"तब अनुजहि समुझावा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव।
तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव।
भय देखाइ लै आवहु तात सखा सुग्रीव॥18॥
भय देखाइ लै आवहु तात सखा सुग्रीव॥18॥
</poem>
</poem>
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई लक्ष्मणजी को समझाया कि हे तात! सखा सुग्रीव को केवल भय दिखलाकर ले आओ (उसे मारने की बात नहीं है)॥18॥
तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई [[लक्ष्मण|लक्ष्मण जी]] को समझाया कि हे तात! सखा [[सुग्रीव]] को केवल भय दिखलाकर ले आओ (उसे मारने की बात नहीं है)॥18॥
{{लेख क्रम4| पिछला=जानहिं यह चरित्र मुनि ग्यानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=इहाँ पवनसुत हृदयँ बिचारा}}
{{लेख क्रम4| पिछला=जानहिं यह चरित्र मुनि ग्यानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=इहाँ पवनसुत हृदयँ बिचारा}}



10:33, 24 मई 2016 के समय का अवतरण

तब अनुजहि समुझावा
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
दोहा

तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव।
भय देखाइ लै आवहु तात सखा सुग्रीव॥18॥

भावार्थ

तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई लक्ष्मण जी को समझाया कि हे तात! सखा सुग्रीव को केवल भय दिखलाकर ले आओ (उसे मारने की बात नहीं है)॥18॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
तब अनुजहि समुझावा
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख