"गंगा": अवतरणों में अंतर

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#REDIRECT[[गंगा नदी]]
{{गंगा विषय सूची}}
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'''गंगा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ganges'') [[भारत]] की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह [[उत्तर भारत]] के मैदानों की विशाल नदी है। गंगा, भारत और [[बांग्लादेश]] में मिलकर 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] से निकलकर [[बंगाल की खाड़ी]] में भारत के लगभग एक-चौथाई भू-क्षेत्र को प्रवाहित होती है। गंगा नदी को उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड भी कहा गया है।
 
==नामकरण==
{{main|गंगा का नामकरण}}
भारतीय भाषाओं में तथा अधिकृत रूप से गंगा नदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके अंग्रेज़ीकृत नाम ‘द गैंगीज़’ से ही जाना जाता है। गंगा सहस्राब्दियों से हिन्दुओं की पवित्र तथा पूजनीय नदी रही है। अपने अधिकांश मार्ग में गंगा एक चौड़ी व मंद धारा है और विश्व के सबसे ज़्यादा उपजाऊ और घनी आबादी वाले इलाक़ों से होकर बहती है। इतने महत्व के बावज़ूद इसकी लम्बाई 2,510 किलोमीटर है, जो एशिया या विश्व स्तर की तुलना में कोई बहुत ज़्यादा नहीं है। भारत की पावन नदी, जिसकी जलधारा में स्नान से पापमुक्ति और जलपान से शुद्धि होती है। यह प्रसिद्ध नदी, [[हिमाचल प्रदेश]] में [[गंगोत्री]] से निकलकर [[मध्यदेश]] से होती हुई [[पश्चिम बंगाल]] के परे [[गंगासागर]] में मिलती है। [[गंगा]] की घाटी संसार की उर्वरतम घाटियों में से एक है और [[सरयू नदी|सरयू]], [[यमुना नदी|यमुना]], [[सोन नदी|सोन]] आदि अनेक नदियाँ उससे आ मिलती हैं।
 
==विशेषताएँ==
{{main|गंगा की विशेषताएँ}}
गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है। इसकी पाँच आरम्भिक धाराओं भागीरथी, अलकनन्दा, मंदाकिनी, धौलीगंगा तथा पिंडर का उद्गम उत्तराखण्ड क्षेत्र, जो उत्तर प्रदेश का एक संभाग था (वर्तमान उत्तरांचल राज्य) में होता है। दो प्रमुख धाराओं में बड़ी अलकनन्दा का उद्गम हिमालय के नंदा देवी शिखर से 48 किलोमीटर दूर तथा दूसरी भागीरथी का उद्गम हिमालय की गंगोत्री नामक हिमनद के रूप में 3,050 मीटर की ऊँचाई पर बर्फ़ की गुफ़ा में होता है। गंगोत्री [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक [[तीर्थ स्थान]] है। वैसे गंगोत्री से 21 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व स्थित [[गोमुख]] को गंगा का वास्तविक उद्गम स्थल माना जाता है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है, जो [[कुमाऊँ]] में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है।<ref name="टीडीआईएल">{{cite web |url= http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/utrn0078.htm|title= उत्तरांचल-एक परिचय|accessmonthday=[[28 अप्रॅल]]|accessyear=[[2008]]|format= एचटीएम|publisher= टीडीआईएल|language=}}</ref> गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर भी है। [[गंगोत्री]] तीर्थ, शहर से 19 किलोमीटर [[उत्तर]] की ओर 3892 मीटर (12,770 फीट) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है।
 
