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चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने भी इस स्थान का वर्णन किया था। उन्होंने इस स्थान का उल्लेख 'गोविशाण' नाम से किया था प्राचीन समय से ही काशीपुर का अपना भौगोलिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व रहा है। [[कुमाऊँ]] के राजाओं का यह एक मुख्य केन्द्र था। तराई - भाबर में जो भी वसूली होती थी उसका सूबेदार काशीपुर में ही रहता था। | चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने भी इस स्थान का वर्णन किया था। उन्होंने इस स्थान का उल्लेख 'गोविशाण' नाम से किया था प्राचीन समय से ही काशीपुर का अपना भौगोलिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व रहा है। [[कुमाऊँ]] के राजाओं का यह एक मुख्य केन्द्र था। तराई - भाबर में जो भी वसूली होती थी उसका सूबेदार काशीपुर में ही रहता था। | ||
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कालाढूँगी / [[हल्द्वानी]] से काशीपुर मोटर-मार्ग में काशीपुर शहर से लगभग 6 कि.मी. पहले देवी का एक काफ़ी पुराना मन्दिर है। यहाँ पर [[चैत्र]] [[मास]] में चैती मेला विशेष रुप से लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं तथा अपनी मनौतियाँ मनाते और माँगते हैं। देवी के दर्शन करने के लिए यहाँ | कालाढूँगी / [[हल्द्वानी]] से काशीपुर मोटर-मार्ग में काशीपुर शहर से लगभग 6 कि.मी. पहले देवी का एक काफ़ी पुराना मन्दिर है। यहाँ पर [[चैत्र]] [[मास]] में चैती मेला विशेष रुप से लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं तथा अपनी मनौतियाँ मनाते और माँगते हैं। देवी के दर्शन करने के लिए यहाँ काफ़ी भीड़ उमड़ पड़ती है। <ref>{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/utrn0048.htm#girital |title=काशीपुर |accessmonthday=20 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.ignca.nic.in |language= हिन्दी}}</ref> | ||
11:00, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
काशीपुर नैनीताल में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। काशीपुर, नैनीताल ज़िले का एक प्रसिद्ध नगर है, और मुरादाबाद व लालकुआँ से रेल द्वारा जुड़ा है। नैनीताल से यहाँ निरन्तर बसें आती रहती हैं। नैनीताल में खुर्पीताल से कालढूँगी मार्ग होते हुए काशीपुर को एक सीधा मार्ग चला जाता है।
ऐतिहासिक उल्लेख
चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी इस स्थान का वर्णन किया था। उन्होंने इस स्थान का उल्लेख 'गोविशाण' नाम से किया था प्राचीन समय से ही काशीपुर का अपना भौगोलिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व रहा है। कुमाऊँ के राजाओं का यह एक मुख्य केन्द्र था। तराई - भाबर में जो भी वसूली होती थी उसका सूबेदार काशीपुर में ही रहता था।
विशेषता
कालाढूँगी / हल्द्वानी से काशीपुर मोटर-मार्ग में काशीपुर शहर से लगभग 6 कि.मी. पहले देवी का एक काफ़ी पुराना मन्दिर है। यहाँ पर चैत्र मास में चैती मेला विशेष रुप से लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं तथा अपनी मनौतियाँ मनाते और माँगते हैं। देवी के दर्शन करने के लिए यहाँ काफ़ी भीड़ उमड़ पड़ती है। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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