"खीरा को सिर काटिकै -रहीम": अवतरणों में अंतर

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चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर [[नमक]] मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।
चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर [[नमक]] मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।


{{लेख क्रम3| पिछला=सब कोऊ सबसों करें -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=जो रहीम ओछो बढ़ै -रहीम}}
{{लेख क्रम3| पिछला=सब कोऊ सबसों करें -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन नीचन संग बसि -रहीम}}
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11:48, 10 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

खीरा को सिर काटिकै, मलियत लौन लगाय।
‘रहिमन’ करुवे मुखन की, चहिए यही सजाय॥

अर्थ

चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर नमक मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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