"बिन्सर महादेव मंदिर, रानीखेत": अवतरणों में अंतर
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'''बिन्सर महादेव मंदिर''' [[रानीखेत]] ([[अल्मोड़ा]], [[उत्तराखण्ड]]) से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। बिन्सर महादेव मंदिर [[समुद्र]] तल से 2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से घने [[देवदार]] के वनों से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में [[गणेश]], [[गौरी|हरगौरी]] और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। महेशमर्दिनी की प्रतिमा पर मुद्रित [[नागरी लिपि]] मंदिर का संबंध नौवीं शताब्दी से जोड़ती है। इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। इसीलिए मंदिर को '''बिन्देश्वर मंदिर''' के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल [[जून]] के महीने में बैकुंड चतुर्दशी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं। | '''बिन्सर महादेव मंदिर''' [[रानीखेत]] ([[अल्मोड़ा]], [[उत्तराखण्ड]]) से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। बिन्सर महादेव मंदिर [[समुद्र]] तल से 2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से घने [[देवदार]] के वनों से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में [[गणेश]], [[गौरी|हरगौरी]] और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। महेशमर्दिनी की प्रतिमा पर मुद्रित [[नागरी लिपि]] मंदिर का संबंध नौवीं शताब्दी से जोड़ती है। इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। इसीलिए मंदिर को '''बिन्देश्वर मंदिर''' के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल [[जून]] के महीने में बैकुंड चतुर्दशी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=328 |title=रानीखेत |accessmonthday=2 नवम्बर |accessyear=20133 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= यात्रा सलाह डॉट कॉम|language= हिंदी}}</ref> | ||
08:44, 2 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण
बिन्सर महादेव मंदिर रानीखेत (अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड) से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। बिन्सर महादेव मंदिर समुद्र तल से 2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से घने देवदार के वनों से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में गणेश, हरगौरी और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। महेशमर्दिनी की प्रतिमा पर मुद्रित नागरी लिपि मंदिर का संबंध नौवीं शताब्दी से जोड़ती है। इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता बिन्दू की याद में बनवाया था। इसीलिए मंदिर को बिन्देश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल जून के महीने में बैकुंड चतुर्दशी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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