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'''अंशुवर्मन''' [[नेपाल]] के 'ठाकुरी राजकुल' का प्रतिष्ठाता और पहला नरेश था। अनुमान किया जाता है कि उसने लगभग 40 [[वर्ष]] तक शासन किया था।<ref>{{cite web |url=http:// | '''अंशुवर्मन''' [[नेपाल]] के 'ठाकुरी राजकुल' का प्रतिष्ठाता और पहला नरेश था। अनुमान किया जाता है कि उसने लगभग 40 [[वर्ष]] तक शासन किया था।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A8 |title=अंशुवर्मन |accessmonthday=20 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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12:26, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
अंशुवर्मन नेपाल के 'ठाकुरी राजकुल' का प्रतिष्ठाता और पहला नरेश था। अनुमान किया जाता है कि उसने लगभग 40 वर्ष तक शासन किया था।[1]
- अंशुवर्मन पहले लिच्छवी नरेश शिवदेव का मंत्री था, परंतु जिस प्रकार अभी हाल तक नेपाल में अधिकतर राजनीतिक अधिकार मंत्री के हाथ में रहा है, तब भी उसी प्रकार अंशुवर्मन राज्य का यथार्थत स्वामी था।
- राज्य की सम्पूर्ण शक्ति हाथ में आ जाने पर अंशुवर्मन ने राजमुकुट भी धारण कर लिया और पुराने राजकुल का अंत कर उसने 'ठाकुरी राजवंश' की स्थापना की।
- अंशुवर्मन ने एक संवत् भी चलाया, जिसका प्रारंभ 59 ई. से माना जाता है।
- तिब्बत के प्रसिद्ध सम्राट सांग-ब्तसानगंपो के साथ अंशुवर्मन ने अपनी कन्या का विवाह किया। हिन्दू होते हुए भी उसे इस प्रकार के विवाह से परहेज नहीं था।
- संभवत: 40 वर्ष तक अंशुवर्मन ने सफलतापूर्वक शासन कार्य किया।
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