==भौगोलिक विस्तार==
{{main|गंगा का भौगोलिक विस्तार}}
गंगा के बेसिन में इस उपमहाद्वीप की विशालतम नदी प्रणाली स्थित है। यहाँ जल की आपूर्ति मुख्यत: जुलाई से अक्टूबर के बीच दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा अप्रॅल से जून के बीच ग्रीष्म ऋतु के दौरान पिघलने वाली हिमालय की बर्फ़ से होती है। नदी के बेसिन में मानसून के उन कटिबंधीय तूफ़ानों से भी वर्षा होती है, जो जून से अक्टूबर के बीच बंगाल की खाड़ी में पैदा होते हैं। दिसम्बर और जनवरी में बहुत कम मात्रा में वर्षा होती है
[[चित्र:Gaumukh-Gangotri-Glacier.jpg|thumb|250px|left|[[गंगोत्री]] हिमनद में [[गोमुख]]<br />Gomukh in Gangotri Himnad|left]]
==सहायक नदियाँ==
{{main|गंगा की सहायक नदियाँ}}
गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है। <ref>{{cite web |url= http://bharat.gov.in/knowindia/rivers.php|title=भारत के बारे में जानो|accessmonthday=[[21 जून]]|accessyear=[[2009]]|format=|publisher=भारत सरकार|language=}}</ref> हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस<ref>{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/?q=content/उत्तराखंड-की-प्रमुख-नदियाँ |title=उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ|accessmonthday=[[21 जून]]|accessyear=[[2009]]|format=|publisher=इंडिया वाटर पोर्टल |language=}}</ref> तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। [[चम्बल नदी|चम्बल]], [[बेतवा नदी|बेतवा]], [[शारदा नदी|शारदा]] और [[केन नदी|केन]] यमुना की सहायक नदियाँ हैं।
 
==महत्त्व==
{{main|गंगा का महत्त्व}}
ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। अशोक के ई. पू. के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र (पटना), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था। महान् मुग़ल साम्राज्य के केन्द्र दिल्ली और आगरा भी गंगा के बेसिन की पश्चिमी सीमाओं पर स्थित थे। सातवीं सदी के मध्य में कानपुर के उत्तर में गंगा तट पर स्थित कन्नौज, जिसमें अधिकांश उत्तरी भारत आता था, हर्ष के सामन्तकालीन साम्राज्य का केन्द्र था।
====ऐतिहासिक महत्त्व====
{{main|गंगा का ऐतिहासिक महत्त्व}}
ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। [[अशोक]] के ई. पू. के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र ([[पटना]]), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था। महान् [[मुग़ल साम्राज्य]] के केन्द्र दिल्ली और [[आगरा]] भी गंगा के बेसिन की पश्चिमी सीमाओं पर स्थित थे। सातवीं सदी के मध्य में [[कानपुर]] के उत्तर में गंगा तट पर स्थित [[कन्नौज]], जिसमें अधिकांश उत्तरी भारत आता था, हर्ष के सामन्तकालीन साम्राज्य का केन्द्र था। मुस्लिम काल के दौरान, यानी 12वीं सदी से मुसलमानों का शासन न केवल मैदान, बल्कि बंगाल तक फैला हुआ था। डेल्टा क्षेत्र के ढाका और मुर्शिदाबाद मुस्लिम सत्ता के केन्द्र थे।
[[चित्र:Ganga-Varanasi.jpg|thumb|250px|[[वाराणसी]] में [[गंगा नदी]] के घाट<br /> Ghats of Ganga River in Varanasi]]
====आर्थिक महत्त्व====
{{main|गंगा का आर्थिक महत्त्व}}
गंगा अपनी उपत्यकाओं में [[भारत]] और [[बांग्लादेश]] के कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही है, यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के बारहमासी स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्यतः [[धान]], [[गन्ना]], [[दाल]], [[तिलहन]], [[आलू]] एवं [[गेहूँ]] हैं। जो भारत की कृषि आज का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहाँ लेग्यूम, मिर्च, सरसों, तिल, गन्ना और जूट की अच्छी फ़सल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत ज़ोरों पर चलता है।
====धार्मिक महत्त्व====
{{main|गंगा का धार्मिक महत्त्व}}
[[भारत]] की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को [[देवी]] के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र [[तीर्थस्थल]] गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं जिनमें [[वाराणसी]] और [[हरिद्वार]] सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या [[अंतिम संस्कार]] की इच्छा भी रखते हैं।
====पौराणिक महत्त्व====
{{main|गंगा का पौराणिक महत्त्व}}
गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। कुछ पुराणों ने गंगा को मन्दाकिनी के रूप में स्वर्ग में, गंगा के रूप में पृथ्वी पर और भोगवती के रूप में पाताल में प्रवाहित होते हुए वर्णित किया है।<ref>[[पद्म पुराण]] 6|267|47</ref> [[विष्णु पुराण|विष्णु]] आदि पुराणों ने गंगा को [[विष्णु]] के बायें पैर के अँगूठे के नख से प्रवाहित माना है।<ref>वामपादाम्बुजांगुष्ठनखस्रोतोविनिर्गताम्। विष्णोर्बभर्ति यां भक्त्या शिरसाहनिंशं ध्रुव:।। [[विष्णु पुराण]] (2|8|109); कल्पतरु (तीर्थ, पृष्ठ 161) ने ‘शिव:’ पाठान्तर दिया है। ‘नदी सा वैष्णवी प्रोक्ता विष्णुपादसमुदभवा।’ [[पद्म पुराण]]  (5|25|188)।</ref> कुछ पुराणों में ऐसा आया है कि [[शिव]] ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में परिवर्तित कर दिया, जिनमें तीन (नलिनी, ह्लदिनी एवं पावनी) पूर्व की ओर, तीन (सीता, चक्षुस एवं [[सिन्धु नदी|सिन्धु]]) पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई और सातवीं धारा [[भागीरथी नदी|भागीरथी]] हुई<ref> ([[मत्स्य पुराण]] 121|38-41; [[ब्रह्माण्ड पुराण]] 2|18|39-41 एवं 1|3|65-66)</ref>। [[कूर्म पुराण]]<ref>(1|46|30-31) एवं [[वराह पुराण]] (अध्याय 82, गद्य में) </ref>का कथन है कि गंगा सर्वप्रथम सीता, [[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]], सुचक्ष एवं भद्रा नामक चार विभिन्न धाराओं में बहती है। अलकनंदा दक्षिण की ओर बहती है, भारतवर्ष की ओर आती है और सप्तमुखों में होकर समुद्र में गिरती है।<ref>तथैवालकनंदा च दक्षिणादेत्य भारतम्। प्रयाति सागरं भित्त्वा सप्तभेदा द्विजोत्तम:।। [[कूर्म पुराण]] (1|46|31)।</ref>
==साहित्यिक उल्लेख==
{{main|गंगा का साहित्यिक उल्लेख}}
