"लच्छू महाराज": अवतरणों में अंतर
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*[http://aajtak.intoday.in/story/the-last-maharaj-of-lucknow-1-755868.html लखनऊ की वंश परम्परा] | |||
*[http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-famous-tabla-vadak-lacchu-maharaj-passed-away-14398447.html पंडित लच्छू महाराज का निधन] | *[http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-famous-tabla-vadak-lacchu-maharaj-passed-away-14398447.html पंडित लच्छू महाराज का निधन] | ||
*[http://www.bhaskar.com/news/UP-VAR-world-famous-tabla-player-lachhu-maharaj-passed-away-news-hindi-5383152-NOR.html गोविन्दा ने लच्छू महाराज को बना लिया था गुरु] | *[http://www.bhaskar.com/news/UP-VAR-world-famous-tabla-player-lachhu-maharaj-passed-away-news-hindi-5383152-NOR.html गोविन्दा ने लच्छू महाराज को बना लिया था गुरु] |
06:35, 20 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
लच्छू महाराज
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पूरा नाम | लच्छू महाराज |
जन्म | 16 अक्टूबर, 1944 |
जन्म भूमि | बनारस, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 27 जुलाई, 2016 |
अभिभावक | वासुदेव महाराज |
पति/पत्नी | टीना (फ़्राँसीसी महिला) |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय शास्त्रीय संगीत |
प्रसिद्धि | तबला वादक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1972 में भारत सरकार की ओर से लच्छू महाराज ने 27 देशों का दौरा किया था। 1972 में ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित करने का प्रस्ताव किया गया था, किंतु उन्होंने 'पद्मश्री' लेने से मना कर दिया। |
लच्छू महाराज (अंग्रेज़ी: Lachhu Maharaj, जन्म- 16 अक्टूबर, 1944, बनारस[1]; मृत्यु- 27 जुलाई, 2016) भारत के जानेमाने तबला वादक थे। उन्होंने बनारस घराने की तबला बजाने की परम्परा को आगे बढ़ाया था। उनके कई शिष्य देश-विदेश में तबला बजा रहे हैं। लच्छू महाराज बेहद सादगी पसंद व्यक्ति थे, यही कारण था कि उन्होंने कभी कोई सम्मान ग्रहण नहीं किया।
- लच्छू महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध नगरी बनारस में 16 अक्टूबर, सन 1944 में हुआ और वे वहीं पले-बढ़े। इनके पिता का नाम वासुदेव महाराज था। लच्छू महाराज बारह भाई-बहनों में चौथे थे।
- एक फ़्राँसीसी महिला टीना से लच्छू महाराज ने विवाह किया था। उनकी एक पुत्री है, जो स्विट्जरलैण्ड में है।
- पूरी दुनिया में अपनी पेशेवर प्रस्तुति के अलावा लच्छू जी ने कई बॉलीवुड फ़िल्मों के लिए भी तबला बजाया।
- लच्छू महाराज के वादन की विशेषता थी कि उनके पिता वासुदेव महाराज ने विभिन्न घरानों के तबला वादकों की देखभाल करते हुए उनके घरानों की शेष वंदिशों को संग्रहित कर लच्छू महाराज को प्रदान किया।
- लच्छू महाराज ने अपने विकट अभ्यास के ज़रिये स्वतंत्र तबला वादक एवं संगत दोनों में ख्याति प्राप्त की। आप गायन, वादन एवं नृत्य तीनों की संगत में निपुण थे।
- लच्छू महाराज एक स्वाभिमानी एवं पारंपरिक कलाकार थे, जिन्होंने छोटे मोटे स्वार्थों के लिए कोई भी गलत समझौते नहीं किये।
- हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता गोविन्दा लच्छू महाराज के भांजे हैं। उन्होंने बचपन में ही लच्छू महाराज को अपना गुरु मान लिया था। गोविन्दा ने तबला बजाना लच्छू महाराज से ही सीखा। लच्छू महाराज जब कभी भी मुम्बई जाते तो गोविन्दा के घर पर ही रुकते थे।
- सन 1972 में भारत सरकार की ओर से लच्छू महाराज ने 27 देशों का दौरा किया था। 1972 में ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित करने का प्रस्ताव किया गया था, किंतु उन्होंने 'पद्मश्री' लेने से मना कर दिया। वे कहते थे- "श्रोताओं की वाह और तालियों की गड़गड़ाहट ही कलाकार का पुरस्कार होता है।"
- लच्छू महाराज का निधन 27 जुलाई, 2016 को हुआ था। उनकी अंतिम संस्कार बनारस के मणिकर्णिका घाट पर किया गया।
- फ़िल्मी सितारे गोविन्दा ने लच्छू महाराज के निधन पर लिखा कि- "पंडित लच्छू महाराज का निधन भारतीय शास्त्री संगीत की दुनिया के लिए बहुत बडी क्षति है। वह लब्ध प्रतिष्ठित तबला वादक थे।" कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने उन्हें तबला के सिरमौरों में एक बताया और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी लच्छू महाराज के निधन पर दु:ख प्रकट किया। प्रसिद्ध ठुमरी गायिका गिरिजा देवी ने भी लच्छू महाराज के निधन पर शोक जताया और कहा कि ऐसे कलाकार हमेशा पैदा नहीं होते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गोविंदा ने लच्छू महाराज को बना लिया था गुरु (हिन्दी) दैनिक भासकर। अभिगमन तिथि: 30 जुलाई, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
- लखनऊ की वंश परम्परा
- पंडित लच्छू महाराज का निधन
- गोविन्दा ने लच्छू महाराज को बना लिया था गुरु
- लच्छू महाराज का शरीर पंचतत्व में विलीन
- बनारस घराने के पंडित लच्छू महाराज का निधन