"दतिया": अवतरणों में अंतर
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'''दतिया''' [[बुंदेलखंड]], [[मध्य प्रदेश]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] और लोकप्रिय [[तीर्थ स्थान]] है। यह [[झाँसी]] से 16 मील {{मील|मील=16}} की दूरी पर [[ग्वालियर]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] की सीमा पर स्थित है। प्राचीन काल में दतिया 'दंतवक्त्र' की राजधानी मानी जाती थी। दतिया का पुराना इलाका चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और बगीचे बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना 'वीरसिंह महल' [[उत्तर भारत]] की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक माना जाता है। यहाँ का [[शक्तिपीठ]] [[भारत]] के श्रेष्ठतम और | '''दतिया''' [[बुंदेलखंड]], [[मध्य प्रदेश]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] और लोकप्रिय [[तीर्थ स्थान]] है। यह [[झाँसी]] से 16 मील {{मील|मील=16}} की दूरी पर [[ग्वालियर]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] की सीमा पर स्थित है। प्राचीन काल में दतिया 'दंतवक्त्र' की राजधानी मानी जाती थी। दतिया का पुराना इलाका चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और बगीचे बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना 'वीरसिंह महल' [[उत्तर भारत]] की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक माना जाता है। यहाँ का [[शक्तिपीठ]] [[भारत]] के श्रेष्ठतम और महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहाँ बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं को आवागमन लगा रहता है। | ||
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==पर्यटन स्थल== | ==पर्यटन स्थल== | ||
दतिया में कई पर्यटन स्थान हैं। दंतवक्त्र का मंदिर यहाँ का मुख्य मंदिर है। इसे लोग 'मड़िया महादेव का मंदिर' कहते हैं। मड़िया महादेव का मंदिर एक पहाड़ी पर अवस्थित है। दतिया का प्राचीन दुर्ग, जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, [[ओरछा]] नरेश वीरसिंह देव बुंदेला (17वीं शती) का बनवाया हुआ कहा जाता है। किंवदंती है कि इस [[दुर्ग]] को बनवाने में आठ [[वर्ष]], दस [[मास]] और छब्बीस दिन का समय लगा था और बत्तीस लाख नब्बे हज़ार नौ सौ अस्सी [[रुपया|रुपये]] व्यय हुए थे। दतिया में [[बुन्देला|बुंदेल]] [[राजपूत|राजपूतों]] की एक शाखा का राज्य आधुनिक समय तक रहा था। | दतिया में कई पर्यटन स्थान हैं। दंतवक्त्र का मंदिर यहाँ का मुख्य मंदिर है। इसे लोग 'मड़िया महादेव का मंदिर' कहते हैं। मड़िया महादेव का मंदिर एक पहाड़ी पर अवस्थित है। दतिया का प्राचीन दुर्ग, जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, [[ओरछा]] नरेश वीरसिंह देव बुंदेला (17वीं शती) का बनवाया हुआ कहा जाता है। किंवदंती है कि इस [[दुर्ग]] को बनवाने में आठ [[वर्ष]], दस [[मास]] और छब्बीस दिन का समय लगा था और बत्तीस लाख नब्बे हज़ार नौ सौ अस्सी [[रुपया|रुपये]] व्यय हुए थे। दतिया में [[बुन्देला|बुंदेल]] [[राजपूत|राजपूतों]] की एक शाखा का राज्य आधुनिक समय तक रहा था। | ||
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इनके अतिरिक्त दतिया में राजगढ़ महल और संग्रहालय भी है। पीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही एक संग्रहालय भी है, जहाँ भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है। | इनके अतिरिक्त दतिया में राजगढ़ महल और संग्रहालय भी है। पीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही एक संग्रहालय भी है, जहाँ भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है। | ||
==मंदिर== | |||
'लघु वृंदावन' नाम से मशहूर दतिया शहर में अनेक ख़ूबसूरत मंदिर बने हुए हैं। 'अवध बिहारी मंदिर', 'शिवगिर मंदिर', 'विजय राघव मंदिर', 'गोविन्द मंदिर' और 'बिहारीजी मंदिर' यहाँ के लोकप्रिय मंदिर हैं। श्रद्धालुओं का यहाँ हमेशा हुजूम लगा रहता है। | |||
====पीताम्बरा पीठ==== | |||
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यह देश के लोकप्रिय [[शक्तिपीठ|शक्तिपीठों]] में से एक है, जो दतिया ज़िले में स्थित है। इस शक्तिपीठ की मान्यता बहुत अधिक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। स्थानील लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो [[भारत]] में भगवती धूमावती का एक मात्र मन्दिर है। | यह देश के लोकप्रिय [[शक्तिपीठ|शक्तिपीठों]] में से एक है, जो दतिया ज़िले में स्थित है। इस शक्तिपीठ की मान्यता बहुत अधिक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। स्थानील लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो [[भारत]] में भगवती धूमावती का एक मात्र मन्दिर है। | ||
