"अर्जुन की प्रतिज्ञा -मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर
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व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
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अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है, | अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है, | ||
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है, | इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है, | ||
उस खल जयद्रथ को | उस खल जयद्रथ को जगत् में मृत्यु ही अब सार है, | ||
उन्मुक्त बस उसके लिये रौरव नरक का द्वार है। | उन्मुक्त बस उसके लिये रौरव नरक का द्वार है। | ||
13:50, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
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उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा, |
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