"यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'": अवतरणों में अंतर
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|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
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|मुख्य रचनाएँ='तेरा मेरा उसका सच', 'सन्यासी और सुंदरी', 'हज़ार घोडों पर सवार', 'मेरी प्रेम कहानियां', ‘एक और मुख्यमंत्री’ आदि। | |||
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'''यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'''' (जन्म- [[1932]], [[बीकानेर]], [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[3 मार्च]], [[2009]], [[जयपुर]]) राजस्थान के सर्वाधिक चर्चित व प्रसिद्ध [[उपन्यासकार]], कहानीकार तथा नाटककार थे। इन्होंने राजस्थान की सामंती पृष्ठभूमि पर अनेक सशक्त [[उपन्यास]] लिखे थे। उनके उपन्यास ‘खम्मा अन्नदाता’, ‘मिट्टी का कलंक’, ‘जनानी ड्योढी’, ‘एक और मुख्यमंत्री’ तथा ‘हज़ार घोड़ों पर सवार’ आदि में सामंती प्रथा के पोषक राजाओं व जागीरदारों के अंतरंग के खोखलेपन, षड़यंत्रों व कुंठाओं पर जमकर प्रहार किये गए हैं। [[राजस्थानी भाषा]] की पहली रंगीन फ़िल्म 'लाजराखो राणी सती' की कथा यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने ही लिखी थी। [[हिन्दी भाषा]] में लिखने वाले राजस्थानी लेखकों में यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' सबसे अग्रणी रहे। | |||
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यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा देने के लिए जीवन पर्यन्त सादगी व ईमानदारी से सृजन कार्य तथा [[धर्म]] का निर्वाह किया। उन्होंने [[उपन्यास]], कहानियाँ, [[कविता]] संग्रह एवं लघु नाटकों की 100 से भी ज़्यादा पुस्तकों की रचना कर [[साहित्य]] के क्षेत्र में अपना अपूर्व योगदान दिया, जो सदैव एक मिसाल के रूप में जीवंत रहेगा।<ref>{{cite web |url= http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE_%27%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%27_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF|title= यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'/परिचय|accessmonthday= 09 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= कविताकोश|language= हिन्दी}} उनकी कुछ कृतियाँ निम्नलिखित हैं-</ref> | यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा देने के लिए जीवन पर्यन्त सादगी व ईमानदारी से सृजन कार्य तथा [[धर्म]] का निर्वाह किया। उन्होंने [[उपन्यास]], कहानियाँ, [[कविता]] संग्रह एवं लघु नाटकों की 100 से भी ज़्यादा पुस्तकों की रचना कर [[साहित्य]] के क्षेत्र में अपना अपूर्व योगदान दिया, जो सदैव एक मिसाल के रूप में जीवंत रहेगा।<ref>{{cite web |url= http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE_%27%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%27_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF|title= यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'/परिचय|accessmonthday= 09 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= कविताकोश|language= हिन्दी}} उनकी कुछ कृतियाँ निम्नलिखित हैं-</ref> | ||
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05:03, 29 मई 2015 के समय का अवतरण
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
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पूरा नाम | यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' |
अन्य नाम | चन्द्र (उपनाम) |
जन्म | 1932 |
जन्म भूमि | बीकानेर, राजस्थान |
मृत्यु | 3 मार्च, 2009 |
मृत्यु स्थान | जयपुर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | उपन्यासकार, नाटककार, कहानीकार |
मुख्य रचनाएँ | 'तेरा मेरा उसका सच', 'सन्यासी और सुंदरी', 'हज़ार घोडों पर सवार', 'मेरी प्रेम कहानियां', ‘एक और मुख्यमंत्री’ आदि। |
भाषा | हिन्दी, राजस्थानी |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 'लाज राखो राणी सती' नामक पहली राजस्थानी फ़िल्म यादवेन्द्र शर्मा के लेखन का ही परिणाम थी। 'गुलाबडी', 'चकवे की बात' और 'विडम्बना' पर भी टेलीफ़िल्म का निर्माण हुआ था। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' (जन्म- 1932, बीकानेर, राजस्थान; मृत्यु- 3 मार्च, 2009, जयपुर) राजस्थान के सर्वाधिक चर्चित व प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार तथा नाटककार थे। इन्होंने राजस्थान की सामंती पृष्ठभूमि पर अनेक सशक्त उपन्यास लिखे थे। उनके उपन्यास ‘खम्मा अन्नदाता’, ‘मिट्टी का कलंक’, ‘जनानी ड्योढी’, ‘एक और मुख्यमंत्री’ तथा ‘हज़ार घोड़ों पर सवार’ आदि में सामंती प्रथा के पोषक राजाओं व जागीरदारों के अंतरंग के खोखलेपन, षड़यंत्रों व कुंठाओं पर जमकर प्रहार किये गए हैं। राजस्थानी भाषा की पहली रंगीन फ़िल्म 'लाजराखो राणी सती' की कथा यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने ही लिखी थी। हिन्दी भाषा में लिखने वाले राजस्थानी लेखकों में यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' सबसे अग्रणी रहे।
जन्म
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' जी का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 1932 में राजस्थान के बीकानेर में हुआ था।
कृतियाँ
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा देने के लिए जीवन पर्यन्त सादगी व ईमानदारी से सृजन कार्य तथा धर्म का निर्वाह किया। उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, कविता संग्रह एवं लघु नाटकों की 100 से भी ज़्यादा पुस्तकों की रचना कर साहित्य के क्षेत्र में अपना अपूर्व योगदान दिया, जो सदैव एक मिसाल के रूप में जीवंत रहेगा।[1]
पुस्तक - 'तेरा मेरा उसका सच', 'आँखें सब देखती हैं'[2] के अतिरिक्त गद्य की अनेकानेक पुस्तकें।
उपन्यास - 'सन्यासी और सुंदरी', 'दीया जला दीया बुझा', 'हज़ार घोडों पर सवार', 'कुर्सी गायब हो गई', 'एक और मुख्यमंत्री', 'खम्मा अन्नदाता', 'पराजिता', 'खून का टीका', 'ढोकन कुंजकली', 'गुलाबडी', 'सपना', 'मोहभंग' आदि।
कहानी संग्रह - 'मेरी प्रेम कहानियां', 'श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां', 'विशिष्ठ कहानियां', 'जमीन का टुकडा', 'जंजाल' तथा अन्य कहानियां, 'महापुरुष' आदि अनेक कथा संग्रह।
नाटक - 'ताश का घर', 'महाराजा शेखचिल्ली', 'मैं अश्वत्थामा', 'चुप हो जाए पीटर', 'चार अजूबे', 'आखिरी पड़ाव', 'जीमूतवाहन', 'महाबली बर्बरिक' आदि।
सम्मान
राजस्थान पत्रिका सृजन पुरस्कार की श्रेणी में वर्ष 1996 में 'गुळजी गाथा' पर पुरस्कृत; 'साहित्य अकादमी', नई दिल्ली; 'राजस्थान साहित्य अकादमी', उदयपुर; 'राजस्थानी भाषा संस्कृति एवं साहित्य अकादमी', बीकानेर सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' ने एक सौ से अधिक साहित्यिक कृतियों का सृजन किया था।
विशेष
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' के उपन्यास 'हज़ार घोडों पर सवार' पर टीवी धारावाहिक बना था, 'लाज राखो राणी सती' नामक पहली राजस्थानी फ़िल्म भी इनके लेखन का ही परिणाम थी। 'गुलाबडी', 'चकवे की बात' और 'विडम्बना' पर भी टेलीफ़िल्म का निर्माण हुआ था।
निधन
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' का निधन 3 मार्च, 2009 में जयपुर, राजस्थान में हुआ। उन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को नई दिशा देने का काम किया था। उनकी रचनाएं पाठकों के मन पर अमिट छाप छोड़ने में सक्षम हैं। आजीवन सादगी एवं इमानदारी से रहते हुए उन्होंने अपने रचना धर्म से देश का मान बढ़ाया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'/परिचय (हिन्दी) कविताकोश। अभिगमन तिथि: 09 अगस्त, 2014। उनकी कुछ कृतियाँ निम्नलिखित हैं-
- ↑ कविता संग्रह
बाहरी कड़ियाँ
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