"सुनहला रत्न": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "Category:रत्न Category:भूगोल_कोश" to "==सम्बंधित लिंक== {{रत्न}} Category:रत्न Category:भूगोल_कोश")
No edit summary
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*क़ीमती पत्थर को [[रत्न]] कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते है।
सुनहला रत्न पीले रंग का नरम तथा पूर्ण पारदर्शक होता है। सुनहला रत्न [[पुखराज]] का उपरत्न है। श्रेष्ठ सुनहला वही माना जाता है, जो हल्का (सरसों अथवा अमलतास के फूलों जैसा) पीलापन लिए हो। <ref>{{cite web |url=http://www.patrika.com/article.aspx?id=12167 |title=उपरत्न—सुनहला |accessmonthday=19 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format= |publisher=पत्रिका |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
*रत्न आकर्षक [[खनिज]] का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य [[अलंकरण]] बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते है, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते है।
;रत्न
{{main|रत्न}}
*क़ीमती पत्थर को [[रत्न]] कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते हैं।
*रत्न आकर्षक [[खनिज]] का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य [[अलंकरण]] बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते हैं, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते हैं।
*रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।  
*रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।  
*ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रुप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते है।
*ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रूप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते हैं।
*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।  
*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।  
<blockquote>प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।</blockquote>
<blockquote>प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।</blockquote>  
 
यह पीले रंग का नरम तथा पूर्ण पारदर्शक होता है। सुनहला रत्न [[पुखराज]] का उपरत्न है। श्रेष्ठ सुनहला वही माना जाता है, जो हल्का (सरसों अथवा अमलतास के फूलों जैसा) पीलापन लिए हो। <ref>{{cite web |url=http://www.patrika.com/article.aspx?id=12167 |title=उपरत्न—सुनहला |accessmonthday=19 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format= |publisher=पत्रिका |language=हिन्दी }}</ref>


{{प्रचार}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>


==सम्बंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{रत्न}}
{{रत्न}}
[[Category:रत्न]]
[[Category:रत्न]]
[[Category:भूगोल_कोश]]
[[Category:भूगोल_कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

10:24, 20 जून 2011 के समय का अवतरण

सुनहला रत्न पीले रंग का नरम तथा पूर्ण पारदर्शक होता है। सुनहला रत्न पुखराज का उपरत्न है। श्रेष्ठ सुनहला वही माना जाता है, जो हल्का (सरसों अथवा अमलतास के फूलों जैसा) पीलापन लिए हो। [1]

रत्न
  • क़ीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते हैं।
  • रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते हैं, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते हैं।
  • रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
  • ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रूप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते हैं।
  • रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।

प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उपरत्न—सुनहला (हिन्दी) पत्रिका। अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2010।

संबंधित लेख