भारत की राष्ट्र-नदी गंगा जल ही नहीं, अपितु भारत और हिन्दी साहित्य की मानवीय चेतना को भी प्रवाहित करती है।<ref>{{cite web |url= http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/2009/hindikavyameganganadii.htm|title=हिन्दी काव्य में गंगा नदी|accessmonthday=[[30 जून]]|accessyear=[[2009]]|format=|publisher=अभिव्यक्ति|language=}}</ref> ऋग्वेद, महाभारत, रामायण एवं अनेक पुराणों में गंगा को पुण्य सलिला, पाप-नाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, सरित्श्रेष्ठा एवं महानदी कहा गया है। संस्कृत कवि जगन्नाथ राय ने गंगा की स्तुति में 'श्रीगंगालहरी'<ref>{{cite web |url= http://sujalam.blogspot.com/2007/11/blog-post_73.html|title=गंगा की उपस्थिति |accessmonthday=[[22 जून]]|accessyear=[[2009]]|format=|publisher=सुजलाम्|language=}}</ref> नामक काव्य की रचना की है। हिन्दी के आदि महाकाव्य [[पृथ्वीराज रासो]]<ref>इंदो किं अंदोलिया अमी ए चक्कीवं गंगा सिरे। .................एतने चरित्र ते गंग तीरे</ref> तथा वीसलदेव रास<ref>कइ रे हिमालइ माहिं गिलउं। कइ तउ झंफघडं गंग-दुवारि।..................बहिन दिवाऊँ राइ की। थारा ब्याह कराबुं गंग नइ पारि</ref>नरपति नाल्ह) में गंगा का उल्लेख है। आदिकाल का सर्वाधिक लोक विश्रुत ग्रंथ जगनिक रचित [[आल्हाखण्ड]]<ref>प्रागराज सो तीरथ ध्यावौं। जहँ पर गंग मातु लहराय।। / एक ओर से जमुना आई। दोनों मिलीं भुजा फैलाय।। / सरस्वती नीचे से निकली। तिरबेनी सो तीर्थ कहाय।।</ref> में गंगा, [[यमुना नदी|यमुना]] और [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] का उल्लेख है।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
==वीथिका==
{{Panorama
|image=चित्र:Ganga-3.jpg
|height=300
|alt=वाराणसी में गंगा का विहंगम दृश्य
|caption=[[गंगा]] का विहंगम दृश्य, ([[वाराणसी]])
}}
<gallery>
चित्र:Ganga-Sunrise.jpg|सूर्योदय के समय गंगा नदी
चित्र:Haridwar2.jpg|गंगा नदी, [[हरिद्वार]]
चित्र:Kachla-Ghat.jpg|गंगा नदी, कछला घाट
चित्र:Devprayag-Bhagirathi-River.jpg|[[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]] और [[भागीरथी नदी|भागीरथी]] का संगम देवप्रयाग, [[उत्तराखंड]]
चित्र:Ganga-Devi-Delhi-Crafts-Museum-2.jpg|[[गंगा|गंगा देवी]] का भित्ति चित्र, हस्त शिल्पकला संग्रहालय, [[दिल्ली]]
चित्र:Ganga-Devi-Delhi-Crafts-Museum.jpg|[[गंगा|गंगा देवी]] का भित्ति चित्र, हस्त शिल्पकला संग्रहालय, [[दिल्ली]]
चित्र:Ganga-National-Museum-Delhi.jpg|गंगा देवी प्रतिमा, [[राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली|राष्ट्रीय संग्रहालय]], [[दिल्ली]]
चित्र:Ganga-1.jpg|[[गंगा नदी]], [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-2.jpg|गंगा नदी, वाराणसी
चित्र:Ganga-4.jpg|[[गंगा नदी]] के [[घाट]] का सुन्दर दृश्य
चित्र:Ganga-5.jpg|[[गंगा नदी]] के [[घाट]] पर श्रद्धालु [[स्नान]] करते हुए
चित्र:Ganga-6.jpg|प्रात:काल का सुन्दर दृश्य, [[गंगा नदी]]
चित्र:Ganga-7.jpg|[[गंगा नदी]], [[वाराणसी]]
चित्र:Ghats-of-Ganaga-in-Banaras.jpg[[प्रयाग घाट]], वाराणसी, गंगा नदी
चित्र:Ganga-8.jpg|रात्रि दृश्य, [[गंगा नदी]], [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-9.jpg|दरभंगा घाट गंगा नदी वाराणसी
चित्र:Ganga-10.jpg|[[गंगा नदी]] का सुन्दर दृश्य [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-11.jpg|गंगा नदी, वाराणसी
चित्र:Ganga-12.jpg|अहिल्याबाई घाट, [[गंगा नदी]], [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-13.jpg|मुन्शी व दरभंगा घाट, वाराणसी
चित्र:Ganga-14.jpg|नाव में घूमते श्रद्धालु, [[गंगा नदी]], [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-17.jpg|मनमोहक दृश्य, गंगा नदी, वाराणसी
चित्र:Ganga-16.jpg|[[गंगा]] किनारे स्थित औरंगजेब मस्जिद, [[वाराणसी]]
चित्र:Ganga-15.jpg|नाव में घूमते श्रद्धालु, गंगा नदी, वाराणसी
चित्र:Munshi-Ghat-Varanasi.jpg|[[गंगा]] किनारे स्थित मुन्शी घाट, [[वाराणसी]]
</gallery>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.youtube.com/watch?v=H7nhCTmEq5s&feature=player_embedded गंगा आरती विडियो]
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{गंगा नदी}}{{राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक}}{{भारत की नदियाँ}}
[[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:भारत की नदियाँ]]
[[Category:उत्तर प्रदेश की नदियाँ]]
[[Category:राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक]]
[[Category:गंगा नदी]]
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__NOTOC__

10:22, 10 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

गंगा विषय सूची


गंगा
गंगा नदी
गंगा नदी
देश भारत, नेपाल और बांग्लादेश
राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल
प्रमुख नगर हरिद्वार, कन्नौज, कानपुर, वाराणसी, भागलपुर और मुर्शिदाबाद ज़िला
उद्गम स्थल गंगोत्री, उत्तराखंड
लम्बाई 2,510 किमी
सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, ताप्ती, गंडक, कोसी आदि
पौराणिक उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार गंगा को विष्णु के पाँव से एवं शिव के जटाजूट में अवस्थित माना गया है।
धार्मिक महत्त्व भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है।
ऐतिहासिक महत्त्व ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। अशोक के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र (पटना), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था।
गूगल मानचित्र गंगा नदी
अन्य जानकारी भारतीय भाषाओं में तथा अधिकृत रूप से गंगा नदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके अंग्रेज़ीकृत नाम ‘द गैंगीज़’ से ही जाना जाता है। गंगा सहस्राब्दियों से हिन्दुओं की पवित्र तथा पूजनीय नदी रही है।
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गंगा (अंग्रेज़ी: Ganges) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह उत्तर भारत के मैदानों की विशाल नदी है। गंगा, भारत और बांग्लादेश में मिलकर 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई उत्तरांचल में हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में भारत के लगभग एक-चौथाई भू-क्षेत्र को प्रवाहित होती है। गंगा नदी को उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड भी कहा गया है।

नामकरण

भारतीय भाषाओं में तथा अधिकृत रूप से गंगा नदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके अंग्रेज़ीकृत नाम ‘द गैंगीज़’ से ही जाना जाता है। गंगा सहस्राब्दियों से हिन्दुओं की पवित्र तथा पूजनीय नदी रही है। अपने अधिकांश मार्ग में गंगा एक चौड़ी व मंद धारा है और विश्व के सबसे ज़्यादा उपजाऊ और घनी आबादी वाले इलाक़ों से होकर बहती है। इतने महत्व के बावज़ूद इसकी लम्बाई 2,510 किलोमीटर है, जो एशिया या विश्व स्तर की तुलना में कोई बहुत ज़्यादा नहीं है। भारत की पावन नदी, जिसकी जलधारा में स्नान से पापमुक्ति और जलपान से शुद्धि होती है। यह प्रसिद्ध नदी, हिमाचल प्रदेश में गंगोत्री से निकलकर मध्यदेश से होती हुई पश्चिम बंगाल के परे गंगासागर में मिलती है। गंगा की घाटी संसार की उर्वरतम घाटियों में से एक है और सरयू, यमुना, सोन आदि अनेक नदियाँ उससे आ मिलती हैं।

विशेषताएँ

गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है। इसकी पाँच आरम्भिक धाराओं भागीरथी, अलकनन्दा, मंदाकिनी, धौलीगंगा तथा पिंडर का उद्गम उत्तराखण्ड क्षेत्र, जो उत्तर प्रदेश का एक संभाग था (वर्तमान उत्तरांचल राज्य) में होता है। दो प्रमुख धाराओं में बड़ी अलकनन्दा का उद्गम हिमालय के नंदा देवी शिखर से 48 किलोमीटर दूर तथा दूसरी भागीरथी का उद्गम हिमालय की गंगोत्री नामक हिमनद के रूप में 3,050 मीटर की ऊँचाई पर बर्फ़ की गुफ़ा में होता है। गंगोत्री हिन्दुओं का एक तीर्थ स्थान है। वैसे गंगोत्री से 21 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व स्थित गोमुख को गंगा का वास्तविक उद्गम स्थल माना जाता है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है, जो कुमाऊँ में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है।[1] गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर भी है। गंगोत्री तीर्थ, शहर से 19 किलोमीटर उत्तर की ओर 3892 मीटर (12,770 फीट) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है।

भौगोलिक विस्तार

गंगा के बेसिन में इस उपमहाद्वीप की विशालतम नदी प्रणाली स्थित है। यहाँ जल की आपूर्ति मुख्यत: जुलाई से अक्टूबर के बीच दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा अप्रॅल से जून के बीच ग्रीष्म ऋतु के दौरान पिघलने वाली हिमालय की बर्फ़ से होती है। नदी के बेसिन में मानसून के उन कटिबंधीय तूफ़ानों से भी वर्षा होती है, जो जून से अक्टूबर के बीच बंगाल की खाड़ी में पैदा होते हैं। दिसम्बर और जनवरी में बहुत कम मात्रा में वर्षा होती है

गंगोत्री हिमनद में गोमुख
Gomukh in Gangotri Himnad

सहायक नदियाँ

गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है। [2] हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस[3] तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। चम्बल, बेतवा, शारदा और केन यमुना की सहायक नदियाँ हैं।

महत्त्व

ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। अशोक के ई. पू. के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र (पटना), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था। महान् मुग़ल साम्राज्य के केन्द्र दिल्ली और आगरा भी गंगा के बेसिन की पश्चिमी सीमाओं पर स्थित थे। सातवीं सदी के मध्य में कानपुर के उत्तर में गंगा तट पर स्थित कन्नौज, जिसमें अधिकांश उत्तरी भारत आता था, हर्ष के सामन्तकालीन साम्राज्य का केन्द्र था।

ऐतिहासिक महत्त्व

ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। अशोक के ई. पू. के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र (पटना), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था। महान् मुग़ल साम्राज्य के केन्द्र दिल्ली और आगरा भी गंगा के बेसिन की पश्चिमी सीमाओं पर स्थित थे। सातवीं सदी के मध्य में कानपुर के उत्तर में गंगा तट पर स्थित कन्नौज, जिसमें अधिकांश उत्तरी भारत आता था, हर्ष के सामन्तकालीन साम्राज्य का केन्द्र था। मुस्लिम काल के दौरान, यानी 12वीं सदी से मुसलमानों का शासन न केवल मैदान, बल्कि बंगाल तक फैला हुआ था। डेल्टा क्षेत्र के ढाका और मुर्शिदाबाद मुस्लिम सत्ता के केन्द्र थे।

वाराणसी में गंगा नदी के घाट
Ghats of Ganga River in Varanasi

आर्थिक महत्त्व

गंगा अपनी उपत्यकाओं में भारत और बांग्लादेश के कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही है, यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के बारहमासी स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्यतः धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू एवं गेहूँ हैं। जो भारत की कृषि आज का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहाँ लेग्यूम, मिर्च, सरसों, तिल, गन्ना और जूट की अच्छी फ़सल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत ज़ोरों पर चलता है।

धार्मिक महत्त्व

भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं जिनमें वाराणसी और हरिद्वार सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं।

पौराणिक महत्त्व

गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। कुछ पुराणों ने गंगा को मन्दाकिनी के रूप में स्वर्ग में, गंगा के रूप में पृथ्वी पर और भोगवती के रूप में पाताल में प्रवाहित होते हुए वर्णित किया है।[4] विष्णु आदि पुराणों ने गंगा को विष्णु के बायें पैर के अँगूठे के नख से प्रवाहित माना है।[5] कुछ पुराणों में ऐसा आया है कि शिव ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में परिवर्तित कर दिया, जिनमें तीन (नलिनी, ह्लदिनी एवं पावनी) पूर्व की ओर, तीन (सीता, चक्षुस एवं सिन्धु) पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई और सातवीं धारा भागीरथी हुई[6]कूर्म पुराण[7]का कथन है कि गंगा सर्वप्रथम सीता, अलकनंदा, सुचक्ष एवं भद्रा नामक चार विभिन्न धाराओं में बहती है। अलकनंदा दक्षिण की ओर बहती है, भारतवर्ष की ओर आती है और सप्तमुखों में होकर समुद्र में गिरती है।[8]

साहित्यिक उल्लेख

भारत की राष्ट्र-नदी गंगा जल ही नहीं, अपितु भारत और हिन्दी साहित्य की मानवीय चेतना को भी प्रवाहित करती है।[9] ऋग्वेद, महाभारत, रामायण एवं अनेक पुराणों में गंगा को पुण्य सलिला, पाप-नाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, सरित्श्रेष्ठा एवं महानदी कहा गया है। संस्कृत कवि जगन्नाथ राय ने गंगा की स्तुति में 'श्रीगंगालहरी'[10] नामक काव्य की रचना की है। हिन्दी के आदि महाकाव्य पृथ्वीराज रासो[11] तथा वीसलदेव रास[12]नरपति नाल्ह) में गंगा का उल्लेख है। आदिकाल का सर्वाधिक लोक विश्रुत ग्रंथ जगनिक रचित आल्हाखण्ड[13] में गंगा, यमुना और सरस्वती का उल्लेख है।


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वाराणसी में गंगा का विहंगम दृश्य
गंगा का विहंगम दृश्य, (वाराणसी)

बाहरी कड़ियाँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तरांचल-एक परिचय (एचटीएम) टीडीआईएल। अभिगमन तिथि: 28 अप्रॅल, 2008
  2. भारत के बारे में जानो भारत सरकार। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2009
  3. उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ इंडिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2009
  4. पद्म पुराण 6|267|47
  5. वामपादाम्बुजांगुष्ठनखस्रोतोविनिर्गताम्। विष्णोर्बभर्ति यां भक्त्या शिरसाहनिंशं ध्रुव:।। विष्णु पुराण (2|8|109); कल्पतरु (तीर्थ, पृष्ठ 161) ने ‘शिव:’ पाठान्तर दिया है। ‘नदी सा वैष्णवी प्रोक्ता विष्णुपादसमुदभवा।’ पद्म पुराण (5|25|188)।
  6. (मत्स्य पुराण 121|38-41; ब्रह्माण्ड पुराण 2|18|39-41 एवं 1|3|65-66)
  7. (1|46|30-31) एवं वराह पुराण (अध्याय 82, गद्य में)
  8. तथैवालकनंदा च दक्षिणादेत्य भारतम्। प्रयाति सागरं भित्त्वा सप्तभेदा द्विजोत्तम:।। कूर्म पुराण (1|46|31)।
  9. हिन्दी काव्य में गंगा नदी अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 30 जून, 2009
  10. गंगा की उपस्थिति सुजलाम्। अभिगमन तिथि: 22 जून, 2009
  11. इंदो किं अंदोलिया अमी ए चक्कीवं गंगा सिरे। .................एतने चरित्र ते गंग तीरे
  12. कइ रे हिमालइ माहिं गिलउं। कइ तउ झंफघडं गंग-दुवारि।..................बहिन दिवाऊँ राइ की। थारा ब्याह कराबुं गंग नइ पारि
  13. प्रागराज सो तीरथ ध्यावौं। जहँ पर गंग मातु लहराय।। / एक ओर से जमुना आई। दोनों मिलीं भुजा फैलाय।। / सरस्वती नीचे से निकली। तिरबेनी सो तीर्थ कहाय।।

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