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यह पसिद्ध मन्दि' [[दतिया ज़िला|दतिया ज़िले]] के प्रसिद्ध [[शक्तिपीठ]] '[[पीताम्बरा पीठ दतिया|पीताम्बरा पीठ]]' के प्रांगण में स्थित है। पूरे [[भारत]] में यह माँ धूमावती का एक मात्र मन्दिर है, जिसकी मान्यता भी अधिक है। माना जाता है कि पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक [[संत]], जिन्हें स्वामीजी महाराज कहा जाता था, ने की थी। माँ धूमावती की [[आरती]] सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए धूमावती का मन्दिर [[शनिवार]] को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है। | |||
====उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर==== | |||
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[[सूर्य देव]] का यह 'उनाव बालाजी मन्दिर' [[मध्य प्रदेश]] में दतिया ज़िले के उनाव में स्थित है। यह मन्दिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है। साथ ही यह अपने साथ कई किवदंतियों को समेटे हुए है। मन्दिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति यदि पहुँज नदी में [[स्नान]] करने के बाद बालाजी मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर [[जल]] चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। यहाँ [[आषाढ़]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[एकादशी]] को रथयात्रा का आयोजन किया जाता है तथा प्रत्येक [[रविवार]] को मेला लगता है। | |||
==कैसे जाएँ== | ==कैसे जाएँ== | ||
'''वायु मार्ग''' - [[ग्वालियर]] दतिया का निकटतम हवाईअड्डा है। ग्वालियर पहुँचकर बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से दतिया पहुँचा जा सकता है। | '''वायु मार्ग''' - [[ग्वालियर]] दतिया का निकटतम हवाईअड्डा है। ग्वालियर पहुँचकर बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से दतिया पहुँचा जा सकता है। | ||
'''रेल मार्ग''' - दतिया रेलवे स्टेशन [[दिल्ली]]-[[चैन्नई]] मुख्य रेल लाइन पर पड़ता है। [[दिल्ली]], [[आगरा]], [[मथुरा]], [[ग्वालियर]], [[झांसी]], [[भोपाल]] आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियाँ दतिया से होकर जाती हैं। दतिया शहर से दतिया रेलवे स्टेशन | '''रेल मार्ग''' - दतिया रेलवे स्टेशन [[दिल्ली]]-[[चैन्नई]] मुख्य रेल लाइन पर पड़ता है। [[दिल्ली]], [[आगरा]], [[मथुरा]], [[ग्वालियर]], [[झांसी]], [[भोपाल]] आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियाँ दतिया से होकर जाती हैं। दतिया शहर से दतिया रेलवे स्टेशन क़रीब तीन कि.मी. दूर है। | ||
'''सड़क मार्ग''' - दतिया, [[उत्तर प्रदेश]] और [[मध्य प्रदेश]] की सीमा पर स्थित है। दोनों राज्यों के अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है। झांसी, ग्वालियर, मथुरा, डबरा, आगरा, [[ओरछा]] आदि शहरों से यहाँ के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं। | '''सड़क मार्ग''' - दतिया, [[उत्तर प्रदेश]] और [[मध्य प्रदेश]] की सीमा पर स्थित है। दोनों राज्यों के अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है। झांसी, ग्वालियर, मथुरा, डबरा, आगरा, [[ओरछा]] आदि शहरों से यहाँ के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं। |
11:59, 14 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
दतिया
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विवरण | 'दतिया' बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक और लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। यहाँ का शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम और महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
भौगोलिक स्थिति | यह झाँसी से 16 मील की दूरी पर ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
ग्वालियर | |
दतिया | |
झांसी, ग्वालियर, मथुरा, आगरा, ओरछा आदि शहरों से यहाँ के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं। | |
क्या देखें | पीताम्बरा पीठ, सोनगिरि मन्दिर, गोविन्द महल, उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर, बडोनी, सिओंधा। |
कहाँ ठहरें | धर्मशालाएँ, आश्रम और होटल आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, ग्वालियर, बुंदेलखंड
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अन्य जानकारी | दतिया में राजगढ़ महल और संग्रहालय भी है। पीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। |
दतिया बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान और लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। यह झाँसी से 16 मील (लगभग 25.6 कि.मी.) की दूरी पर ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। प्राचीन काल में दतिया 'दंतवक्त्र' की राजधानी मानी जाती थी। दतिया का पुराना इलाका चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और बगीचे बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना 'वीरसिंह महल' उत्तर भारत की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक माना जाता है। यहाँ का शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम और महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहाँ बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं को आवागमन लगा रहता है।
पर्यटन स्थल
दतिया में कई पर्यटन स्थान हैं। दंतवक्त्र का मंदिर यहाँ का मुख्य मंदिर है। इसे लोग 'मड़िया महादेव का मंदिर' कहते हैं। मड़िया महादेव का मंदिर एक पहाड़ी पर अवस्थित है। दतिया का प्राचीन दुर्ग, जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, ओरछा नरेश वीरसिंह देव बुंदेला (17वीं शती) का बनवाया हुआ कहा जाता है। किंवदंती है कि इस दुर्ग को बनवाने में आठ वर्ष, दस मास और छब्बीस दिन का समय लगा था और बत्तीस लाख नब्बे हज़ार नौ सौ अस्सी रुपये व्यय हुए थे। दतिया में बुंदेल राजपूतों की एक शाखा का राज्य आधुनिक समय तक रहा था।
अन्य स्थल
दतिया के अन्य आकर्षणों में हैं-
- पीताम्बरा पीठ
- धूमावती मन्दिर
- सोनगिरि मन्दिर
- गोविन्द महल
- उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर
- बडोनी
- सिओंधा
- भंडेर
इनके अतिरिक्त दतिया में राजगढ़ महल और संग्रहालय भी है। पीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही एक संग्रहालय भी है, जहाँ भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है।
मंदिर
'लघु वृंदावन' नाम से मशहूर दतिया शहर में अनेक ख़ूबसूरत मंदिर बने हुए हैं। 'अवध बिहारी मंदिर', 'शिवगिर मंदिर', 'विजय राघव मंदिर', 'गोविन्द मंदिर' और 'बिहारीजी मंदिर' यहाँ के लोकप्रिय मंदिर हैं। श्रद्धालुओं का यहाँ हमेशा हुजूम लगा रहता है।
पीताम्बरा पीठ
यह देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है, जो दतिया ज़िले में स्थित है। इस शक्तिपीठ की मान्यता बहुत अधिक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। स्थानील लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो भारत में भगवती धूमावती का एक मात्र मन्दिर है।
धूमावती मन्दिर
यह पसिद्ध मन्दि' दतिया ज़िले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ 'पीताम्बरा पीठ' के प्रांगण में स्थित है। पूरे भारत में यह माँ धूमावती का एक मात्र मन्दिर है, जिसकी मान्यता भी अधिक है। माना जाता है कि पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक संत, जिन्हें स्वामीजी महाराज कहा जाता था, ने की थी। माँ धूमावती की आरती सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए धूमावती का मन्दिर शनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है।
उनाव बालाजी सूर्य मन्दिर
सूर्य देव का यह 'उनाव बालाजी मन्दिर' मध्य प्रदेश में दतिया ज़िले के उनाव में स्थित है। यह मन्दिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है। साथ ही यह अपने साथ कई किवदंतियों को समेटे हुए है। मन्दिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति यदि पहुँज नदी में स्नान करने के बाद बालाजी मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। यहाँ आषाढ़ शुक्ल एकादशी को रथयात्रा का आयोजन किया जाता है तथा प्रत्येक रविवार को मेला लगता है।
कैसे जाएँ
वायु मार्ग - ग्वालियर दतिया का निकटतम हवाईअड्डा है। ग्वालियर पहुँचकर बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से दतिया पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग - दतिया रेलवे स्टेशन दिल्ली-चैन्नई मुख्य रेल लाइन पर पड़ता है। दिल्ली, आगरा, मथुरा, ग्वालियर, झांसी, भोपाल आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियाँ दतिया से होकर जाती हैं। दतिया शहर से दतिया रेलवे स्टेशन क़रीब तीन कि.मी. दूर है।
सड़क मार्ग - दतिया, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। दोनों राज्यों के अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है। झांसी, ग्वालियर, मथुरा, डबरा, आगरा, ओरछा आदि शहरों से यहाँ के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं।
- कब जाएँ
लोकप्रिय पर्यटन स्थलों की सैर आदि के लिए दतिया आने का उत्तम समय अक्टूबर से मार्च के बीच का रहता है।
कहाँ ठहरें
दतिया, सोनगिरी और उसके आस-पास यात्रियों के ठहरने के लिए अनेक धर्मशालाएँ बनी हुई हैं। रानीवालों की धर्मशाला, लमेन्चू जैन धर्मशाला, विशाल धर्मशाला और त्यागी आश्रम आदि में कम मूल्य पर ठहरा जा सकता है। दतिया के निकट स्थित ग्वालियर में ठहरने हेतु होटलों की उचित व्यवस्था है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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