"बागपत": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "<references/>" to "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्) |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''बागपत''' [[उत्तर प्रदेश]] का एक शहर और ज़िला है। इस नगर का प्राचीन नाम 'व्याघ्रप्रस्थ' या 'वृषप्रस्थ' कहा जाता है। बागपत उत्तर में [[मुजफ्फरपुर ज़िला]], दक्षिण में [[गाज़ियाबाद ज़िला]] और पश्चिम में [[यमुना नदी]] तथा [[रोहतक]] से घिरा हुआ है। एक अलग ज़िले के रूप में बागपत की स्थापना [[1997]] ई. में हुई थी। [[भारत]] के कई शहरों की तरह ही यह ज़िला भी यमुना नदी के तट पर ही बसाया गया था। | '''बागपत''' [[उत्तर प्रदेश]] का एक शहर और ज़िला है। इस नगर का प्राचीन नाम 'व्याघ्रप्रस्थ' या 'वृषप्रस्थ' कहा जाता है। बागपत उत्तर में [[मुजफ्फरपुर ज़िला]], दक्षिण में [[गाज़ियाबाद ज़िला]] और पश्चिम में [[यमुना नदी]] तथा [[रोहतक]] से घिरा हुआ है। एक अलग ज़िले के रूप में बागपत की स्थापना [[1997]] ई. में हुई थी। [[भारत]] के कई शहरों की तरह ही यह ज़िला भी यमुना नदी के तट पर ही बसाया गया था। | ||
====इतिहास==== | ====इतिहास==== | ||
स्थानीय जनश्रुति के अनुसार बागपत उन पाँच ग्रामों में से एक था, जिनकी माँग [[महाभारत]] के युद्ध से पहले समझौता करने के लिए [[पांडव|पांडवों]] ने [[दुर्योधन]] से की थी। अन्य चार ग्राम [[सोनीपत|सोनपत]], [[तिलपत]], [[इंद्रप्रस्थ|इंद्रपत]] और [[पानीपत]] कहे जाते हैं। किंतु महाभारत में ये पाँच ग्राम दूसरे ही हैं। ये हैं- अविस्थल, वृकस्थल, माकंदी, वारणावत और पाँचवा नाम रहित कोई भी अन्य ग्राम। संभव है कि वृकस्थल बागपत का महाभारत कालीन नाम रहा हो। वैसे वृकस्थल (वृक-[[भेड़िया]] या [[बाघ]]) बागपत या व्याघ्रप्रस्थ का पार्याय हो सकता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=617|url=}}</ref> | स्थानीय जनश्रुति के अनुसार बागपत उन पाँच ग्रामों में से एक था, जिनकी माँग [[महाभारत]] के युद्ध से पहले समझौता करने के लिए [[पांडव|पांडवों]] ने [[दुर्योधन]] से की थी। अन्य चार ग्राम [[सोनीपत|सोनपत]], [[तिलपत]], [[इंद्रप्रस्थ|इंद्रपत]] और [[पानीपत]] कहे जाते हैं। किंतु महाभारत में ये पाँच ग्राम दूसरे ही हैं। ये हैं- अविस्थल, वृकस्थल, माकंदी, [[वारणावत]] और पाँचवा नाम रहित कोई भी अन्य ग्राम। संभव है कि वृकस्थल बागपत का महाभारत कालीन नाम रहा हो। वैसे वृकस्थल (वृक-[[भेड़िया]] या [[बाघ]]) बागपत या व्याघ्रप्रस्थ का पार्याय हो सकता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=617|url=}}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
* | *ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
13:36, 27 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
बागपत उत्तर प्रदेश का एक शहर और ज़िला है। इस नगर का प्राचीन नाम 'व्याघ्रप्रस्थ' या 'वृषप्रस्थ' कहा जाता है। बागपत उत्तर में मुजफ्फरपुर ज़िला, दक्षिण में गाज़ियाबाद ज़िला और पश्चिम में यमुना नदी तथा रोहतक से घिरा हुआ है। एक अलग ज़िले के रूप में बागपत की स्थापना 1997 ई. में हुई थी। भारत के कई शहरों की तरह ही यह ज़िला भी यमुना नदी के तट पर ही बसाया गया था।
इतिहास
स्थानीय जनश्रुति के अनुसार बागपत उन पाँच ग्रामों में से एक था, जिनकी माँग महाभारत के युद्ध से पहले समझौता करने के लिए पांडवों ने दुर्योधन से की थी। अन्य चार ग्राम सोनपत, तिलपत, इंद्रपत और पानीपत कहे जाते हैं। किंतु महाभारत में ये पाँच ग्राम दूसरे ही हैं। ये हैं- अविस्थल, वृकस्थल, माकंदी, वारणावत और पाँचवा नाम रहित कोई भी अन्य ग्राम। संभव है कि वृकस्थल बागपत का महाभारत कालीन नाम रहा हो। वैसे वृकस्थल (वृक-भेड़िया या बाघ) बागपत या व्याघ्रप्रस्थ का पार्याय हो सकता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 617 |
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार