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वे ही (दोनों) जाकर देवताओं को जीतने वाले तथा बड़े योद्धा, [[रावण]] और [[कुंभकर्ण]] नामक बड़े बलवान और महावीर राक्षस हुए, जिन्हें सारा जगत जानता है॥ 122॥
वे ही (दोनों) जाकर देवताओं को जीतने वाले तथा बड़े योद्धा, [[रावण]] और [[कुंभकर्ण]] नामक बड़े बलवान और महावीर राक्षस हुए, जिन्हें सारा जगत् जानता है॥ 122॥


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14:09, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

भए निसाचर जाइ
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

भए निसाचर जाइ तेइ महाबीर बलवान।
कुंभकरन रावन सुभट सुर बिजई जग जान॥ 122॥

भावार्थ-

वे ही (दोनों) जाकर देवताओं को जीतने वाले तथा बड़े योद्धा, रावण और कुंभकर्ण नामक बड़े बलवान और महावीर राक्षस हुए, जिन्हें सारा जगत् जानता है॥ 122॥


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भए निसाचर जाइ
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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