"तीन दोस्त -दुष्यंत कुमार": अवतरणों में अंतर
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बेधड़क चले जाते हैं लड़ने मर जाने | बेधड़क चले जाते हैं लड़ने मर जाने | ||
हम जो दरार पड़ चुकी साँस से सीते हैं | हम जो दरार पड़ चुकी साँस से सीते हैं | ||
हम मानवता के लिए | हम मानवता के लिए ज़िंदगी जीते हैं। | ||
ये बाग़ बुज़ुर्गों ने आँसू औ’ श्रम देकर | ये बाग़ बुज़ुर्गों ने आँसू औ’ श्रम देकर |
17:10, 30 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
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सब बियाबान, सुनसान अँधेरी राहों में |
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