"तृतीय पंचवर्षीय योजना": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
|पाठ 10= | |पाठ 10= | ||
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|अन्य जानकारी=कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। [[चीन]] (1962) और [[पाकिस्तान]] (1965) से युद्ध एवं [[वर्षा]] न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान [[तीन वार्षिक योजना|तीन एक वर्षीय योजनाएँ]] लागू की गईं। | |अन्य जानकारी=कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। [[चीन]] (1962) और [[पाकिस्तान]] (1965) से युद्ध एवं [[वर्षा]] न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान पर [[तीन वार्षिक योजना|तीन एक वर्षीय योजनाएँ]] लागू की गईं। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''तृतीय पंचवर्षीय योजना''' का कार्यकाल [[1961]] से [[1966]] तक रहा। तृतीय योजना ने अपना लक्ष्य आत्मनिर्भर एवं स्वयं - स्फूर्ति अर्थव्यवस्था की स्थापना करना रखा। इस योजना ने [[कृषि]] को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की, परंतु इसके साथ-साथ इसने बुनियादी उद्योगों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया जो कि तीव्र आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक था। कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। [[चीन]] (1962) और [[पाकिस्तान]] (1965) से युद्ध एवं [[वर्षा]] न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान [[तीन वार्षिक योजना|तीन एक वर्षीय योजनाएँ]] लागू की गईं। | '''तृतीय पंचवर्षीय योजना''' का कार्यकाल [[1961]] से [[1966]] तक रहा। तृतीय योजना ने अपना लक्ष्य आत्मनिर्भर एवं स्वयं - स्फूर्ति अर्थव्यवस्था की स्थापना करना रखा। इस योजना ने [[कृषि]] को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की, परंतु इसके साथ-साथ इसने बुनियादी उद्योगों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया जो कि तीव्र आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक था। कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। [[चीन]] (1962) और [[पाकिस्तान]] (1965) से युद्ध एवं [[वर्षा]] न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान पर [[तीन वार्षिक योजना|तीन एक वर्षीय योजनाएँ]] लागू की गईं। | ||
==योजना अवकाश== | ==योजना अवकाश== | ||
{{Main|योजना अवकाश}} | {{Main|योजना अवकाश}} |
14:34, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
तृतीय पंचवर्षीय योजना
| |
विवरण | यह भारत की राष्ट्रीय योजना है जो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में योजना आयोग द्वारा विकसित और कार्यान्वित होती है। |
कार्यकाल | वर्ष 1961 से 1966 तक |
अध्यक्ष | जवाहरलाल नेहरू |
उपाध्यक्ष | गुलज़ारीलाल नंदा |
योजना आकार | 7500 करोड़ |
विकास लक्ष्य | 5.6 फ़ीसदी |
वास्तविक | 2.84 फ़ीसदी |
अन्य जानकारी | कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। चीन (1962) और पाकिस्तान (1965) से युद्ध एवं वर्षा न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान पर तीन एक वर्षीय योजनाएँ लागू की गईं। |
तृतीय पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1961 से 1966 तक रहा। तृतीय योजना ने अपना लक्ष्य आत्मनिर्भर एवं स्वयं - स्फूर्ति अर्थव्यवस्था की स्थापना करना रखा। इस योजना ने कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की, परंतु इसके साथ-साथ इसने बुनियादी उद्योगों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया जो कि तीव्र आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक था। कृषि व उद्योग दोनों के विकास को लगभग समान महत्व दिया गया। चीन (1962) और पाकिस्तान (1965) से युद्ध एवं वर्षा न होने के कारण यह योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रही, जिसके कारण चौथी योजना तीन वर्ष के लिए स्थगित करके इसके स्थान पर तीन एक वर्षीय योजनाएँ लागू की गईं।
योजना अवकाश
वर्ष 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्ध से पैदा हुई स्थिति, दो साल लगातार भीषण सूखा पड़ने, मुद्रा का अवमूल्यन होने, कीमतों में हुई वृद्धि तथा योजना उद्देश्यों के लिए संसाधनों में कमी होने के कारण 'चौथी योजना' को अंतिम रूप देने में देरी हुई। इसलिए इसका स्थान पर चौथी योजना के प्रारूप को ध्यान में रखते हुए 1966 से 1969 तक तीन वार्षिक योजनाएँ बनायी गयीं। इस अवधि को 'योजना अवकाश' कहा गया है।
सभी पंचवर्षीय योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख