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==भर्तृहरि का मन्दिर/स्मारक ==
{{बहुविकल्पी शब्द}}
[[चित्र:Bharthari.jpg|thumb|250px|[[राजस्थान]] के [[अलवर]] मे भर्तृहरि का मन्दिर]]
# [[भर्तृहरि (वैयाकरण)]]- प्रसिद्ध वैयाकरण जिनका समय 350 ई.पू. के लगभग माना जाता है।
भर्तृहरि राजा [[विक्रमादित्य]] के बडे भाई थे तथा [[उज्जैन]] के शासक थे जिन्होंने माया मोह त्यागकर जंगल में तपस्या की  । भर्तृहरि के जंगल में चले जाने से विक्रम की गद्दी सूनी हो गयी।
# [[भर्तृहरि (राजा)]]- इनका कार्यकाल निश्चित नहीं है। कुछ लोग इन्हें राजा विक्रमादित्य का भाई मानते हैं।
*[[राजस्थान]] के [[अलवर]] मे  [http://dainiktribuneonline.com/2010/10/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%97-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%95-%E0%A4%AC/ [[भर्तृहरि]] का मन्दिर है] जिसे [[भारतीय पुरातत्व विभाग]] ने सन्रक्शित स्मारक घोषित किया है
*यह अलवर शहर से 32 किमी दूर जयपुर अलवर मार्ग पर स्थित है
{{seealso| वेताल पच्चीसी}}




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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==संदर्भ==
* पुस्तक- भारतीय संस्कृति कोश | लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | संस्करण- 1995 | प्रकाशन- राजपाल एण्ड संस, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली | पृष्ठ-633
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==बाहरी कड़ियाँ==
[http://dainiktribuneonline.com/2010/10/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%97-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%95-%E0%A4%AC/ भर्तृहरि का मन्दिर ]
==संबंधित लेख==


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__INDEX__


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[[Category:साहित्य कोश]]
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  1. भर्तृहरि (वैयाकरण)- प्रसिद्ध वैयाकरण जिनका समय 350 ई.पू. के लगभग माना जाता है।
  2. भर्तृहरि (राजा)- इनका कार्यकाल निश्चित नहीं है। कुछ लोग इन्हें राजा विक्रमादित्य का भाई मानते हैं।



संदर्भ

  • पुस्तक- भारतीय संस्कृति कोश | लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | संस्करण- 1995 | प्रकाशन- राजपाल एण्ड संस, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली | पृष्ठ-633