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सन 1677-78 में [[शिवाजी]] का ध्यान [[कर्नाटक]] की ओर गया। राज्याभिषेक के बाद शिवाजी का यह अन्तिम महत्त्वपूर्ण 'कर्नाटक का अभियान' (1676 ई.) था। [[गोलकुण्डा]] के 'मदन्ना' एवं 'अकन्ना' के सहयोग से शिवाजी ने [[बीजापुर]] और [[कर्नाटक]] पर आक्रमण करना चाहा, परन्तु आक्रमण के पूर्व ही शिवाजी एवं कुतुबशाह के बीच संधि सम्पन्न हुई, जिसकी शर्तें इस प्रकार थीं-
#शिवाजी को कुतुबशाह ने प्रति वर्ष एक लाख हूण देना स्वीकार किया।
#शिवाजी को कुतुबशाह ने प्रति वर्ष एक लाख हूण देना स्वीकार किया।
#दोनों ने कर्नाटक की सम्पत्ति को आपस में बांटने पर सहमति जताई।
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==महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार==
 
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शिवाजी विषय सूची
शिवाजी का कर्नाटक अभियान
शिवाजी
शिवाजी
पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले
जन्म 19 फ़रवरी, 1630 ई.
जन्म भूमि शिवनेरी, महाराष्ट्र
मृत्यु तिथि 3 अप्रैल, 1680 ई.
मृत्यु स्थान रायगढ़
पिता/माता शाहजी भोंसले, जीजाबाई
पति/पत्नी साइबाईं निम्बालकर
संतान सम्भाजी
उपाधि छत्रपति
शासन काल 1642 - 1680 ई.
शा. अवधि 38 वर्ष
राज्याभिषेक 6 जून, 1674 ई.
पूर्वाधिकारी शाहजी भोंसले
उत्तराधिकारी सम्भाजी
राजघराना मराठा
वंश भोंसले
संबंधित लेख महाराष्ट्र, मराठा, मराठा साम्राज्य, ताना जी, रायगढ़, समर्थ गुरु रामदास, दादोजी कोंडदेव, राजाराम, ताराबाई

कोंडाना का क़िला, जो कि नीलकंठ राव के नियंत्रण में था और जिसके लिए मराठा शासक शिवाजी के सेनापति तानाजी मालसुरे और जयसिंह के अधीन क़िलेदार उदयभान राठौर के बीच युद्ध हुआ।


1674 ई. में रायगढ़ में अपना राज्याभिषेक करवा कर शिवाजी ने खुद को मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया था और ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की। उनका राज्याभिषेक मुग़ल आधिपत्य को चुनौती देने वाले लोगों के उत्थान का प्रतीक था। राज्याभिषेक के बाद उन्होंने नवनिर्मित ‘हिन्दवी स्वराज्य’ के शासक के रूप में ‘हैन्दव धर्मोद्धारक’ (हिन्दू आस्था का संरक्षक) की उपाधि धारण की थी। इस राज्याभिषेक ने शिवाजी को भू-राजस्व वसूलने और लोगों पर कर लगाने का वैधानिक अधिकार प्रदान कर दिया था।

कर्नाटक अभियान

सन 1677-78 में शिवाजी का ध्यान कर्नाटक की ओर गया। राज्याभिषेक के बाद शिवाजी का यह अन्तिम महत्त्वपूर्ण 'कर्नाटक का अभियान' (1676 ई.) था। गोलकुण्डा के 'मदन्ना' एवं 'अकन्ना' के सहयोग से शिवाजी ने बीजापुर और कर्नाटक पर आक्रमण करना चाहा, परन्तु आक्रमण के पूर्व ही शिवाजी एवं कुतुबशाह के बीच संधि सम्पन्न हुई, जिसकी शर्तें इस प्रकार थीं-

  1. शिवाजी को कुतुबशाह ने प्रति वर्ष एक लाख हूण देना स्वीकार किया।
  2. दोनों ने कर्नाटक की सम्पत्ति को आपस में बांटने पर सहमति जताई।

महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार

शिवाजी ने जिंजी एवं वेल्लोर जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया। जिंजी को उन्होंने अपने राज्य की राजधानी बनाया। शिवाजी का संघर्ष जंजीरा टापू के अधिपति अबीसीनियाई सिद्दकियों से भी हुआ। सिद्दकियों पर अधिकार करने के लिए उन्होंने नौसेना का भी निर्माण किया था, परन्तु वह पुर्तग़ालियों से गोवा तथा सिद्दकियों से चैल और जंजीरा नहीं छीन सके। सिद्दकी पहले अहमदनगर के अधिपत्य को मानते थे, परन्तु 1638 ई. के बाद वे बीजापुर की अधीनता में आ गए। शिवाजी के लिए जंजीरा को जीतना अपने कोंकण प्रदेश की रक्षा के लिए आवश्यक था। 1669 ई. में उन्होंने दरिया सारंग के नेतृत्व में अपने जल बेड़े को जंजीरा पर आक्रमण करने के लिए भेजा।


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