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* गढ़वाल की अंतिम पश्चिमी सीमा का यह गढ़ देहरादून ज़िले के त्यूणी-शिमला मार्ग पर जुब्बल हाटकोटी देवी मंदिर के पास है।
* इस गढ़ का गढ़पति राणा वंश का था। इस वंश के हाटकोटी के आस-पास ढाढी व आराकोट में रहते हैं।  
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10:18, 27 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

उत्तरकाशी का एक दृश्य

उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्‍िट से भी महत्‍वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तरकाशी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय स्थल है, यहाँ कई तीर्थस्थल भी है और कई मनोहर प्राकृतिक दृश्य भी। यहीं गंगा औऱ यमुना जैसे नदियों का उद्गम स्थल है।

चन्द्रपुर पर्यटन

राजगढ़ी
  • उत्तरकाशी जनपद के रवाईं परगने का तहसील मुख्यालय है राजगढ़ी।
  • कंडियाल गांव में एक लाखीराम वडियारी जियारा था, उसकी कई गांवों में खेती थी।
  • सन् 1960 के बाद इस भवन पर तहसील कार्यालय खुल गया था।
मुंगरा गढ़
  • उत्तरकाशी जनपद के नौगांव विकासखण्ड के मुंगरा गांव में मुंगरा गढ़ है।
हंसोला गढ़
  • मुंगरा गढ़ के पास ही वर्तमान नौगांव विकासखण्ड मुख्यालय के पास यमुना नदी की दो धाराओं के मध्य एक बड़ी चट्टान के टीले पर हंसोला गढ़ है, जिसमें बुनियादी चिणाई की 4 परतें अभी भी हैं।
पावर घाटी का रांई गढ़
  • गढ़वाल की अंतिम पश्चिमी सीमा का यह गढ़ देहरादून ज़िले के त्यूणी-शिमला मार्ग पर जुब्बल हाटकोटी देवी मंदिर के पास है।
  • इस गढ़ का गढ़पति राणा वंश का था। इस वंश के हाटकोटी के आस-पास ढाढी व आराकोट में रहते हैं।
सांकरी गढ़
  • उत्तरकाशी जनपद के मोरी विकासखण्ड के अंतर्गत मोरी से 20 किमी. की दूरी पर हरकीदून के रास्ते में 4000 फीट की ऊंचाई पर सांकरी प्राचीन गढ़ है। जिसके दो तरफ घुय्यां घाटी की अभेद्य चट्टान है, दो तरफ से खुला है।
विश्‍वनाथ मंदिर
  • प्राचीन विश्‍वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तरकाशी में ही राजा भागीरथ ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा को धारण कर लेंगे। तब से यह नगरी विश्वनाथ की नगरी कही जाने लगी और कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।
शक्ति मंदिर
  • इस मंदिर में 6 मीटर ऊँचा तथा 90 सेंटीमीटर परिधि वाला एक बड़ा त्रिशूल स्‍थापित है।
  • इस त्रिशूल का ऊपरी भाग लो‍हे का है तथा निचला भाग ताँबे का है।
मनीरी
  • मनीरी उत्तरकाशी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • यहाँ पर एक बाँध बनाया गया है।
गंगनी
  • उत्तरकाशी में यह स्‍थान मनीरी से गंगोत्री जाने के रास्‍ते पर स्थित है।
  • यहाँ एक गर्म पानी का झरना है।
दोदीताल
उत्तरकाशी का एक दृश्य
  • उत्तरकाशी में यह ताल समुद्र तल से 3307 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • यह ताल चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है।
दायरा बुग्‍याल
  • यहाँ से हिमालय का बहुत ही सुंदर नज़ारा दिखता है।
  • यहाँ एक छोटी सी झील भी है।
सत ताल
  • सत ताल का अर्थ है सात झीलें।
  • यह धाराली से 2 किलोमीटर ऊपर हरसिल के पास स्थित है।
केदार ताल
  • उत्तरकाशी का यह ताल समुद्र तल से 15000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
  • थाल्‍यासागर चोटी का इसमें स्‍पष्‍ट प्रतिबिंब नज़र आता है।
नचिकेता ताल
  • उत्तरकाशी के इस ताल के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है।
  • ताल के तट पर एक छोटा सा मंदिर भी है।
  • यह उत्तरकाशी से 32 किमी दूर स्थित है।
गोमुख
  • गोमुख हिमनदी ही भागीरथी (गंगा) नदी के जल का स्रोत है।
  • उत्तरकाशी में यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र स्‍थान है।
  • यह गंगोत्री से 18 किलोमीटर की दूरी पर है।
नंदन वन तपोवन
  • उत्तरकाशी में यह स्‍थान गंगोत्री हिमनद से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
नेहरु पर्वतारोही संस्‍थान
  • उत्तरकाशी में एक संस्था है जिसका नाम है नेहरु पर्वतारोही संस्थान।
  • इस संस्‍थान की स्‍थापना 1965 ई.में हुई।
  • इस संस्‍थान में पर्वतारोहण सिखाया जाता है।
पर्वतारोहण
  • उत्तरकाशी का एक अन्‍य आकर्षण पर्वतारोहण है।
  • यहाँ आप पर्वतारोहण का मजा ले सकते हैं।


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