम ने 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में भाग नहीं लिया। 1943 में देवदास गाँधी के बुलाने पर संतानम 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संयुक्त संपादक बने। | ||
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1946 में | 1946 में नेहरूजी ने के. संतानम को अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बना लिया। के. संतानम संविधान परिषद के भी सदस्य थे। 1952 में चुनाव हार जाने पर संतानम को विंध्य प्रदेश का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। फिर वे द्वितीय वित्त आयोग के अध्यक्ष बने। 1960 में [[राज्यसभा]] के लिए निर्वाचित होने के बाद गृहमंत्री [[लालबहादुर शास्त्री]] ने उन्हें 'भ्रष्टाचार जांच समिति' की अध्यक्षता सौंपी। के. संतानम सामुदायिक विकास समिति के भी वे अध्यक्ष थे। गांधीजी के विचारों के पक्के समर्थक संतानम गांधी शताब्दी समारोह समिति से भी संबद्ध रहे। | ||
;रचनाएँ | ;रचनाएँ | ||
के. संतानम ने अनेक पुस्तकों की रचना की जिनमें से 'इडियाज सोसलिज्म', कांस्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया', 'यूनियन स्टेट रिलेशंस', डिमोक्रैटिक प्लानिंग' आदि उल्लेखनीय हैं। | के. संतानम ने अनेक पुस्तकों की रचना की जिनमें से 'इडियाज सोसलिज्म', कांस्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया', 'यूनियन स्टेट रिलेशंस', डिमोक्रैटिक प्लानिंग' आदि उल्लेखनीय हैं। | ||
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के. संतानम (जन्म: 1895) तमिलनाडु के प्रमुख राष्ट्रीय कार्यकर्त्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे।
जीवन परिचय
के. संतानम का जन्म 1895 में तमिलनाडु के तंजौर ज़िले में हुआ था। संतानम के पिता कस्तूरी रंगा आयंगार अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध ज़मींदार थे। संतानम ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1919 में मद्रास हाईकोर्ट में वकालत की शिक्षा शुरू की।
- जेल यात्रा
के. संतानम ने वकालत के 6 महीने बाद ही, जब गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया, तो उन्होंने वकालत सदा के लिए त्याग दी और असहयोग आंदोलन में भाग ले लिया। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सज़ा हुई। जब तक संतानम देश के अन्य प्रमुख नेताओं के संपर्क में आ चुके थे। 1923 में जवाहरलाल नेहरू के साथ नाभा की सिख रियासत में वे भी गिरफ्तार किए गए थे और दोनों को एक ही हथकड़ी से बांधकर ले जाया गया था। तब उन्हें दो वर्ष से अधिक की सज़ा हुई थी, जो बाद में स्थगित हो गई।
- संपादन कार्य
1923 से 1930 तक संतानम ने राजागोपालाचारी द्वारा स्थापित गाँधी आश्रम का काम संभाला। के. संतानम ने कुछ समय तक 'इंडियन एक्सप्रेस' पत्र का संपादन किया। के. संतानम केंद्रीय असेम्बली के भी सदस्य चुने गए। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के बाद जेल से छूटने पर राजाजी सहित उनका भी कांग्रेस से मतभेद हो गया और मतभेद होने के कारण ही के. संतानम ने 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में भाग नहीं लिया। 1943 में देवदास गाँधी के बुलाने पर संतानम 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संयुक्त संपादक बने।
सदस्यता
1946 में नेहरूजी ने के. संतानम को अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बना लिया। के. संतानम संविधान परिषद के भी सदस्य थे। 1952 में चुनाव हार जाने पर संतानम को विंध्य प्रदेश का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। फिर वे द्वितीय वित्त आयोग के अध्यक्ष बने। 1960 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद गृहमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने उन्हें 'भ्रष्टाचार जांच समिति' की अध्यक्षता सौंपी। के. संतानम सामुदायिक विकास समिति के भी वे अध्यक्ष थे। गांधीजी के विचारों के पक्के समर्थक संतानम गांधी शताब्दी समारोह समिति से भी संबद्ध रहे।
- रचनाएँ
के. संतानम ने अनेक पुस्तकों की रचना की जिनमें से 'इडियाज सोसलिज्म', कांस्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया', 'यूनियन स्टेट रिलेशंस', डिमोक्रैटिक प्लानिंग' आदि उल्लेखनीय हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 197।
संबंधित लेख
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