"लागि तृषा अतिसय अकुलाने": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
गुफा में तपस्विनी के दर्शन, [[बंदर|वानरों]] का [[समुद्र]] तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
;गुफा में तपस्विनी के दर्शन, वानरों का समुद्र तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>
पंक्ति 38: पंक्ति 38:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
इतने में ही सबको अत्यंत प्यास लगी, जिससे सब अत्यंत ही व्याकुल हो गए, किंतु जल कहीं नहीं मिला। घने जंगल में सब भुला गए। [[हनुमान|हनुमान जी]] ने मन में अनुमान किया कि जल पिए बिना सब लोग मरना ही चाहते हैं॥2॥
इतने में ही सबको अत्यंत प्यास लगी, जिससे सब अत्यंत ही व्याकुल हो गए, किंतु [[जल]] कहीं नहीं मिला। घने जंगल में सब भुला गए। [[हनुमान|हनुमान जी]] ने मन में अनुमान किया कि [[जल]] पिए बिना सब लोग मरना ही चाहते हैं॥2॥
{{लेख क्रम4| पिछला=कतहुँ होइ निसिचर सैं भेटा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=चढ़ि गिरि सिखर चहूँ दिसि देखा}}
{{लेख क्रम4| पिछला=कतहुँ होइ निसिचर सैं भेटा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=चढ़ि गिरि सिखर चहूँ दिसि देखा}}



08:01, 27 मई 2016 के समय का अवतरण

लागि तृषा अतिसय अकुलाने
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
गुफा में तपस्विनी के दर्शन, वानरों का समुद्र तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
चौपाई

लागि तृषा अतिसय अकुलाने। मिलइ न जल घन गहन भुलाने॥
मन हनुमान कीन्ह अनुमाना। मरन चहत सब बिनु जल पाना॥2॥

भावार्थ

इतने में ही सबको अत्यंत प्यास लगी, जिससे सब अत्यंत ही व्याकुल हो गए, किंतु जल कहीं नहीं मिला। घने जंगल में सब भुला गए। हनुमान जी ने मन में अनुमान किया कि जल पिए बिना सब लोग मरना ही चाहते हैं॥2॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
लागि तृषा अतिसय अकुलाने
आगे जाएँ
आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख