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'''राजगढ़''' पश्चिमोत्तर [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] का एक नगर है। यह [[मध्य भारत]] में नेवाज और [[पार्वती नदी|पार्वती]] नदियों के मध्य, [[छतरपुर|छतरपुर नगर]] से 59 कि.मी. दूर मान्यागढ़ की पहाड़ी की तलहटी में स्थित है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=54|url=}}</ref> | |||
*1640 ई. में उमत राजपूतों द्वारा स्थापित यह नगर भूतपूर्व राजगढ़ रियासत की राजधानी था। | *1640 ई. में उमत राजपूतों द्वारा स्थापित यह नगर भूतपूर्व राजगढ़ रियासत की राजधानी था। | ||
*[[पन्ना मध्य प्रदेश|पन्ना]] के राजा हिरदे शाह ने सबसे पहले यहां एक बस्ती की स्थापना की थी। | *[[पन्ना मध्य प्रदेश|पन्ना]] के राजा हिरदे शाह ने सबसे पहले यहां एक बस्ती की स्थापना की थी। | ||
*धर्म प्रचारक और वैज्ञानिक टिफ़्फ़ैंथलर ने [[वर्ष]] 1765 में राजगढ़ रियासत की राजधानी की यात्रा | *धर्म प्रचारक और वैज्ञानिक टिफ़्फ़ैंथलर ने [[वर्ष]] 1765 में राजगढ़ रियासत की राजधानी की यात्रा की। | ||
*राजगढ़ नगर में मान्यागढ़ का विख्यात भग्नावशेष क़िला है, जिसका नामकरण [[चंदेल वंश|चंदेलों]] की कुलदेवी 'मान्या देवी' के नाम पर किया गया था। | *राजगढ़ नगर में मान्यागढ़ का विख्यात भग्नावशेष क़िला है, जिसका नामकरण [[चंदेल वंश|चंदेलों]] की कुलदेवी 'मान्या देवी' के नाम पर किया गया था। यहाँ महल, तकिया ताल, भवानी जैसे उत्कृष्ट जलाशय और घाट युक्त कजालिया ताल है। | ||
*नगर में स्थित मान्या देवी का भग्नावशेष मंदिर [[अजयगढ़|अजयगढ़]] या [[कालिंजर]] के [[दुर्ग]] से अधिक पुराना जान पड़ता है। | *नगर में स्थित मान्या देवी का भग्नावशेष मंदिर [[अजयगढ़|अजयगढ़]] या [[कालिंजर]] के [[दुर्ग]] से अधिक पुराना जान पड़ता है। | ||
*स्वर्गेश्वर महादेव मंदिर उस कुंड के किनारे खड़ा है, जिसमें एक प्रकृतिक सोता रिसकर आता है। | *स्वर्गेश्वर महादेव मंदिर उस कुंड के किनारे खड़ा है, जिसमें एक प्रकृतिक सोता रिसकर आता है। | ||
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राजगढ़ पश्चिमोत्तर मध्य प्रदेश राज्य का एक नगर है। यह मध्य भारत में नेवाज और पार्वती नदियों के मध्य, छतरपुर नगर से 59 कि.मी. दूर मान्यागढ़ की पहाड़ी की तलहटी में स्थित है।[1]
- 1640 ई. में उमत राजपूतों द्वारा स्थापित यह नगर भूतपूर्व राजगढ़ रियासत की राजधानी था।
- पन्ना के राजा हिरदे शाह ने सबसे पहले यहां एक बस्ती की स्थापना की थी।
- धर्म प्रचारक और वैज्ञानिक टिफ़्फ़ैंथलर ने वर्ष 1765 में राजगढ़ रियासत की राजधानी की यात्रा की।
- राजगढ़ नगर में मान्यागढ़ का विख्यात भग्नावशेष क़िला है, जिसका नामकरण चंदेलों की कुलदेवी 'मान्या देवी' के नाम पर किया गया था। यहाँ महल, तकिया ताल, भवानी जैसे उत्कृष्ट जलाशय और घाट युक्त कजालिया ताल है।
- नगर में स्थित मान्या देवी का भग्नावशेष मंदिर अजयगढ़ या कालिंजर के दुर्ग से अधिक पुराना जान पड़ता है।
- स्वर्गेश्वर महादेव मंदिर उस कुंड के किनारे खड़ा है, जिसमें एक प्रकृतिक सोता रिसकर आता है।
- राजनगर, चंद्रनगर और अन्य नगरों से राजगढ़ भलिभांति जुड़ा हुआ है।
- राजगढ़ एक प्रमुख कृषि व्यवसाय केंद्र है।
- इस नगर के महाविद्यालयों में गवर्नमेंट बॉयज़ पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज और डॉ, अनुपम जैन गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज शामिल हैं।
- वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार नगरपालिका क्षेत्र की जनसंख्या 23,927 तथा ज़िले की कुल जनसंख्या 12,53,246 थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 54 |