"रहिमन रिस को छाँड़ि के -रहीम": अवतरणों में अंतर
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‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ | ‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ ग़रीबी भेस ।<br /> | ||
मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस ॥ | मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस ॥ | ||
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क्रोध को छोड़ दो और | क्रोध को छोड़ दो और ग़रीबों की रहनी रहो। मीठे वचन बोलो और नम्रता से चलो, अकड़कर नहीं। फिर तो सारा ही देश तुम्हारा है। | ||
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09:16, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ ग़रीबी भेस ।
मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस ॥
- अर्थ
क्रोध को छोड़ दो और ग़रीबों की रहनी रहो। मीठे वचन बोलो और नम्रता से चलो, अकड़कर नहीं। फिर तो सारा ही देश तुम्हारा है।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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