"राम सुकंठ बिभीषन दोऊ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " गरीब" to " ग़रीब") |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
;चौपाई | ;चौपाई | ||
राम सुकंठ बिभीषन दोऊ। राखे सरन जान सबु कोऊ ॥ | राम सुकंठ बिभीषन दोऊ। राखे सरन जान सबु कोऊ ॥ | ||
नाम | नाम ग़रीब अनेक नेवाजे। लोक बेद बर बिरिद बिराजे॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
{{poemclose}} | {{poemclose}} | ||
;भावार्थ- | ;भावार्थ- | ||
[[राम]] ने [[सुग्रीव]] और [[विभीषण]] दोनों को ही अपनी शरण में रखा, यह सब कोई जानते हैं, परंतु नाम ने अनेक | [[राम]] ने [[सुग्रीव]] और [[विभीषण]] दोनों को ही अपनी शरण में रखा, यह सब कोई जानते हैं, परंतु नाम ने अनेक ग़रीबों पर कृपा की है। नाम का यह सुंदर विरद लोक और [[वेद]] में विशेष रूप से प्रकाशित है। | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=सबरी गीध सुसेवकनि |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=राम भालु कपि कटकु बटोरा}} | {{लेख क्रम4| पिछला=सबरी गीध सुसेवकनि |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=राम भालु कपि कटकु बटोरा}} |
09:19, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
राम सुकंठ बिभीषन दोऊ
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
राम सुकंठ बिभीषन दोऊ। राखे सरन जान सबु कोऊ ॥ |
- भावार्थ-
राम ने सुग्रीव और विभीषण दोनों को ही अपनी शरण में रखा, यह सब कोई जानते हैं, परंतु नाम ने अनेक ग़रीबों पर कृपा की है। नाम का यह सुंदर विरद लोक और वेद में विशेष रूप से प्रकाशित है।
राम सुकंठ बिभीषन दोऊ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख